अयोध्या झूले राम सिया संग सरयू तीरे झूलनवा....राम की पैड़ी पर गूंजे कजरी,सावन और वर्षा गीत के साथ,झूलनोत्सव के रंग में रंगे श्रद्धालु ।

Aug 19, 2024 - 18:01
Aug 19, 2024 - 18:02
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अयोध्या झूले राम सिया संग सरयू तीरे झूलनवा....राम की पैड़ी पर गूंजे कजरी,सावन और वर्षा गीत के साथ,झूलनोत्सव के रंग में रंगे श्रद्धालु ।

रिपोर्ट- देव बक्श वर्मा

अयोध्या: भगवान राम की धार्मिक नगरी अयोध्या में सरजू के तट पर राम की पैड़ी पर संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन अयोध्या के द्वारा   आयोजित सावन झूला उत्सव की  पारंपरिक कजरी, सावन गीत,वर्षा गीत की रसधार में बही जिसमे राघवेंद्र सरकार की मनोहारी झांकी ने सभी को आनंदित कर दिया। सरयू किनारे   अयोध्या की लोक गायिका शालिनी ने "झूले राम सिया संग, सरयू तीरे झुलनवा" गाया तो मानो अयोध्या के सभी मंदिरों में हो रहे झूलन ने वहीं पर साकार रूप ले लिया हो। 

इसके बाद  "झुलनवा झूले हो रघुराई" सुनकर उपस्थित श्रद्धालु आनंद  डूब कर तालियों से मंच का साथ देने लगे। उपस्थित जनसमूह के आग्रह पर कलाकार ने पारंपरिक "कचौड़ी गली सून कइला हो बलमू" गाया तो सभी विभोर होकर वहीं मंच के सामने नृत्य करने लगे। आस्था के  प्रवाह में अवधी और मैथिली गीतों की प्रख्यात लोक गायिका वाराणसी से आई रंजना राय ने "नन्ही नन्ही बुंदिया रे,सावन का झूला" प्रस्तुत किया तो मानो सावन झूला के मूल में उपस्थित भक्ति की रसधार में डूब कर श्रद्धालुओं को अपने साथ भिगो दिया।

पारंपरिक कजरी "कैसे खेले के जईबू सावन में कजरिया" गाकर रंजना राय ने श्रद्धालुओं को लोकगीतों की उस सुगंध का एहसास कराया ग्रामीण अंचल से आए लोगों को जोड़ते हुए "पिया मेंहदी मंगा दा,मोती झील से" गाकर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। झूलनोत्सव के रंग में रंगे श्रद्धालु "भोले बाबा चले कैलाश, बुंदिया पड़ने लगी" और "बाबा बैजनाथ हम ले आए कांवरिया" सुनकर राम के आराध्य भोलेनाथ की भी आराधना सरयू किनारे सावन झूला उत्सव में करने लगे।

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 गोरखपुर से आई प्रख्यात लोक नृत्यों का नाम सुगम सिंह शेखावत का, इस कलाकार ने मुसहर जनजाति के उन आदिवासियों को मंच पर लाकर सभी को अचंभित कर दिया। राजस्थानी गीतों के साथ अवधी गीतों के बोलों पर  आदिवासी कलाकारों ने  नृत्य किया।  कलाकारों ने मंच पर झूलनोत्सव की झांकी बनाकर समापन किया तो देर तक तालियां गूंजती रही।

सावन झूला उत्सव की अंतिम प्रस्तुति अयोध्या के कलाकार शीतला प्रसाद वर्मा और उनके साथियों की थी जिन्होंने फरुवाही लोकनृत्य को पहली बार सावन,कजरी,वर्षा गीत और भक्ति गीतों के साथ मिलाकर प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी के देश दीपक मिश्र ने सावन झूला के संदेशों को बताते हुए कुशलता से किया। सावन झूला उत्सव का शुभारंभ महापौर अयोध्या महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलन करके किया।

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