मसूरी में ड्रोन के माध्यम  से नगर पालिका क्षेत्र में भवनों का किया जा रहा सर्वे, नये सर्किल रेट के हिसाब से लगेगा भवन कर।

Jul 10, 2024 - 12:46
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मसूरी में ड्रोन के माध्यम  से नगर पालिका क्षेत्र में भवनों का किया जा रहा सर्वे, नये सर्किल रेट के हिसाब से लगेगा भवन कर।

रिपोर्टर सुनील सोनकर 

उत्तराखंड शासन द्वारा नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर भवन कर निर्धारित करने को लेकर प्रदेश की 14 निकायों में ड्रोन सर्वे का कार्य किया जा रहा है जिसके तहत मसूरी में ड्रोन सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है। वह अब जमीनी स्तर पर मसूरी में सभी प्राइवेट और कमर्शियल सम्पतियों का सर्वे का कार्य शुरू किया जायेगा।

मसूरी नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी राजेश नैथानी ने बताया कि नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर भवन कर निर्धारित किया जाना है जिसका सर्वे ड्रोन और जमीनी स्तर पर किया जा रहा है। उन्होने बताया कि नये सर्किल रेट के अनुसार ओपन लेंड का .5 प्रतिषत, डोमेस्टीक लेंड का .25 प्रतिषत और  कमर्शियल   लेंड का .5 प्रतिषत टैक्स लगाया जाना है।

जिससे हर साल नगर पालिका की आय में वृद्धि होगी और लगभग 20 करोड रुपए प्राप्त होंगे। उन्होने बताया कि वर्तमान में साढ़े छह हजार भवन नगर पालिका में पंजीकृत है जिनसे कर लिया जाता है। ड्रोन सर्वे के बाद इसकी संख्या बढ़ जाएगी व अप्रैल 2025 से यह योजना लागू हो जाएगी।उन्होने बताया कि इस अभियान के पहले चरण में हायर रेजुलेशन सेटेलाइट मैप का क्रॉस वेरिफिकेशन ड्रोन के माध्यम से करवाया जाएगा, जिसकी मदद से मसूरीें में महीन स्केल पर संपत्तियों का ब्यौरा निकाय के साथ साथ शहरी विकास विभाग को भी मिल पाएगा। उन्होने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत कई नई जानकारियां विभाग को मिल रही हैं. उन्होने कहा कि उम्मीद है कि इस तरह के एसेसमेंट के बाद प्रॉपर्टी टैक्स में 30 से 40 फीसदी का इजाफा यानी सीधा-सीधा राजस्व का लाभ पालिका मसूरी को मिलेगा।

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.उन्होंने कहा कि नगर पालिका परिषद के क्षेत्र में आने वाले कई क्षेत्र जेसे मकरेती गांव, बासा घाट में पालिका द्वारा भवन कर नहीं लिया जाता था परन्तु सर्वे का कार्य पूरा होने के बाद ऐसे सभी जगहो पर भवन कर लगने लगेगा। उन्होने बताया कि शहरी विकास विभाग ने यह फैसला लिया है कि अपने सभी निकायों में लैंड बैंक तैयार करें और ड्रोन के माध्यम से पूरे निकाय में निगरानी की जाए. इसके साथ ही इस सर्वे के माध्यम से निकाय को जानकारी मिलेगी कि कहां पर कितनी संपत्ति है. अवैध निर्माण और अवैध संपत्तियों की भी जानकारी निकाय को मिल पाएगी.। इसके अलावा इस तरह सर्वे करके और भी कई सारी जानकारियां सरकार को मिल पाएंगी. यह प्रक्रिया एक व्यवस्थित विकास में भी सहयोगी साबित होगी।

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