केशव मौर्य से मिले संजय निषाद- क्या केशव मौर्य को ओबीसी का ब्रांड एंबेसडर बनाने की तैयारी?

Jul 25, 2024 - 12:06
 0  56
केशव मौर्य से मिले संजय निषाद- क्या केशव मौर्य को ओबीसी का ब्रांड एंबेसडर बनाने की तैयारी?
  • यूपी बीजेपी में चल रही आंतरिक कलह का फायदा लेने की कोशिश में लगे अन्य नेता

लखनऊ-यूपी। बीजेपी की आंतरिक कलह यूपी की राजनीति में भीतर ही भीतर रोज नए-नए मोड़ लेती नजर आ रही है। डिप्टी सीएम केशव मौर्य की कुछ नेताओं से नाराजगी को अन्य नेता खुद के लिए वरदान बनाने में लगे हुए हैं। आलम यह है कि भाजपा के सहयोगी और सरकार के मंत्री डिप्टी सीएम केशव मौर्य के पास कुछ नेता हाजिरी लगा रहे हैं। इसे सिर्फ आम मुलाकात कहना शायद मुनासिब नहीं होगा। यूपी की राजनीति के समुद्र में कुछ तो उफान उठते नजर आ रहे हैं जो समय आने पर कइयों को किनारे पर ला सकते हैं तो कइयों की कश्ती भी डूबा सकते हैं। ओम प्रकाश राजभर के बाद मंगलवार को कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने मौर्य से मुलाकात की। संजय 10 दिन में दूसरी बार मौर्य से मिले हैं।

मौर्य ने सोशल मीडिया पर इनके साथ फोटो पोस्ट करते हुए लिखा कि निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद से शिष्टाचार भेंट की। विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। संजय निषाद और केशव की मुलाकात को सियासी गलियारे में किसी बड़ी हलचल से जोड़कर देखा जा रहा है। केशव से मुलाकात पर संजय निषाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हुआ है। इसी पर डिप्टी सीएम से चर्चा हुई। विपक्ष भ्रम फैला रहा है। मंत्री ने कहा कि अभी कई अधिकारी भाजपा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे अफसरों पर लगाम नहीं लगाई गई तो विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। बता दें कि सोमवार को सीएम योगी ने आजमगढ़ में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की थी। इसमें पंचायती राजमंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ​​​​​को भी बुलाया था। मगर वह नहीं पहुंचे। राजभर सोमवार शाम को डिप्टी सीएम केशव मौर्य से मिलने पहुंच गए। लखनऊ में दोनों नेताओं की बीच करीब 30 मिनट तक मुलाकात हुई।

यूपी में भाजपा के सहयोगी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगी सरकार के खिलाफ लेटरबाजी और बयानबाजी कर रहे हैं। कुछ राजनीतिज्ञों का कहना है कि  लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद केंद्र और राज्य सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यूपी में विपक्ष के फैलाए गए पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के मकड़जाल को काटने के लिए भाजपा का नेतृत्व मौर्य को पर्दे के पीछे से सपोर्ट करता नजर आ रहा है। यही कारण है कि यूपी में भाजपा के सहयोगी योगी सरकार के खिलाफ नजर आ रहे हैं।

27 जून को सबसे पहले अपना दल की मुखिया अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार को लेटर लिखा। उन्होंने ओबीसी आरक्षण में भेदभाव का आरोप लगाया। कहा- दलितों को नौकरियों में योग्य नहीं कहकर रोका जा रहा, इससे आक्रोश बढ़ रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। सीएम योगी के बुलडोजर नीति पर निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा था कि इस वक्त आप बुलडोजर चलवाएंगे, लोगों के घर गिराएंगे, तो वे वोट देंगे क्या? इसके अलावा वे ओबीसी आरक्षण पर भी योगी सरकार को घेरते हुए नजर आए थे। कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों के नाम लिखवाने के योगी सरकार के फैसले का आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने ‌विरोध किया था। उन्होंने कहा- कांवड़ यात्री जाति और धर्म की पहचान कर किसी दुकान पर सेवा नहीं लेता है। इस मुद्दे को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। अभी भी समय है सरकार को फैसला वापस ले लेना चाहिए।

इसे भी पढ़ें:-  RSS के कार्यक्रमों में अब भाग ले सकेंगे सरकारी कर्मचारी, मोदी सरकार ने हटाया प्रतिबंध।

केशव प्रसाद मौर्य के सुर में सुर मिलाते हुए सुभासपा के प्रमुख ओपी राजभर ने कहा- कोई भी संगठन कार्यकर्ता से होता है, निश्चित तौर पर संगठन से ही सरकार बनती है, इसलिए जब संगठन नहीं होगा तो सरकार भी नहीं खड़ी रहेगी। मौर्य ने जो कहा था संगठन सरकार से बड़ा होता है, तो यह बात बिल्कुल सही है, वे इसका समर्थन करते हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सबसे बड़ा परसेप्शन यह बन गया है कि यूपी में ठाकुरों की सरकार है। इस परसेप्शन को तोड़ना है। नहीं तो आने वाला चुनाव और भी चुनौती पूर्ण होगा। अगर ऐसा न होता तो अब तक संगठन और सरकार की लड़ाई पर विराम लग गया होता। के‌शव को यूपी में ओबीसी चेहरों का ब्रांड एंबेसडर बनाने की तैयारी चल रही है।

14 जुलाई को लखनऊ में भाजपा कार्य समिति की बैठक हुई थी। उसके बाद से दोनों नेताओं के बीच खींचतान खुलकर सामने आई। अगले दिन केशव दिल्ली चले गए। वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से मुलाकात की। माना जा रहा था कि केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद दोनों के बीच दूरियां कुछ कम होगी। हालांकि, दो दिन में दो मामले में दोनों के बीच खींचतान दिखी। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्ष की तरह अपनी ही सरकार से सवाल भी पूछा। उन्होंने सरकारी विभागों में संविदा और आउटसोर्सिंग से हुई नियुक्तियों की रिपोर्ट मांगी है। पूछा- इसमें रिजर्वेशन के नियम का कितना पालन किया गया? केशव ने संविदा भर्ती में रिजर्वेशन के 2008 के शासनादेश का पालन करने के भी निर्देश दिए। यह विभाग सीएम योगी के पास है। इसको लेकर केशव ने 15 जुलाई को नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग (डीओएपी) के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा- विधान परिषद के प्रश्नों की ब्रीफिंग के दौरान कार्मिक विभाग के अधिकारियों से आउटसोर्सिंग और संविदा पर कार्यरत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी। लेकिन यह जानकारी कार्मिक विभाग के पास नहीं थी।

शनिवार को प्रयागराज में कैबिनेट मिनिस्टर नंद गोपाल गुप्ता नंदी के बेटे की शादी का रिसेप्शन था। सीएम योगी और केशव मौर्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे। सीएम ने कार्यक्रम में जाने से पहले प्रयागराज सर्किट हाउस में अफसरों के साथ बैठक की, लेकिन केशव बैठक में शामिल नहीं हुए। वह योगी के प्रयागराज पहुंचने से पहले ही कौशांबी के लिए निकल गए। केशव से जब मीडिया कर्मियों ने पूछा- सरकार और संगठन में क्या चल रहा है? कुछ अफवाहें आ रही हैं? इस पर क्या कहेंगे? केशव ने मुस्कराते हुए कहा- कुछ नहीं, कोई अफवाह नहीं है। 14 जुलाई को लखनऊ में भाजपा कार्य समिति की बैठक में केशव ने तेवर दिखाए थे। उन्होंने कार्य समिति की बैठक के बाद देर रात 'X' पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं।

इसे भी पढ़ें:- ऐतिहासिक परिचय : क्षत्रिय महासभा तदर्थनाम अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा स्थापना।

केशव के इस बयान को योगी को संदेश देने से भी जोड़ कर देखा गया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि लोकसभा चुनाव में सीट कम आने के बाद सीएम योगी और केशव में दूरियां बढ़ गई हैं। इसीलिए वह किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे। केशव मौर्य ने नाराजगी की खबरों के बीच ही 16 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से मुलाकात की। आलाकमान ने नसीहत दी कि सरकार-संगठन में तालमेल बनाकर रखें, बयानबाजी से भी बचें। इसके बावजूद उनके बगावती तेवर बरकरार हैं। नड्डा से मिलने के 15 घंटे बाद मौर्य ने फिर से X पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा होता है।

इन सब बातों पर गौर करें तो एक बात स्पष्ट है कि कुछ नेता और बीजेपी हाईकमान मिलकर यूपी बीजेपी में कोई बड़ा बदलाव लाने के मूड में हैं। असल में यह हकीकत है या कुछ और ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

INA News_Admin आई.एन. ए. न्यूज़ (INA NEWS) initiate news agency भारत में सबसे तेजी से बढ़ती हुई हिंदी समाचार एजेंसी है, 2017 से एक बड़ा सफर तय करके आज आप सभी के बीच एक पहचान बना सकी है| हमारा प्रयास यही है कि अपने पाठक तक सच और सही जानकारी पहुंचाएं जिसमें सही और समय का ख़ास महत्व है।