महज 37 वर्ष की उम्र में ही बन गईं प्रधानमंत्री, कभी परिवार को देश छोड़कर भागना पड़ा था
नई दिल्ली।
पैंटोंगटार्न ने महज 37 वर्ष की उम्र में ही शाही मंजूरी के बाद प्रधानमंत्री पद का कमान अपने हाथों में ले ली है। थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की बेटी पैटोंगटार्न शिनावात्रा रविवार को शाही मंजूरी पत्र मिलने के बाद देश की प्रधानमंत्री बन गईं। थाईलैंड की संसद ने शुक्रवार को ही पैटोंगटार्न शिनावात्रा को प्रधानमंत्री चुन लिया था। पैटोंगटार्न महज 37 साल की उम्र में पीएम के पद पर पहुंची हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर उनको मुबारकबाद देते हुए अपने पोस्ट में कहा कि भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए आपके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।
पैंटोंगटार्न शिनावात्रा के पीएम बनने का असर ना सिर्फ दूसरे देशों के साथ थाईलैंड के रिश्ते पर होगा बल्कि देश की राजनीति में भी कुछ बड़े बदलाव दिख सकते हैं। इसकी वजह लंबे समय बाद शिनावात्रा परिवार से देश का पीएम बनना है। बीते साल हुए चुनाव में पैंटोंगटार्न की सेंटर-दक्षिणपंथी फेउ थाई पार्टी दूसरे स्थान पर आई थी। प्रगतिशील मूव फॉरवर्ड पार्टी (एमएफपी) ने सबसे अधिक सीटें जीती थीं। पैंटोंगटार्न के पिता और पूर्व पीएम थाकसिन शिनावात्रा गठबंधन कर सत्ता में आ गए थे। अगस्त 2023 में फेउ थाई नेता श्रीथा थाविसिन प्रधानमंत्री बने थे। एक साल से भी कम समय में 14 अगस्त को संवैधानिक अदालत के आदेश के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद देश की संसद ने पैंटोंगटार्न के तौर पर देश की सबसे युवा पीएम को चुना।
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करीब 7 करोड़ की आबादी वाले थाईलैंड की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री पैंटोंगटार्न तीन साल पहले ही राजनीति में आई हैं। यूके में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद वह थाकसिन के रेंडे होटल ग्रुप का मैनेजमेंट देख रही थीं। पैंटोंगटार्न खुद को एक सामाजिक उदारवादी कहती हैं और थाईलैंड के नए समान विवाह कानून की समर्थक हैं। उनके पिता थकसिन, जो अब 75 वर्ष के हैं, राजनीति में आने से पहले पुलिस में थे। पैटोंगटार्न थाईलैंड की कमान संभालने वाली शिनावात्रा परिवार की तीसरी सदस्य हैं. इससे पहले इनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और चाची यिंगलक शिनावात्रा भी प्रधानमंत्री पद पर रह चुकी हैं। इनके पिता और चाचा को तख्ता पलट के जरिए सत्ता से बेदखल कर दिया गया था और उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा था, लेकिन फेऊ थाई पार्टी की सरकार बनने पर वे वापस थाईलैंड लौट आए थे। पैटोंगटार्न को बैंकॉक स्थित पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया, जिसमें सत्तारूढ़ गठबंधन के वरिष्ठ सदस्य और उनके पिता भी उपस्थित थे। थाकसिन की कोई औपचारिक भूमिका नहीं है, लेकिन उन्हें फेऊ थाई पार्टी का वास्तविक नेता माना जाता है. वहां पिता-पुत्री एक ही कार में आए और मुस्कुराते हुए एवं एक-दूसरे का हाथ थामे हुए साथ-साथ चलते नजर आए।
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