हरदोई न्यूज़: VIP कल्चर- एसडीएम और तहसीलदार लगाए बत्ती, हूटर शहर में बना चर्चा का बिषय।
शाहाबाद \ हरदोई। तहसील में बेलगाम है VIP कल्चर। इसीलिए एसडीएम और तहसीलदार की गाड़ी में न केवल बत्ती, हूटर लगे हैं बल्कि नायब तहसीलदार तक अपनी निजी गाड़ियों में मजिस्ट्रेट लिखाए हैं और तो और शाहाबाद तहसीलदार की सरकारी गाड़ी में बत्ती, हूटर के साथ गाड़ी में काली फिल्म भी चढ़ी है।
भले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि ट्रैफिक पुलिस न केवल केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के नियम 100 के तहत वाहनों के विंडस्क्रीन व खिड़कियों पर काली फिल्म लगाने से रोकगी बल्कि काली फिल्म लगी हुई गाड़ियों का चालान करने के साथ ही काली फिल्म भी हटवाने की डियूटी निभाएगी। परन्तु इधर कोई पुलिस अधिकारी अब तक तहसील के इन अधिकारियों की गाड़ियों में चढ़ी काली फिल्म को भी हटवाने की हिम्मत नहीं जुटा सका है और न किसी अधिकारी ने इन गाड़ियों से हूटर, बत्ती हटवाने की जहमत गवारा की है।
बताते चलें कि भयंकर भ्रष्टाचार और इसी कारण कार्मिकों की आपस में मिलीभगत के चलते राजस्व अधिकारी में तेजी से पनप रहा वीआईपी कल्चर बेलगाम है और यह सबकेसब हूटर बत्ती ही नहीं बल्कि इनमें से कुछ तत्कालीन तहसीलदार नरेन्द्र कुमार यादव जैसे अधिकारी अपनी सरकारी गाड़ी के शीशों पर काली फिल्म भी चढ़वाये जो कि उनके स्थानतरण के बाद फिलहाल तहसीलदार शाहाबाद की गाड़ी पर चल रहे नायब तहसीलदार शाहाबाद हटवाए नहीं हैं। इसीलिए वह जानबूझकर काली फिल्म चढ़ी सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करने के प्रथम दृश्टया दोषी हैं। इतना ही नहीं नायब तहसीलदार की निजी गाड़ी में भी मजिस्ट्रेट लिखा है। जो कि तहसील मुख्यालय पर खड़ी नजर आई है। इतना ही नहीं तहसील मुख्यालय के पास एक अन्य प्राइवेट कार कैमरे में कैद हुई, जिसपर मजिस्ट्रेट लिखा दिखाई दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के निर्देशों के बाद शाहाबाद तहसील मुख्यालय पर अधिकारियों के सरकारी वाहनों में लगे हूटर और बत्ती तथा शीशों पर चढ़ी काली फिल्म के मामले लगातार चर्चा का बिषय बने हैं। लोगों की ऊँगलियाँ सीधे तौर पर निरंकुश नौकरशाही की ओर उठ रहीं हैं जिससे सरकार की सार्वजनिक तौर पर काफी किरकिरी होना स्वाभाविक है।
हालांकि बात इतनी सी होती तो सह लेते लोग लेकिन बात तो तब अत्यधिक तूल पकड़ती जा रही है जब तहसील के लगभग सभी कार्मिक चोरी की चोरी ऊपर से सीनाजोरी पर आमादा फसाद होकर आम फरियादी तक को सरकारी कार्य में बाधा पहुँचाने की एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही जेल भिजवाने की धमकी देते देखे सुने जाते हैं। और तो और सबसे ज्यादा जोरदार चर्चा इस बात की है कि तहसीलदार पद के अधीन दो गाड़ियां हैं जिसमें एक गाड़ी सरकारी है जिसको अधिकारियों की मनमानी दुरभिसन्धि के चलते एक प्राइवेटकर्मी चला रहा है। सूत्रों की मानें तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस भी संदिग्ध है।
इस गाड़ी में हूटर बत्ती व काली फिल्म लगी है। जो वीआईपी कल्चर ही प्रदर्शित नहीं करती बल्कि गाड़ी के अंदर कुछ न कुछ छुपाने की मंशा भी जाहिर करती है। दूसरी गाड़ी आउटसोर्सिंग स्तर से तहसील में लगी है जिस पर भी प्राइवेटकर्मी चालक है जिसकी संदिग्ध गतिविधियों की दबी जुबान चर्चा तहसीलकर्मियों की जुबानी जानी जा रही है। कुल मिलाकर तहसीलदार नरेंद्र कुमार यादव के यहाँ रहने से लेकर उनके स्थानांतरण के बाद अब भी इन दोनों गाड़ियों को लेकर ज्यादातर तहसील के लोग ही आपस में तरह तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। जो आखिर अन्य लोगों सहित पत्रकारों के कानों तक भी फिलहाल पहुँची हैं। इस सम्बन्ध में एसडीएम शाहाबाद को कॉल की गई, फिर भी रिसीव नहीं हुई है।
काली फिल्म को लेकर यह है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
काली फिल्म मामले के स्पष्टीकरण, संशोधन आदि को लेकर दायर किए गए सभी तरह के आवेदन खारिज होने के बाद सभी पुलिस महानिदेशकों, कमिश्नरों को एक बार फिर हिदायत दी गई थी कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की तुरंत प्रभाव से पालना आरंभ करें और वे किसी भी वाहन के विंडस्क्रीन व शीशों पर किसी तरह की फिल्म या मेटिरियल स्वीकार नहीं करेंगे।
माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पुलिस अधिकारी ऐसे वाहनों का सिर्फ चालान ही नहीं करेंगे, बल्कि तुरंत प्रभाव से उनके विंडस्क्रीन व खिड़कियों से काली फिल्म भी हटवाना सुनिश्चित करेंगे। सबसे अहम आदेश यह सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्पष्ट किया गया कि यदि किसी भी राज्य अथवा कमिश्नरेट में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की पालना नहीं करने की शिकायत मिलती है तो माननीय न्यायालय, संबंधित डीजीपी व कमिश्नर के खिलाफ बजाय किसी प्रोसीडिंग्स के शुरू किए एवं बिना कोई नोटिस जारी किए उक्त अधिकारी के खिलाफ न्यायालयों की अवमानना कानून 1971 के तहत एक्शन लेगा।
तहसील मुख्यालय की गली में ही है सीओ का बंगला
तहसील मुख्यालय के रास्ते में ही पुलिस क्षेत्राधिकारी का सरकारी आवास है। इतना ही नहीं बल्कि उनका आए दिन तहसील के एसडीएम एवं उनके अधीनस्थ अधिकारियों से मिलना जुलना बना रहता है। फिर भी वह राजस्व अधिकारियों की हूटर, बत्ती, काली फिल्म लगी गाड़ियों को न जानें क्यों निरंतर नजरन्दाज करते रहते हैं। इस सम्बन्ध में सीओ अनुज मिश्रा ने कहा कि उन्होंने गौर नहीं किया। देखेंगे।
तहसील मुख्यालय के सामने ही है कोतवाली
प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई महानगरों में पुलिस वीआईपी कल्चर समाप्त करने हेतु तत्पर है आखिर तभी तो मुख्यमंत्री के शख्त निर्देशों के बाद तमाम अधिकारियों के वाहनों में लगे हूटरों समेत एवं बत्तियाँ उतरवाईं जा चुकी हैं परन्तु हरदोई जिले की कई तहसीलों से लेकर शाहाबाद तहसील में नौकराशाही का कोई सानी नहीं है।
गौरतलब है कि तहसील मुख्यालय की गली के ठीक सामने शाहाबाद कोतवाली है। ऐसे में निसंदेह पुलिस को तहसील के राजस्व अधिकारियों की सरकारी गाड़ियों में लगे हूटर बत्ती दिखाई देती है। वैसे भी आए दिन कहीं न कहीं पुलिस और इन अधिकारियों का मेलामिलाप होता है तो बेशक तहसीलदार की सरकारी गाड़ी में काली फिल्म भी नजर आती होगी। परन्तु पुलिस द्वारा जानबूझकर किंचित कार्यवाही नहीं किया जाना संदेहास्पद है। इस सम्बन्ध में प्रभारी निरीक्षक राजदेव मिश्रा से जब बात की गई तो उन्होंने हंसकर टाल दिया और कोई संतोषजनक जबाब नहीं दे सके।
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