अयोध्यापुरी की परिक्रमा जिसने किया मानो पूरे जम्बूद्वीप की परिक्रमा कर ली। 

अयोध्या में पचकोसी, चौदह कोसी, और चौरासी कोसी परिक्रमा  की जाती हैं, जिसे करने से मनुष्य पापो से मुक्त हो जाता...

Oct 21, 2024 - 13:44
 0  19
अयोध्यापुरी की परिक्रमा जिसने किया मानो पूरे जम्बूद्वीप की परिक्रमा कर ली। 

रिपोर्ट- देव बक्श वर्मा

अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की धर्म नगरी अयोध्या में परिक्रमा का बड़ा ही महत्व है वैसे तो अयोध्या में प्रतिदिन लघु परिक्रमा होती है किंतु इसके अलावा तीन बड़ी और महत्वपूर्ण धार्मिक परिक्रमा है जो कार्तिक के महीने में पंचकोसी परिक्रमा और 14 कोसी परिक्रमा होती है इसके अलावा 84 खुशी की परिक्रमा होती है जिसे करने से  ऐसा कहते है कि मनुष्य अपने जीवन में काम, क्रोध, राग-द्वेष, मात्सर्य, मद, मोह, लोभ के कारण कई प्रकार के पापों से बंध जाते हैं.  हिंसा के रास्ते में चलने के लिए विवश हो जाता है.  अयोध्या की परिक्रमा और यात्रा करने पर इन पापों से मनुष्य मुक्त हो जाता है। 

वैसे तो अयोध्या में प्रतिदिन परिक्रमा होती है जिसे लघु परिक्रमा कहते हैं  यह अन्य परिक्रमाओं में सबसे छोटी परिक्रमा मानी जाती है. इसे अयोध्या के साधु-संत और स्थानीय लोग श्रद्धापूर्वक हर दिन करते हैं. यह भगवान राम की आराधना के लिए किया जाता है. इस परिक्रमा को करने से मनुष्यों को मानसिक शांति मिलती है और मन शुद्ध होता है। 

  • अयोध्या की पञ्चकोसी परिक्रमा 

इस परिक्रमा को करने का अतयन्त लाभ और माहात्मय है. ‘देवोत्थानी एकादशी को लाखों लोग पञ्चकोसी परिक्रमा करते हैं. यह परिक्रमा 15 किलोमीटर की होती हैं. इसमे तकरीबन 4 से 5 घंटे का समय लगता है.  एकादशी को श्रद्धापूर्वक करते हैं. इस परिक्रमा को अन्य राज्यों से भी आए रामभक्त करते हैं. इस परिक्रमा से बुरी आदतों से मुक्ति: और अच्छी आदतों को अपनाने में मदद मिलती है। 

  • अयोध्या की चौदहकोसी परिक्रमा के लाभ

कार्तिक शुक्लपक्ष में अक्षय नवमी दिन के सरयू जी में स्नान कर लाखों लोग अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा करते हैं. अयोध्या क्षेत्र की चौदह कोसी परिक्रमा का सर्वोपरि माहात्मय है. लोककथाओं के अनुसार वर्ष भर के पाप इस दिन परिक्रमा और स्नान-दान से खत्म हो जाते है और पुण्य की प्राप्ति होती हैं. इस परिक्रमा में लोग करीब 50 किलोमीटर की यात्रा करते हैं. इसे पूरा करने में 10 से 12 घंटे का समय लगता है.यह अयोध्या के स्वर्गद्वारअयोध्या से प्रारंभ होकर सरजू तट से होते हुए राम परी के किनारे से अयोध्या के पूर्वी छोर से होते हुए सूर्यकुण्ड(पहला विश्राम स्थल), पश्चिम अचारी का संग्रह फतेहपुर कुशवाहा होते हुए, मिर्जापुर, भिखापुर गांवों से होकर फिर जनौरा(दूसरा विश्राम स्थल), नाका हनुमानगढ़ी खोजनपुर, हनुमानगढ़ सहादतगंज होते हुए मिलिट्री छावनी से होते हुए निर्मलीकुण्ड, गुप्तारघाट, होते हुए सरजू तट के किनारे से होते हुए विभिन्न मंदिरों और घाटों को स्पष्ट करते हुए वापस स्वर्गद्वार पहुंचने पर यह परिक्रमा पूरी हो जाती है।

इस परिक्रमा में आपको स्त्री-पुरुष और बहुत सारे साधु-संत, बच्चे-बुढे, जवान आदि दिख जाएंगे. इस परिक्रमा में दान-पुण्य: करने से बहुत ही लाभ होता है. इस परिक्रमा में स्त्री पुरुष साधु संत भगवान के भजन गाते हुए परिक्रमा करते हैं अधिकारी गण भी परिक्रमा करते हैं परिक्रमा में छोटे बड़े का कोई भेदभाव नहीं होता है और किसी के लिए अलग से भी कोई मार्ग नहीं होता हैअयोध्या की  14 कोसी परिक्रमा शुरू होने के साथ ही कार्तिक मेला शुरू हो जाता है।  रामनगरी के 14 कोस की परिधि अटूट मानव-श्रृंखला में बंध सी जाती है। गगनभेदी जयघोष की सामूहिक आध्यात्मिक स्वरों से 14 कोसी परिक्रमा पथ गुंजायमान होने  लगता है।

  • अयोध्या की चौरासीकोसी परिक्रमा के लाभ

यह परिक्रमा चैत्र पूर्णिमा को म़खौड़ा धाम से प्रारंभ होती है. यह श्रीअयोध्या की सबसे बड़ी 84 कोस की परिक्रमा है यह करीब 22 दिन में पूरी होती है. इस परिक्रमा की कुल लंबाई में 200 किलोमीटर है इसलिए दुष्कर होने के कारण बहुत कम लोग इसे कर पाते हैं. यह बहुत ही प्राचीन परिक्रमा है. इसे ज्यादातार साधु-संत ही कर पाते है. इसमें जानकी नवमी को सीताकुण्ड पर पूजन और भण्डारा किया जाता है. जिसने नियमनिष्ठ होकर, उचित आहार लेते हुए बारह रात्रि तक उपवास करके अयोध्यापुरी की परिक्रमा की, उसने मानो पूरे जम्बूद्वीप की परिक्रमा कर ली।

आमतौर पर अयोध्या में  परिक्रमा की जाती हैं,सभी भगवान राम से जुड़ी परिक्रमाएं हैं। इनमें से 84 कोसी की परिक्रमा सबसे लंबी और सबसे कठिन भी मानी जाती है। इस परिक्रमा पथ में पूरी अयोध्या नगरी समेत आसपास के जिलों से भी कई जगहें शामिल होती हैं। 84 कोसी परिक्रमा 24 दिनों की यह पूरी परिक्रमा उन सभी क्षेत्रों से होकर की जाती है, जो भगवान राम के राज्य यानी अवध से जुड़ी होती है।

पंच  कोसी परिक्रमा जो लगभग 15 किमी लंबी होती है।
14 कोसी परिक्रमा जो लगभग 42 किमी लंबी होती है।
84 कोसी परिक्रमा जो करीब 275 किमी लंबी होती है।
इनमें से 84 कोसी परिक्रमा में अयोध्या, अंबेदकर नगर, बाराबंकी, बस्ती और गोंडा समेत कुल 5 जिले शामिल होते हैं। 

परिक्रमा का आयोजन रामनवमी और चैत्र पूर्णिमा के बीच होता है। सरयू नदी में स्नान करने के साथ लोग परिक्रमा करना शुरू करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन राजा दशरथ द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए अयोध्या से 20 किमी दूर मनोरमा नदी के तट पर किये गये पुत्रेष्ठी यज्ञ की पूर्णाहूति दी गयी थी। प्रतिपदा को प्रातःकाल स्नान करके भगवान श्री राम का नाम लेकर चौरासी कोसी परिक्रमा की शुरुआत की जाती है। इसमें कई विश्राम स्थल भी होते हैं, जहां रुककर भक्त आराम करते हैं और फिर आगे बढ़ते हैं।

 84 कोस की वृहद् परिक्रमा में सम्पूर्ण अवध क्षेत्र होता है। वर्ष भर में यह एक बार चैत्र शुक्ल रामनवमी और पूर्णिमा के बीच प्रारम्भ होती है। भक्त मण्डली या जमात के साथ, अयोध्या माहात्म्य में वर्णित एवं निर्धारित पड़ावों पर विश्राम करते हुए लगभग एक माह में इसे करते हैं।

यात्रा के दौरान विश्राम स्थल इस प्रकार हैं -

1. रामरेख ,2. सेरवा घाट। यहां श्रृंगी ऋषि की गुफा दर्शनीय है।3. गोसाईंगंज  तमसा तटा।4. आगागंज और टिकरी के मध्य।5. रामपुर भगन गांव,सूर्यकुण्ड, 6. दराबगंज  सीता कुण्ड, रामकुण्ड आदि का दर्शन।7. देवसिया पारा, 8. रूरूढेमा होते हुए आस्तीकन गांव , 9. सिरसा गांव, जनमेजय कुण्ड , 10. अमानीगंज, 11. रूदौली, 12. पटरंगा, 13. घाघरा का कमियार घाट पार कर , 14. सरयू तट, जम्बू तीर्थ , 15. बाराह क्षेत्र पचखा गांव, सरयू घाघरा संगम  यहां बाराह भगवान एवं श्रीनरहरिदासजी की चरणापादुका दर्शनीय है।16. वाराही देवी (उत्तरी भवानी) 17. रांगी, 18. नवाबगंज, 19. सिकन्दरपुर के मार्ग से मखौड़ा - मनोरमा , 20. अशोक वाटिका, सीता कुण्ड पढ़ाओ के साथ 84 कोसी परिक्रमा पूर्ण हो जाती है। इस प्रकार अयोध्या धाम में पंचकोशी 14 कोसी 84 कोसी जो भी परिक्रमा श्रद्धालु गण राम भक्त करते हैं उन्हें निश्चित ही लाभ की अनुभूति होती है ।  परिक्रमा पथ पर  जयकारों से गूंज रही। 

आस्था के पथ को नापने के लिए रामनगरी में  श्रद्धालु का जमावड़ा लग जाता है ।  सरयू घाटों से लेकर मठ-मंदिर भक्तों से गुलजार हो जाता है। परिक्रमा के दिन श्रद्धालुओं की निगाह,  आस्था उमड़-घुमड़ रहती है। श्रद्धालुओं की सेवा के लिए जगह-जगह सेवा शिविर भी लगाए गए हैं। जलपान से लेकर चिकित्सा के पूरे इतंजाम परिक्रमा पथ पर खूब किए गए हैं। वहीं, रामनगरी में यातायात प्रतिबंध लागू करते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। नयाघाट स्थित कंट्रोल रूम में जिले के आला अधिकारी कैंप कर देते हैं।

यातायात पुलिस ने दो दिन पहले से डायवर्जन रहता है।
कार्तिक परिक्रमा मेले के इंतजाम
- एटीएस की निगरानी में परिक्रमा होगी
- सीसीटीवी से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी
- सरयू के घाटों पर जल पुलिस व गोताखोरों की तैनाती
- प्रमुख मठ-मंदिरों पर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था
- पूरे पथ पर जगह-जगह पुलिस के साथ सुरक्षा बल तैनात
- परिक्रमा पथ पर चिकित्सा शिविर एंबुलेंस
-खोया-पाया कैंप मेला कंट्रोल रूम की स्थापना
- भीड़ नियंत्रण के लिए परिक्रमा पथ पर बैरीकेडिंग
- रामनगरी में भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंध रहता है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

INA News_Admin आई.एन. ए. न्यूज़ (INA NEWS) initiate news agency भारत में सबसे तेजी से बढ़ती हुई हिंदी समाचार एजेंसी है, 2017 से एक बड़ा सफर तय करके आज आप सभी के बीच एक पहचान बना सकी है| हमारा प्रयास यही है कि अपने पाठक तक सच और सही जानकारी पहुंचाएं जिसमें सही और समय का ख़ास महत्व है।