अयोध्याधाम न्यूज़: तीन दशक राममंदिर के लिए तराशे पत्थरों पर जमी काई की हो रही सफाई।

- सफाई कार्य मे लगे राजस्थान के दो दर्जन कारीगर, 25 स्थानीय महिलाओं को भी सफाई कार्य मे कर रही भागीदारी
राममंदिर में लगाने के लिए तीन दशक पहले कारसेवकपुरम स्थित श्रीराम जन्मभूमि कार्यशाला में रखे गए गंदे हो चुके बादामी रंग के बलुआ पत्थरों की सफाई का कार्य मंदिर के शिल्पकार अन्नूभाई सोमपुरा के परिवार के मयंक सोमपुरा के निर्देशन में किया जा रहा है। इन पत्थरों को राममंदिर के तीसरे तल पर लगाया जाएगा।
वर्षों से नक्काशी किये गए इन पत्थरों पर काई जम जाने के कारण ये पत्थर काफी गंदे दिखने लगे है।इस कारण इनकी दोबारा साफ-सफाई कराई जा रही, जिससे वह चमक उठें और इन्हें मंदिर निर्माण में प्रयुक्त किया जा सके। कुछ पत्थरों की दोबारा तराशी भी हो रही है। इस कार्य में राजस्थान के लगभग दो दर्जन कारीगर और इतने ही महिला-पुरुष कर्मी जुटे हैं।
जन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए वर्ष 1992 से ही बादामी रंग के बलुआ पत्थरों की तराशी मंदिर कार्यशाला में शुरू हो गई थी। राममंदिर के शिल्पकार अन्नूभाई सोमपुरा के निर्देशन में राजस्थान के कारीगर पत्थर तराश रहे थे। यद्यपि मंदिर निर्माण का सपना लंबी प्रतीक्षा के बाद साकार हुआ, परंतु तराशी अनवरत चलती रही।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद जब निर्माण का कार्य द्रुत गति से शुरू हुआ तो सीधे राजस्थान के भरतपुर जिले के बंसी पहाड़पुर से तराशे गए बलुआ पत्थरों की आपूर्ति शुरू हो गई। इस क्रम में कार्यशाला में पहले से रखे गए सभी पत्थरों का उपयोग नहीं हो सका। अब जबकि तृतीय तल निर्माणाधीन है तो उसमें इन पत्थरों को लगाया जाना है। कार्यशाला में पत्थरों की सफाई में जुटे कारीगर बताते हैं, तीसरे तल के लिए सीधे भरतपुर से भी पत्थर आ रहे हैं, लेकिन पहले से तराशकर रखे पत्थरों को उपयोग में लेने के लिए ट्रस्ट फिर सफाई करा रहा है।
सफाई इसलिए हो रही, क्योंकि इनकी चमक मध्यम पड़ गई है। वर्षा व अन्य कारणों से काई लग गई है। वह कहते हैं, कुछ पत्थरों में तराशे गए स्थान पर मिट्टी भर गई है, इससे उन्हें फिर साफ किया जा रहा है। अधिकतर काम कारीगर कर रहे हैं, कुछ मशीन से किया जा रहा है। उनके अलावा लगभग दो दर्जन कर्मी काम कर रहे हैं। साथ ही 25 स्थानीय महिला कर्मियों को भी लगाया गया है।
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