Jharkhand News: झारखण्ड से एक छटाक कोयला एवं अन्य खनिजों को पश्चिम बंगाल जाने नहीं दिया जायेगा।
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार आलू झारखण्ड को नहीं देने पर हठधर्मिता अपनाती हैं तो जल्द ही झारखण्ड से एक छटाक कोयला...

रिपोर्टर : युधिष्ठिर महतो
रांची / झारखंड: अगर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार आलू झारखण्ड को नहीं देने पर हठधर्मिता अपनाती हैं तो जल्द ही झारखण्ड से एक छटाक कोयला एवं अन्य खनिजों को पश्चिम बंगाल जाने नहीं दिया जायेगा।उक्त बातें पूर्व विधायक प्रत्याशी सह आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा आलू झारखण्ड को नहीं देने पर अपना अड़ियल रुख बनाये रखने पर अपनी प्रतिक्रिया में कही।
इन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल द्वारा आलू नहीं देने के कारण झारखण्ड में आलू की कीमतों में बेतहासा वृद्धि हो रहीं हैं और आमजनों से आलू दूर होती जा रहीं हैं।श्री नायक ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस आलू प्रकरण में हठधर्मिता और अड़ियल रुख अपना रहीं हैं।जो पड़ोसी राज्य होने का एवं संकट तथा दु:ख सुख में साथ देने के नैतिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहीं हैं,जो शुभ संकेत नहीं हैं।इन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकरण के पटाक्षेप हेतु झारखण्ड के मुख्य सचिव अलका तिवारी और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव स्तर से वार्ता भी किया जा चुका हैं।मगर अभी तक कोई सफल परिणाम नहीं निकला हैं।अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तुरंत बिना देर किए दो टूक में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात करना चाहिए और इसका समाधान निकालने का सफ़ल एवं ठोस प्रयास होना चाहिए।ताकि जनता को आलू के बढ़ते महंगाई से निजात मिल सकें।
नायक ने साफ एवं कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से वार्ता करने के बाद भी कोई सकारात्मक पहल ममता दीदी के द्वारा नहीं किया जाएगा।तो फिर झारखण्ड से एक छटाक भी कोयला एवं अन्य खनिजों को पश्चिम बंगाल जाने नहीं दिया जाएगा।जिसकी जिम्मेवारी प. बंगाल की ममता सरकार की होगी।
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जब वह पड़ोसी धर्म नहीं निभायेगी तो झारखंड भी अपना पड़ोसी धर्म नहीं निभायेगा और जैसे को तैसा वाली नीति अपनाई जायेगी। इन्होने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से यह भी मांग किया कि वे हरेक जिला मे कोल्ड स्टोरेज बनाने की दिशा में काम करें और झारखण्ड के किसानों को हर खेत में पानी पहुंचाने की दिशा में ठोस रणनीति बनाए तो हमारे किसान इतना आलू पैदा कर देगें कि राज्य तो आत्मनिर्भर हो ही जायेगा और दुसरे राज्य में भी आलू निर्यात कर किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो जायेंगें।
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