भाई दूज (यम द्वितीया) पौराणिक कहानी
भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें यमराज की पूजा करती हैं, ताकि उनका भाई जीवन में सफल हो और उसकी उम्र लंबी हो।
भाई दूज मनाने के पीछे यम और यमुना से जुड़ी एक पौराणिक कहानी है।
सूर्यदेव के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना में अतीव स्नेह था।यमराज जी व्यस्तता के कारण अपनी बहन यमुना से मिलने नहीं जा पाते थे,लेकिन यमुना ने आखिरकार उन्हें वचनबद्ध करके अपने घर आने के लिए राजी कर लिया।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन के घर पधारे।यमुना ने बड़े प्रेम के साथ अपने भाई का स्वागत किया ।जिसे देखकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना जी से वरदान मांगने को कहा।
यमुना जी ने कहा कि आप प्रतिवर्ष आज के दिन मुझसे मिलने आयेंगे और आज के दिन जो भी भाई बहन यमुना में स्नान कर आपकी पूजा करें उन्हें आप अभय प्रदान करें।
यमराज ने सहर्ष वरदान दिया और इसी तरह भाईदूज की परंपरा प्रारंभ हुई।
नाम-अमिता मिश्रा “मीतू”
निवास-हरदोई (उ.प्रदेश)
शिक्षा-स्नातक(माइक्रोबायोलॉजी),बी.एड और डिप्लोमा इन न्यूट्रीशन एंड हेल्थ एजुकेशन
- व्यवसाय-गृहणी होने के साथ साथ लेखन में रुचि ।
- पुस्तकें-“पारुल”
- उपन्यास “सुगन्धा”
- साझा संग्रह– काफिला लघुकथा संग्रह,कथांजलि,काव्यांजलि,काव्या, कारवाँ ।
सम्मान-काव्या समूह द्वारा प्रदत्त “शारदेय शिष्य रत्न सम्मान”,अखिल भारतीय साहित्य उत्थान परिषद द्वारा-साहित्य गौरव,साहित्य श्री आदि।
लेखिका:- अमिता मिश्रा “मीतू” अगर आप और अधिक मीतू मिश्रा जी द्वारा लिखी कहानियां, कविता या लेखों को पढ़ना चाहते तो देखे
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