बड़ी खबर: भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा एक और पत्रकार, हत्या कर शव टैंक में डाला, मामला सीएम तक पहुंचा
छत्तीसगढ़ पत्रकार संघ के प्रवक्ता ने कहा, “हमें चुप कराने की किसी भी कोशिश को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।इस बीच, पुलिस ने हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है, जिसमें राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने दोषियों को त्वरित सुनवाई और कड़ी सजा देने का वादा कि

By INA News Chhattisgarh.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पुलिस ने एक ठेकेदार के परिसर में सेप्टिक टैंक से एक लापता पत्रकार का शव बरामद किया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एक जनवरी की रात से लापता पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) (33) का शव बीजापुर शहर के चट्टानपारा इलाके में एक ठेकेदार के परिसर में सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया। बताया गया कि बीजापुर निवासी पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) एक जनवरी की रात से अपने घर से लापता थे। इस संबंध में उनके बड़े भाई युकेश चंद्राकर ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया था। अधिकारियों के अनुसार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) के लापता होने की सूचना मिलने के बाद पुलिस दल का गठन किया गया तथा उनकी खोज शुरू की गई। अधिकारियों ने बताया कि पीड़ित के मोबाइल नंबर के तकनीकी विश्लेषण के आधार पर पुलिस को जानकारी मिली कि मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) ठेकेदार के परिसर में मौजूद थे।
पुलिस ने चट्टानपारा बस्ती में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में सेप्टिक टैंक से मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) का शव बरामद कर लिया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगों को हिरासत में लिया है तथा उनसे पूछताछ की जा रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) ने कुछ समय पहले एक सड़क निर्माण को लेकर खबर प्रसारित की थी जिसके बाद से ठेकेदार और पत्रकार के मध्य अनबन होने लगी थी। मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) 'बस्तर जंक्शन' के नाम से यूट्यूब चैनल चलाते थे तथा वह एनडीटीवी से भी जुड़े हुए थे। अधिकारियों ने बताया कि जिस परिसर से पत्रकार का शव बरामद किया गया है वह परिसर ठेकेदार सुरेश चंद्राकर का है। परिसर में बैडमिंटन कोर्ट और नौकरों के लिए क्वार्टर है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) की हत्या पर दुख जताया है। साय ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा कि बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) जी की हत्या का समाचार अत्यंत दुखद और हृदयविदारक है। मुकेश जी का जाना पत्रकारिता जगत और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस घटना के अपराधी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने के निर्देश हमने दिए हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों को इस दुःख की घड़ी में संबल प्रदान करें।
पत्रकार मुकेश चंद्रकार के जीवन का महत्वपूर्ण पहलू।।
मुकेश चंद्रकार का परिवार 2005 में सलवा जुडूम से प्रभावित होकर आवापल्ली और फिर बीजापुर आए थे। मुकेश कहते थे कि सलवा जुडूम शुरू हुआ तो आवापल्ली के रिफ्यूजी कैंप में टेंट लगाकर रहते थे। बहुत तकलीफ होती थी। उसके बाद बीजापुर आ गए। बचपन में गैरेज में काम करता था ताकि घर चला सके। रहने के लिए घर भी नहीं था। सलवा जुडूम 2005 में तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा शुरू किया गया एक मिशन था। इसका उद्देश्य नक्सलवादियों से लड़ने के लिए स्थानीय आदिवासियों को संगठित करना था। सलवा जुडूम का मतलब "शांति यात्रा" था, लेकिन इसके दौरान कई गंभीर आरोप लगाए गए। सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने एक रिपोर्ट के दौरान सलवा जुडूम के समय की घटनाओं के बारे में बात करते हुए बताया कि गांवों को जलाया गया, सुरक्षा कर्मियों ने मारपीट की, लोगों से लूटपाट की, लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ और 100 से अधिक लोगों की हत्या की गई। इस दौरान स्थानीय लोगों को पुलिस कैंपों और रिफ्यूजी कैंपों में रहने के लिए मजबूर किया गया।सलवा जुडूम पर विवाद बढ़ने के बाद यह मामला 2012 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित किया और सलवा जुडूम को बंद करने का आदेश दिया। बासागुड़ा जैसे इलाकों में अगर कोई 10वीं भी पास कर ले तो गर्व महसूस होता है। तमाम चुनौतियों के बाद मुकेश चंद्रकार ने पत्रकारिता में नए मुकाम हासिल किए। मुकेश चंद्रकार ने बहुत मुश्किलों से पढ़ाई की और अपने बड़े भाई यूकेश चंद्रकार के साथ पत्रकारिता शुरू की थी। पत्रकारिता उन्होंने न्यूज 18 से शुरू की थी और इसके बाद कई मीडिया संस्थानों के लिए बड़ी-बड़ी स्टोरी की। मुकेश कहते थे कि बीजापुर आने पर भाई, एडिटिंग सिखा देना। हमेशा कोई नई स्टोरी करने के बाद लोगों से यह पूछते थे कि क्या बेहतर हो सकता था, और फिर बेहतर करने की कोशिश करते थे। बीजापुर से कोई फोटो चाहिए तो मैं मुकेश भैया को फोन करता था। बस्तर या किसी भी ग्राउंड की खबर को सबसे पहले मुकेश भैया जैसे स्थानीय पत्रकार कवर करते हैं। बाद में वह खबर बड़ी बनती है। फिर उन बड़ी स्टोरीज़ पर अवार्ड मिलते हैं, लेकिन जिनकी मूल स्टोरी होती है, वह पत्रकार गुमनाम हो जाता है।
पोस्ट डिलीट करने का बनाया था दबाव
थमीर कहते हैं कि एक बार मैंने मुकेश चंद्रकार से सिलगेर में चल रहे आंदोलन के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि "मैंने सिलगेर के आंदोलन के बारे में पहली बार ट्विटर पर पोस्ट किया, तो मुझे प्रशासन की ओर से पोस्ट डिलीट करने के लिए दबाव डाला गया। लेकिन मैंने उसे डिलीट नहीं किया क्योंकि मैं तो रिपोर्टिंग यहां के लोगों के लिए कर रहा था। मैंने कभी रिपोर्टिंग को लेकर समझौता नहीं किया।"
हमले और भ्रष्टाचार की स्टोरी
बीते दो-तीन साल पहले रावघाट परियोजना पर रिपोर्टिंग करते समय गुंडों ने हमला किया था। उनकी कार पर भी हमला किया था। इसके बाद मुकेश चंद्रकार SP ऑफिस शिकायत करने गए थे, लेकिन पुलिस ने इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की। मुकेश चंद्रकार अपनी जाबांज रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे। हमेशा अपने यूट्यूब चैनल में लोगों के हितों की बात करते थे, जिससे सरकार को उनकी बात अच्छी नहीं लगती थी। मुकेश चंद्रकार ने सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। इस घटना ने छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं को जन्म दिया। कई पत्रकार संघों और संगठनों ने हत्या की निंदा की और मुकेश के लिए न्याय और राज्य में पत्रकारों के लिए अधिक सुरक्षा की मांग की। पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ पत्रकार संघ के प्रवक्ता ने कहा, “हमें चुप कराने की किसी भी कोशिश को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।इस बीच, पुलिस ने हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है, जिसमें राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने दोषियों को त्वरित सुनवाई और कड़ी सजा देने का वादा किया है।कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या मामले में बड़ा बयान दिया है। भूपेश बघेल ने कहा कि सुरेश चंद्राकर जबतक हमारे साथ था, तब-तक उसने किसी पत्रकार की हत्या नहीं की थी। भाजपा में शामिल होने के बाद उसे पत्रकार की हत्या करने की ताकत मिल गई।
आरोपी सुरेश चंद्राकर को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों को संरक्षण देने का काम सरकार कर रही है।उन्होंने राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा में कथित रूप से विफल रहने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की है। उनकी यह टिप्पणी बीजापुर जिले के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद आई है।बघेल ने कहा, “यह हत्या भाजपा सरकार का एक स्पष्ट संदेश है कि अगर कोई उनके भ्रष्टाचार को उजागर करता है, तो उसे मार दिया जाएगा। पत्रकारों को सरकार के गलत कामों पर सवाल उठाने के लिए चुप कराया जा रहा है।”
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