Chhath Pooja 2023: छठ पूजा – सूर्य उपासना का पर्व, जानिए छठ पूजा से जुड़ी बाते
भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ दीपावली से छठवें दिन मनाया जाता है।यह पर्व अब पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाने लगा है।छठ वर्ष में दो बार मनाया जाता है एक बार चैत्र और दूसरी बार कार्तिक मास में।
छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है।
वेदों में सूर्य देव ऊर्जा और जीवन शक्ति के देवता माने गए है. महिलाएं छठ के दौरान कठोर उपवास रखती हैं और अपने परिवार और बच्चों की भलाई, समृद्धि और प्रगति के लिए भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं. वे भगवान सूर्य और छठी मैया को अर्घ्य भी देते हैं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार कर्ण, जो भगवान सूर्य और कुंती के पुत्र थे, वे भी छठ पूजा करते थे। कहा जाता है कि उन्होंने महाभारत काल में जल में घंटों खड़े होकर सूर्य देव की उपासना किया करते थे।
छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य और छठी मैया से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, लंका के राजा रावण का वध करने के बाद श्रीराम जब पहली बार अयोध्या पहुंचे थे. उस समय भगवान श्रीराम और मां सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए छठ का उपवास रखा था और उस समय सूर्य देव की पूजा अर्चना की थी।
इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होती है और समापन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को। इस व्रत में शुद्धता पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है, जिससे इसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है।
छठ पूजा के मौके पर नदियां, तालाब, जलाशयों के किनारे पूजा की जाती है जो सफाई की प्रेरणा देती है। यह पर्व नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने का प्रेरणा देता है। इस पर्व में केला, सेब, गन्ना सहित कई फलों की प्रसाद के रूप में पूजा होती है जिनसे वनस्पति की महत्ता रेखांकित होती है।
ऐसी मान्यता है कि छठ देवी भगवान सूर्य की बहन हैं, इसलिए लोग सूर्य की तरफ अर्घ्य दिखाते हैं और छठ मैया को प्रसन्न करने के लिए सूर्य की आराधना करते हैं। ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है। सूर्य को नियमित रूप से अर्घ्य (जल चढ़ाना) दिया जाए तो कई लाभ मिल सकते हैं।
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छठ पूजा के चार दिवस
छठ पूजा में पहले दिन नहाय-खाए दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य व चौथे दिन उगते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। नहाए-खाए के दिन नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन चावल, चने की दाल इत्यादि बनाए जाते हैं। कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना बोलते हैं। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती भोजन करते हैं। षष्ठी के दिन सूर्य को अर्ध्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं और स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करते हैं। सप्तमी को सूर्योदय के समय पूजा कर प्रसाद वितरित करते हैं।
सूर्य पूजा का वैज्ञानिक महत्व
अगर सूर्य को जल देने की बात करें तो इसके पीछे रंगों का विज्ञान छिपा है। मानव शरीर में रंगों का संतुलन बिगड़ने से भी कई रोगों के शिकार होने का खतरा होता है। सुबह के समय सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय शरीर पर पड़ने वाले प्रकाश से ये रंग संतुलित हो जाते हैं। (प्रिज्म के सिद्दांत से) जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ जाती है। सूर्य की रौशनी से मिलने वाला विटामिन डी शरीर में पूरा होता है। त्वचा के रोग कम होते हैं।
पूजा में 6 फल महत्वपूर्ण है और यह फल छठी मैया को पसंद है। नारियल छठ मैया की पूजा में बहुत जरूरी है केला नारियल की भांति छठ मैया को अति प्रिय है गन्ना छठ पूजा में गन्ने का भी बड़ा महत्व है नींबू समान नींबू से बड़े आकार का एक नींबू होता है जो खाने में खट्टा मीठा लगता है बहुत पसंद है सुपारी जल सिंघाड़ा पानी फल भी कहते हैं।
छठ पूजा में प्रसाद के रूप में ठेकुआ बनना आवश्यक होता है और व्रती सेंधे नमक का प्रयोग करते हैं तथा मिट्टी के चूल्हे का उपयोग करते हैं।
नाम-अमिता मिश्रा “मीतू”
निवास-हरदोई (उ.प्रदेश)
शिक्षा-स्नातक(माइक्रोबायोलॉजी),बी.एड और डिप्लोमा इन न्यूट्रीशन एंड हेल्थ एजुकेशन
- व्यवसाय-गृहणी होने के साथ साथ लेखन में रुचि ।
- पुस्तकें-“पारुल”
- उपन्यास “सुगन्धा”
- साझा संग्रह– काफिला लघुकथा संग्रह,कथांजलि,काव्यांजलि,काव्या, कारवाँ ।
सम्मान-काव्या समूह द्वारा प्रदत्त “शारदेय शिष्य रत्न सम्मान”,अखिल भारतीय साहित्य उत्थान परिषद द्वारा-साहित्य गौरव,साहित्य श्री आदि।
लेखिका:- अमिता मिश्रा “मीतू” अगर आप और अधिक मीतू मिश्रा जी द्वारा लिखी कहानियां, कविता या लेखों को पढ़ना चाहते तो देखे
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