- “बेटा ! कुछ पुस्तकें अमेज़न से मैंने ऑर्डर करी हैं एक बार देख लो इस घर का पता ठीक लिखा है?“
- “अरे माँ ! आपने अपना नाम लिखने के बाद मेरा नाम केयर ऑफ़ में क्यों लिखा है?“
- “बेटा, यहाँ इस नए शहर में भला मुझे कौन जानेगा?
हमारे शहर में तो तुम्हारे पापा के कारण लगभग सभी जानते थे … “माँ ने कुछ उदासी के साथ कहा।
“माँ, आपको यहाँ सब जानेंगे”,
कहते हुए बेटे ने मेज़ की दराज़ से काग़ज़ में लिपटी एक नेम प्लेट निकाली और उसे खोलते हुए कहा, “ये देखिए आज ही बन कर आयी है … आपके नाम की नई नेम-प्लेट … मुझसे पहले ये घर आपका है।”
नलिनी श्रीवास्तव – नील
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