Madhya Pradesh News: काशी तालाब की सरकारी नजूल भूमि पर अवैध निर्माण, क्षेत्रवासियों ने कलेक्टर से की शिकायत।
नपा को अवैध निर्माण की जानकारी के बावजूद नहीं हो रही कार्रवाई .....

रिपोर्ट- शशांक सोनकपुरिया, बैतूल मध्यप्रदेश
बैतूल। सदर क्षेत्र में स्थित 400 साल पुराने काशी तालाब की सरकारी नजूल भूमि पर अवैध खुदाई और निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस मामले में मंगलवार 31 दिसंबर को।स्थानीय लोगों ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर तुरंत कार्रवाई की मांग की है। वी.वी.एम. कॉलेज के सामने स्थित इस ऐतिहासिक तालाब की भूमि का बाजार मूल्य 5 करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा है। यहां कुछ लोगों ने सरकारी भूमि पर कब्जा कर अवैध निर्माण के उद्देश्य से खुदाई शुरू कर दी है।
यह भूमि नजूल शीट नंबर 35, प्लॉट नंबर 26, रकबा 42,270 वर्गफुट में दर्ज है, जो तालाब का भाग मद की है। इस भूमि का मालिकाना हक सरकारी नजूल खसरे में दर्ज है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि इस निर्माण कार्य को समय रहते नहीं रोका गया, तो तालाब का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा। अवैध निर्माण से तालाब के आसपास बसे सैकड़ों परिवारों पर भी संकट मंडरा रहा है। जिस स्थान पर खुदाई की जा रही है, वहां पास में कच्ची बस्ती है, जहां कई लोग झोपड़ियों में रहते हैं। इसके अलावा, पास ही में शासकीय कन्या स्कूल भी स्थित है। खुदाई के कारण तालाब का ओवरफ्लो सिस्टम पहले ही बंद हो चुका है, जिससे जलभराव और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
नगर पालिका परिषद बैतूल ने इस क्षेत्र में चेतावनी बोर्ड लगाकर किसी भी तरह का निर्माण न करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसके बावजूद अतिक्रमण जारी है। स्थानीय निवासियों ने नगर पालिका के अधिकारियों को इस अवैध निर्माण की जानकारी दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। क्षेत्रवासियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए इस अवैध निर्माण को तुरंत रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा कि तालाब की भूमि पर अतिक्रमण से तालाब की ऐतिहासिकता और सौंदर्य भी खत्म हो जाएगा।
ज्ञापन देने वालों में मनीषा साहू, सुशीला साहू, रेखा निरापुरे, महादेव, बबीता, सिंधु, सुनीता, वंशिका, सीता, पुष्पा, कुसुम, रामेश्वर, कृष्णकुमार साहू, नारायण मालवी, रमेश जैन, सुषमा और संध्या शामिल हैं। उन्होंने प्रशासन से निवेदन किया कि काशी तालाब की सरकारी नजूल भूमि पर हो रहे अवैध निर्माण को तुरंत प्रभाव से रोका जाए, ताकि इस ऐतिहासिक तालाब का संरक्षण हो सके और आसपास की बस्ती को किसी भी संभावित खतरे से बचाया जा सके।
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