माँ तेरे आँचल की छाया – अमिता मिश्रा “मीतू”

माँ तेरे आँचल की छाया
मां! तेरे आँचल की छाया
मुझको शीतल घनी लगे
जलते उर पर चंदन जैसी
तेरी मृदु वाणी का लेप
हर पीड़ा मेरी हर लेती
माँ तेरा ये नेह सरल
तू धरती आकाश मेरा सब
तुम बिन कोई ठौर कहाँ
बिन बोले सब तुम्हे पता है
मेरे उर की व्यथा कथा
तेरे सीने में छुप जाऊं
हरदम दिल की अभिलाषा
जी लेती फिर बचपन कुछ पल
इस दुनियादारी से दूर
मेरी आँखों मे फिर आते
लोरी गाते तेरे ओंठ
ध्रुव तारे की अमर कहानी
परीलोक के सुंदर चित्र
झूले स्मृतियों के फिर से
आंखों के आगे लहराते
पूजा करती माँ आंगन में
मंदिर की देवी सी लगती
मां तेरा साथ सुनहरा
हर पल देता मुझे सुकून
बस यूं ही ममता की छाया
यूँ ही बरसाते रहना
अपने सीने से लिपटा कर
बच्चा मुझे बनाते रहना।
नाम-अमिता मिश्रा “मीतू”
निवास-हरदोई (उ.प्रदेश)
शिक्षा-स्नातक(माइक्रोबायोलॉजी),बी.एड और डिप्लोमा इन न्यूट्रीशन एंड हेल्थ एजुकेशन
- व्यवसाय-गृहणी होने के साथ साथ लेखन में रुचि ।
- पुस्तकें-“पारुल”
- उपन्यास “सुगन्धा”
- साझा संग्रह– काफिला लघुकथा संग्रह,कथांजलि,काव्यांजलि,काव्या, कारवाँ ।
सम्मान-काव्या समूह द्वारा प्रदत्त “शारदेय शिष्य रत्न सम्मान”,अखिल भारतीय साहित्य उत्थान परिषद द्वारा-साहित्य गौरव,साहित्य श्री आदि।
Final Word – INA News
आशा करता हूँ कि आप सभी यह रचना पसंद आई होगी. अगर आप भी अपनी रचनाये, कविताये, छंद, लेख या शेर-ओ-शायरी को एक नयी दिशा देना चाहते हैं तो हमें अपने लेख भेजे.
हम उन्हें यहाँ अपने पाठकों के बीच प्रस्तुत करेंगे ताकि आपके लेख अधिक से अधिक लोगो तक पहुचे. हमें अपनी रचनाये या लेख को भेजने के लिए संपर्क करे….