Madhya Pradesh News: कोल माफिया के खिलाफ अब प्रशासन का बड़ा एक्शन- 4 डंपर और 2 जेसीबी की मदद से कोयले की कुएं नुमा खदानों को किया बंद।
अवैध कोल खदानों को बंद किया गया,4 डंपर और 2 जेसीबी की मदद से कोयले की कुएं नुमा खदानों को किया बंद, कलेक्टर के निर्देश पर की खनिज विभाग ने कार्यवाही....
शशांक सोनकपुरिया, बैतूल मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में पिछले छह दशक से जिला प्रशासन के लिए चुनौती बने कोल माफिया के खिलाफ अब प्रशासन ने बड़े एक्शन की शुरुआत कर दी है । बैतूल जिले में घोड़ाडोंगरी ब्लॉक की ग्राम पंचायत सीवनपाट के अंतर्गत आने वाला डूल्हारा गाँव कोल माफिया का एक ऐसा गढ़ है जहां कदम रखने की हिमाकत खनिज अमला और पुलिस भी नहीं करती क्योंकि यहां पूरे गाँव के एक एक परिवार कोल माफिया के ही लिए काम करते हैं और गाँव की अर्थव्यवस्था ही अवैध कोयला खनन पर टिकी है।
कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी को जब इस अवैध कोयला खदान की सूचना लगी तो कलेक्टर कोयला खदान का निरीक्षण करने पन्हुचे थे जिसके बाद खनिज विभाग को निर्देश दिए की इन खदानों को शीघ्र बंद किया जाए जिसके बाद खनिज विभाग ने जेसीबी मशीन और ब्लास्टिंग की मदद से इन खदानों को बंद की गई । ये अवैध कोयला निकाला जाता है तवा नदी के किनारे बनाई गई दर्जनों अवैध कोयला खदानों से । इस पूरे इलाके में ज़मीन की सतह से थोड़ी ही नीचे कोयला मिल जाता है । कोल माफिया के लोग कोयला भंडार मिलने पर कुएँ या खदान खोद लेते हैं । खदानों के मुहाने ऐसे बनाए जाते हैं कि वो दूर से दिखाई नहीं देते । इन मुहानों से अंदर जाकर वहां तक खुदाई की जाती है जहाँ तक कि कोयला मिलता है ।
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कई बार इन खदानों में 50 से 60 फ़ीट तक कि सुरंगे बन जाती हैं जिनमे घुसकर मज़दूर कोयला तोड़कर निकालते हैं। कुछ जगहों पर गहरे कुएं दिखाई देते हैं जो काफी पुराने हैं लेकिन खतरनाक हैं । बैतूल जिला प्रशासन ने पहले भी कई बार इन खदानों को बन्द करने का प्रयास किया था लेकिन कोल माफिया दोबारा इन मुहानों को खोलकर अवैध कोयला खनन शुरू कर देते हैं । ये कोयला बैतूल के पड़ोसी जिलों समेत इंदौर ,भोपाल ,और महाराष्ट्र के शहरों में भी ऊंची कीमत पर बेचा जाता है । कब एक बार फिर कलेक्टर के निर्देश पर खनिज विभाग दल बल के साथ इन खदानों और कुओं के मुहानों को सील करने में जुटा है । लेकिन सवाल ये है कि क्या इतने प्रयास काफी होंगे क्योंकि इस इलाके का इतिहास रहा है कि जितनी खदानें प्रशासन बन्द करवाता है उससे ज्यादा खदानों का निर्माण कोल माफिया करता है ।
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