Pilibhit News: माँ गोमती शरद कालीन महोत्सव में स्कूली बच्चों ने मचाई धूम, लंकापति रावण ने सीता किया हरण, हनुमान ने जलाई सोने की लंका।
आज होगा गोमती के तट रावण वध और लघु नाटिका मंचन प्रतियोगिताएं......
कुँवर निर्भय सिंह, आईएनए पीलीभीत
पीलीभीत। गोमती तीर्थ स्थल चल रहे पांच दिवसीय माँ गोमती शरद कालीन महोत्सव के चौथे दिन दोपहर में कालेज के विद्यार्थियों ने डांस प्रतियोगिता में भाग ले कर धूम मचा दी। तो वहीं देर शाम बृज लोक कला फाउंडेशन ग्रुप मथुरा वृन्दावन के कलाकारों ने श्री राम-सीता वन गमन,मारीच वध और सीता हरण एवं लंका दहन का मनमोहक मंचन किया गया।
अवध की शान लखनऊ शहर की लाइफ लाइन मोक्ष दायिनी पतित पावनी आदि गंगा मां गोमती नदी के पावन उद्गम तीर्थ स्थल पर गुरुवार से पांच दिवसीय माँ गोमती शरद कालीन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। दिन में कालेज के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं देर शाम को बृज लोक कला फाउंडेशन ग्रुप मथुरा वृन्दावन के कलाकारों के द्वारा श्री प्रभु की रामलीला मंचन का आयोजन किया जा रहा है आयोजन के चौथे दिन पूरनपुर एवं कलीनगर क्षेत्र के सात कालेज के विद्यार्थियों ने डांस प्रतियोगिता में भाग लिया । जिसमें सर्वोदय इंटर कालेज फुल्हर,सी एंड जे इंटर कालेज कलीनगर,आर एंड जे किसान इंटर कॉलेज जमुनिया, जनता उ0मा0वि0 जमुनिया, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज पूरनपुर, पब्लिक इंटर कॉलेज पूरनपुर, गुरुनानक इंटर कॉलेज पूरनपुर,जेसीज रिवर्डेल इंटर कॉलेज पूरनपुर के विद्यार्थियों ने गोमती के तट डांस प्रतियोगिताओं में धमाल मचाया।
इस अवसर पर पवित्र गोमती नदी उद्गम स्थल पुनरुद्धार एवं बाबा दुर्गा नाथ मठ सेवा ट्रस्ट के योगेश्वर सिंह, निर्भय सिंह, सतीश मिश्र, समाजसेवी अशोक खंडेलवाल, रामौतार सिंह, लेखपाल दीवेश यादव, आदि लोग मौजूद रहे।देर शाम को बृज लोक कला फाउंडेशन ग्रुप मथुरा वृन्दावन के कलाकारों द्वारा श्री प्रभु राम लीला मंचन में भगवान श्रीराम का अयोध्या से वन गमन का मनमोहक मंचन किया गया मंचन में भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता गंगा नदी को केवट की नाव के सहारे पार करते हैं जहां केवट और राम का संवाद होता है गंगा नदी पार करने के बाद वन में ही कुटिया बनाकर रहते हैं जहां लंकापति रावण की बहन सुपुर्णनखा प्रभु श्रीराम से और लक्ष्मण से विवाह का प्रस्ताव रखती है जिस पर दोनों लोग मना कर देते हैं तब वह अपने वास्तविक राक्षसी रूप में आकर उन्हें भयभीत कर विवाह करने के लिए बाध्य करती है जिस पर लक्ष्मण उसके नाक कान काट लेते हैं नाक कान कटने पर वह अपने भाई रावण को इसके बारे में बताती है तो रावण स्वयं अपनी बहन का बदला लेने के लिए मारीच को सोने का मृग बनाकर और स्वयं साधु बनकर सीता माता का हरण कर पुष्पक विमान से ले जाता।
मारीच वध करने के बाद जब भगवान प्रभु श्री राम और लक्ष्मण सीता को अपनी कुटिया में नहीं पाते हैं तो उन्हें वन वन ढूंढते है ढूंढते हुए पक्षीराज जटायु मिलते हैं जो सीता माता का रावण के द्वारा हरण होने का समाचार बताते हैं और सीता की रक्षा करने के लिए रावण से युद्ध करते हुए घायल हो जाते घायल पक्षीराज जटायु भगवान श्री राम की गोद में अपना दम तोड़ देते हैं स्वयं भगवान श्री राम उनका अंतिम संस्कार करते हैं पक्षीराज के बताए हुए मार्गो से गुजरते हुए शबरी आश्रम में पहुंचते हैं जहां प्रभु राम की आस लगाए बरसों से बैठी शबरी प्रसन्न चित्त हो जाती है और राम को बेरों का स्वाद चख कर खिलाती हैं जिस पर झूठे बेर लक्ष्मण नहीं खाते हैं और नाराज हो जाते हैं राम उन्हें समझाते हैं कि शबरी बेरों को चखकर उन्हें खिलाती है जिसका मार्मिक मंचन किया गया।
सीता को ढूंढते हुए रामादल समुद्र के किनारे पहुंच जाता।
जहां सर्वसम्मति से पवन कुमार हनुमान जी को सीता का पता लगाने के लिए लंका भेजा जाता है। लंका पहुंच कर हनुमान अशोक वाटिका में पहुंच कर रावण की अशोक वाटिका को तहश नहश कर देते हैं जिस रावण अपने सैनिकों द्वारा हनुमान को पकड़ने के लिए भेजता जहां सैनिकों को हनुमान मौत के घाट उतार देते हैं। अन्त में हनुमान बन्दी बनाकर रावण के सामने लाया जाता जहां रावण और हनुमान के बीच संवाद होता है रावण गुस्से में आकर हनुमान की पूंछ में आग लगवा देता। हनुमान अपने जली पूंछ से रावण की लंका को जला देते हैं।इस मंचन को देखकर श्रद्धालु जय श्री राम के नारों के साथ जयकारे लगाने लगते हैं इसके बाद रामायण जी की आरती की गई जिसमें प्रमुख योगेश्वर सिंह , निर्भय सिंह, रमेश गिरी, कावेनदर राठौर,रामौतार सिंह, दीवेश यादव सहित सैकड़ों महिलाएं और पुरुष मौजूद रहे।
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