श्री धाम अयोध्या ही भाई – गीत
बाबर ने मस्जिद बनवाई।
श्री धाम अयोध्या ही भाई।।
वेदों ने महिमा को गाया।
देवों का मन भी हर्षाया।।
अतिशय पावन धरती सोहे।
संतों के उर को है मोहे।।
रीति पुरातन चलती आई।
श्री धाम अयोध्या ही भाई।।
बाबर था भारत का घाती।
छीनी थी माता की थाती।।
सरयू- तट पर डाला डेरा।
शासक ने धरती को घेरा।।
मंदिर पर सेना भिजवाई।
श्री धाम अयोध्या ही भाई।।
झगड़े का अंकुर था बोया।
भक्तों का धीरज तब खोया।।
इतिहास बदल कर रख देंगे।
सब गिन-गिन कर बदला लेंगे।।
राघव का वह उत्तरदाई।
श्री धाम अयोध्या ही भाई।।
रघुपति मंदिर में था ताला।
जपते जन सारे अब माला।।
बैठे तब तप पर नर- नारी।
लेकिन यह संकट अति भारी।।
आशा की बदली जब छाई।
श्री धाम अयोध्या ही भाई।।
मर्दन दुष्टों के दर्पों का।
कुचला फन सारे सर्पों का।।
स्वर्णिम पावन अवसर आया।
मनवांछित निर्णय है भाया।।
शतकों की इच्छा फलदाई।
श्री धाम अयोध्या ही भाई।।
रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’ लखनऊ