o aasamaan ke megh kabhi to dhara par aa tu

ओ आसमां के मेघ, कभी तो धरा पर आ तू।

ओ आसमां के मेघ, कभी तो धरा पर आ तू। ओ आसमां के मेघकभी तो धरा पर आ तू।तू कैसे बरसता है?मुझको भी समझा जा तू। मैं भी तो चाहती हूं तेरी तरह बरसनातेरी तरह ही छुपना तेरी तरह उमड़नामेरे भी उर में जलती तेरी तरह ही ज्वालामैं भी गरजना चाहूं हृदय नहीं है माना।अब…

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सवाल एक छोटा सा था – डॉ. सुनीता चौहान कि रचना

सवाल एक छोटा सा था सवाल एक छोटा सा थाबवाल इतना क्यों मचा दिया? तुम्हारे घर को अपना बनायाउसे पावन मंदिर सा सजाया।थोड़ा सा प्रेम और सम्मान ही तो मांगा थाफिर क्यों इतना रुला दिया? कर्तव्यों की डोर में बंधी थीबहुत संयमित और सधी थी।थोड़ा सा अधिकार ही तो चाहा था, फिरघर को सिर पर…

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