वाराणसी। काशी के तुलसीघाट पर सैकड़ों साल पुरानी परंपरा नाग नथैया शुक्रवार को फिर जीवंत हो उठा। इस दौरान गंगा किनारे आस्था और विश्वास के अटूट संगम का नजारा देखने को मिला। कुछ समय के लिए गंगा यमुना में परिवर्तित हो गई और गंगा तट पर हजारों वर्ष पुरानी वृंदावन की प्रमुख लीला दोहराई गई।
इस दौरान घाट पर खेलते-खेलते भगवान श्री कृष्ण ने अचानक गंगा में छलांग लगा दी। काफी देर बाद कालिया नाग का मर्दन कर वे बाहर निकले। जब कान्हा ने कदम के पेड़ से छलांग लगाया तो हर तरफ वृंदावन बिहारी लाल और हर-हर महादेव का जयघोष गूंज उठा। अद्भुत पलों के दर्शन के लिए घाटों और गंगा तट के घर की छतों से गंगा में नावों-बजड़ों तक जनसैलाब उमड़ा था।
कालिया नाग के फन पर बांसुरी बजाते कान्हा के दर्शन की अनूठी झांकी हर किसी को भावविह्वल कर गई। इन अलौकिक पलों को अपने कैमरों और मोबाइल में कैद करने की होड़ मची रही। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीघाट की ओर से नाग नथैया के आयोजन की परंपरा साढ़े चार सौ साल से अधिक पुरानी है।
इसकी शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। काशी के लक्खा मेलों में शुमार नाग नथैया देखने के लिए दोपहर बाद से ही भीड़ जुटने लगी थी।