वाराणसी: वक्फ बोर्ड ने 115 साल पुराने कॉलेज पर दावा किया, कॉलेज परिसर में नमाजियों के जुटने के बाद फोर्स बढ़ाई गई
वक्फ बोर्ड के दावे और कॉलेज परिसर में नमाजियों के जुटने के बाद हालात को कंट्रोल में रखने के लिए यहां फोर्स बढ़ाई गई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा था कि नवाब टोंक की वक्फ की हुई जमीन पर यूपी कॉ...
By INA News Varanasi.
वक्फ बोर्ड ने वाराणसी के 115 साल पुराने उदय प्रताप कॉलेज पर दावा किया है। यही नहीं यहां अवैध तरीके से मजार भी बना ली। कॉलेज की जमीन वक्फ की संपत्ति होने का दावा वैसे तो 6 साल पहले ही किया गया था। दावे को लेकर 2018 में नोटिस भी दिया गया था। हालांकि अब फिर ये मामला तूल पकड़ रहा है। हालांकि बाद में कॉलेज प्रबंधन ने इस मामले में अपना जवाब दिया था, जिसके बाद से वक्फ बोर्ड की ओर से कोई नोटिस नहीं आया।
बता दें कि यह सबकुछ तब हुआ जब चार दिन पहले ही कॉलेज के 115वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां आए थे और उन्होंने कॉलेज को यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान किया। वक्फ बोर्ड के दावे और कॉलेज परिसर में नमाजियों के जुटने के बाद हालात को कंट्रोल में रखने के लिए यहां फोर्स बढ़ाई गई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा था कि नवाब टोंक की वक्फ की हुई जमीन पर यूपी कॉलेज बना है।
हालांकि कॉलेज प्रबंधन के जवाब देने के बाद यह मामला तब के लिए थम गया था। वक्फ बोर्ड को चिट्ठी लिखने वाले वसीम अहमद खान की साल 2023 में मौत के बाद से इस मामले में अभी तक कोई नया एंगल सामने नहीं आया है। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ के सहायक सचिव आले अतीक ने साल 2018 में कालेज प्रबंधक को एक नोटिस भेजा था।
यह नोटिस वक्फ एक्ट 1995 के तहत दिया गया। नोटिस में कॉलेज की संपत्ति को सुन्नी बोर्ड से अटैच होने की बात कही गई। यह कॉलेज करीब 115 साल पुराना है। दिसंबर 2018 में लखनऊ स्थित यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के असिस्टेंट सेक्रेटरी आले अतीक ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत कॉलेज को एक नोटिस भेजा था, जिसमें बताया गया था कि भोजूबीर तहसील सदर के रहने वाले वसीम अहमद खान ने एक रजिस्ट्री पत्र भेजकर ये जानकारी दी है कि उदय प्रताप कॉलेज नवाब टोंक की संपत्ति है।
नवाब साहब ने छोटी मस्जिद को ये जमीन वक्फ कर दी थी। ऐसे में ये जमीन वक्फ की संपत्ति है और इसे वक्फ द्वारा नियंत्रण में लिया जाना चाहिए। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर डी।के सिंह ने बताया था कि साल 2018 में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से एक नोटिस आया था, जिसमें इस कॉलेज की जमीन पर उनका दावा किया गया था। इसमें कहा गया कि उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना 1909 में हुई है।
कॉलेज की जमीन इंडाउमेंट ट्रस्ट की है। ट्रस्ट की जमीन को न तो खरीदी जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है। इसके अलावा कॉलेज परिसर में स्थित मजार में निर्माण को लेकर भी मामला गरमाया था। हालांकि पुलिस के हस्तक्षेप के बाद यह शांत हो गया था। इस नोटिस में ये भी लिखा था कि अगर कॉलेज प्रबंधन ने 15 दिन के भीतर इसका जवाब नहीं दिया तो उसके बाद उनकी किसी भी आपत्ति को सुनी नहीं जाएगी।
हालांकि यूपी कॉलेज शिक्षा समिति के तत्कालीन सचिव यूएन सिन्हा ने उस समयसीमा के भीतर ही वक्फ बोर्ड को उसका जवाब दे दिया था। जवाब में लिखा था कि साल 1909 में चैरिटेबल इंडाउमेंट एक्ट के तहत उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना हुई थी और इस एक्ट के तहत आधार वर्ष के बाद ट्रस्ट की जमीन पर दूसरे किसी का भी मालिकाना हक अपने आप खत्म हो जाता है। इस जवाब के बाद से यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से फिर कोई भी जवाब नहीं आया और न ही कोई नोटिस आया।
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