रिश्तों के ‘पर’ नहीं होते – रश्मि सिंह
रिश्तों के ‘पर’ नहीं होते
रिश्ते- हमसफर, हमराज कमसिन,
नाज़ुकमिज़ाज़ अपनेपन का अहसास
कभी मुस्कुराते, कभी रोते
रिश्तों के ‘पर’ नहीं होते
उन्मुक्त हसीं, स्वच्छंदता
सब कुछ कहने की स्वतंत्रता
दूर रह कर भी निकटता
अटूट बंधन से बंधें होतें
रिश्तों के ‘पर’ नहीं होतें
‘पर’ वाले रिश्ते उड़ जाते
‘बेपर’ कर देते अपने सारे
लौटकर घर नहीं आते
वहीं के होकर रह जाते
जो रिश्तें ‘पर’ वाले होते
नाम: | श्रीमती रश्मि सिंह (रश्मि पुंजिका) |
जन्म तिथि: | 13 दिसंबर |
शिक्षा: | एम.ए(राजनीति शास्त्र) लखनऊ विश्वविद्यालय |
सम्प्रति: | होम मेकर |
निवास: | लखनऊ |
प्रकाशित कृतियां।
एमेजॉन पर दो बुक। “उत्ताल तरंगे” के नाम से अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ सोशल मीडिया के विविध चैनल पर लगभग १०० से भी अधिक रचनाएं प्रसारित उत्कृष्ट लेखनी, काव्यपाठ के लिए ऑनलाइन प्रशस्ति पत्र वर्ष एम 2022-23 में…… READ MORE Articles