महाकुंभ (Mahakumbh) में वीवीआईपी (vvip) साजिश- मौनी अमावस्या शाही स्नान से पहले सीएम योगी (cm yogi) की छवि खराब करने का प्रयास।
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 (mahakumbh 2025) को लेकर मौनी अमावस्या (mauni amavasya) के शाही स्नान से ....

रीना एन सिंह एडवोकेट
सुप्रीम कोर्ट
Prayagraj Maha kumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 ( mahakumbh 2025) को लेकर मौनी अमावस्या (mauni amavasya) के शाही स्नान से पहले एक सुनियोजित साजिश रची गई, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की छवि को खराब करना प्रतीत होता है। महाकुंभ (Maha Kumbh) के इस पावन पर्व में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आ रहे थे, लेकिन कुछ वीवीआईपी व्यवस्थाओं के कारण आम श्रद्धालुओं को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, महाकुंभ के सबसे बड़े शाही स्नान मौनी अमावस्या (mauni amavasya) से ठीक एक दिन पहले वीवीआईपी मूवमेंट के कारण मेले के विभिन्न प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया गया, जिससे लाखों श्रद्धालुओं को 15 किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर त्रिवेणी संगम तक पहुंचना पड़ा।
श्रद्धालुओं को ठंड और अव्यवस्थित प्रशासन का सामना करना पड़ा। महाकुंभ (Maha Kumbh) के दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार के वीवीआईपी प्रतिनिधियों के लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए थे, विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के नाम पर कई मार्ग प्रतिबंधित कर दिए गए, जिससे लाखों श्रद्धालुओं को असुविधा हुई, यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब पूरा देश और विश्व योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली की सराहना कर रहा था और उनकी लोकप्रियता चरम पर थी। कई श्रद्धालुओं को घंटों पैदल चलने के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं भीड़ के कारण बाधित हो गईं।
भारी जन सैलाब के कारण भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसमें कई श्रद्धालु घायल हो गए, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भीड़ को नियंत्रित करने में भारी परेशानी हुई। महाकुंभ के इस आयोजन में हुई अव्यवस्था के चलते अब तक 30 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है और बहुत संख्या में लोग घायल हुए हैं, जिन्हें स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई लोग अपने परिवार से बिछड़ गए, जिससे प्रशासन को अधिक दबाव का सामना करना पड़ा। शाही स्नान के दौरान उत्पन्न अव्यवस्था ने योगी सरकार की छवि पर गहरा प्रभाव डाला है, यदि यह साजिश न होती और सब कुछ सुचारू रूप से चलता, तो योगी आदित्यनाथ का नाम और अधिक रोशन होता, लेकिन यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि किसी गहरे षड्यंत्र के तहत महाकुंभ के इस महत्वपूर्ण अवसर को अव्यवस्थित किया गया।
महाकुंभ (Maha Kumbh) में आगामी शाही स्नान जैसे - बसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के स्नान पर भी प्रशासन को सतर्क रहना होगा। मौनी अमावस्या पर हुई अव्यवस्था को देखते हुए निम्नलिखित सुधार लागू किए जा सकते हैं: वीवीआईपी मूवमेंट का पुनर्गठन: वीवीआईपी की यात्रा का समय बदला जाए ताकि आम श्रद्धालुओं को असुविधा न हो, वीवीआईपी और श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग मार्ग सुनिश्चित किए जाएं। पैदल यातायात को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और वालंटियर तैनात किए जाएं, मेडिकल कैंप की संख्या बढ़ाई जाए और स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की जाए। बुजुर्गों और महिलाओं के लिए विश्राम स्थल और जलपान केंद्र स्थापित किए जाएं।
प्रशासन को प्रतिदिन समीक्षा बैठकें आयोजित कर अव्यवस्था को रोकने के उपायों की निगरानी करनी चाहिए। मौनी अमावस्या के शाही स्नान के दौरान उत्पन्न इस अव्यवस्था को देखकर योगी आदित्यनाथ अत्यंत भावुक और व्यथित हो गए, शायद उन्हें यह महसूस हुआ कि यदि यह स्थिति सामान्य रहती, तो महाकुंभ के इस आयोजन को लेकर उनकी छवि और भी मजबूत होती, उन्होंने तुरंत प्रशासन से रिपोर्ट मांगी और श्रद्धालुओं की परेशानियों का समाधान निकालने के आदेश दिए। यदि केंद्र सरकार के वीवीआईपी मौनी अमावस्या के इस पावन अवसर को बीतने देते और इसके बाद प्रयागराज आते, तो यह स्थिति टल सकती थी। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि योजनाबद्ध रूप से यह सब किया गया, ताकि योगी आदित्यनाथ की छवि खराब की जा सके।
यह साजिश न केवल महाकुंभ (Maha Kumbh) के आयोजन को बाधित करने की थी, बल्कि योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने के स्पष्ट उद्देश्य से रची गई थी। महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में अव्यवस्था फैलाने की यह साजिश उत्तर प्रदेश सरकार और योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र है। इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस साजिश के पीछे कौन लोग थे और उनकी मंशा क्या थी। श्रद्धालुओं की आस्था और इस महापर्व की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है।
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