Special Article: रक्षा क्षेत्र में भारत की छलांग- भारतीय मिसाइलों व रक्षा उपकरणों का बज रहा दुनिया में डंका।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सर्वांगीण विकास के पथ पर बढ़ता हुआ आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। रक्षा क्षेत्र भी इस ....

Apr 23, 2025 - 11:29
 0  23
Special Article: रक्षा क्षेत्र में भारत की छलांग- भारतीय मिसाइलों व रक्षा उपकरणों का बज रहा दुनिया में डंका।  

लेखक- मृत्युंजय दीक्षित 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सर्वांगीण विकास के पथ पर बढ़ता हुआ आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। रक्षा क्षेत्र भी इस धारा से अछूता नहीं है इसमें भी अहम और व्यापक परिवर्तन दिख रहा है । 2014 के पूर्व मात्र एक दशक पूर्व तक भारत की पहचान रक्षा उपकरणों के खरीदार की हुआ करती थी। रक्षा खरीद में घोटालों के समाचार आना सामान्य बात थी फिर भी ख़रीदे गए हथियारों की समय पर आपूर्ति नहीं होती थी।

मोदी जी के नेतृत्व में ये परिस्थितियाँ तीव्रता के साथ बदल रही हैं। अब भारत जल, थल और नभ तीनों सेनाओं के सभी अंगों को सुदृढ़ करने के लिए दिन-रात प्रयास कर रहा है जिससे रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता और बल दोनों निरंतर बढ़ रहे हैं। भारत के रक्षा वैज्ञानिक निरंतर शोध में में व्यस्त हैं। हर दिन किसी न किसी मिसाइल का सफल परीक्षण किया जा रहा है, रक्षा उपकरणों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है जिसके फलस्वरूप भारत की मिसाइलों व रक्षा उपकरणों का डंका विश्व बार में बजने लगा है। अब भारत रक्षा उपकरणों तथा तकनीक का क्रेता ही नहीं विक्रेता भी बन रहा है। द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के अंतर्गत होने वाले समझौतों में  भारत यह बात भी शामिल करता है कि क्रय किये जा रहे हथियारों का निर्माण व सम्बंधित प्रशिक्षण भी भारत में हो। राफेल लड़ाकू विमान इसका प्रमुख उदाहरण है। 

आज भारतीय मिसाइलों की क्षमता से विश्व प्रभावित हो रहा है और कई देश भारतीय मिसाइलें खरीदकर उन्हें अपनी सीमाओं की सुरक्षा में लगाना चाहते हैं । वह छोटे देश तथा जिनकी सीमा चीन से लगी हुई है या फिर जिन पर विस्तारवादी चीन की गिद्ध दृष्टि लगी है, विशेष रूप से भारत की ब्रह्मोस मिसाइल खरीदकर अपने यहां तैनात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक कुशल रणनीतिकार की तरह चीन व पाकिस्तान को चारों ओर से घेरने का काम कर रहे हैं,  जिसमें ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें महत्वपूर्ण हैं। ब्रह्मोस एक ऐसी उन्नत मिसाइल है जिसे न केवल दक्षिण चीन सागर के राष्ट्र अपितु बड़े मुस्लिम राष्ट्र भी खरीद रहे हैं। 

चीन के शत्रु फिलीपींस को भारत ने  ब्रह्मोस दी है। फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलो का निर्यात भारत द्वारा किसी भी देश  के साथ किया गया अब तक का सबसे बड़ा रक्षा विक्रय समझौता है। भारत ने  ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल की आपूर्ति के लिए जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डालर का समझौता किया था जो कि अब लागू हो चुका है। अप्रैल- 2024 फिलीपींस को ब्रह्मोस की पहली खेप मिली। इंडोनेशिया भी भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने वाला है। वियतनाम और मलेशिया जैसे दक्षिण  पूर्व एशियाई देशों ने भी इस अत्याधुनिक मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखाई है। 

आगामी दिनों में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश भी ब्रह्मोस मिसाइल के बड़े खरीददार बन सकते हैं। श्रीलंका जैसे छोटे देश जिनकी सीमा चीन से मिलती है उन सभी देशों के साथ ब्रह्मोस को तैनात करने के लिए बातचीत चल रही है। साथ ही यह वर्ष ब्रह्मोस मिसाइल का 25वां वर्ष मनाया जा रहा है इसलिए 25 देशों के साथ ब्रह्मोस की डील को लेकर वार्ता चल रही है जिसमें कुछ देशों के साथ वार्ता अंतिम चरण में पहंच चुकी है। 
ब्रह्मोस की विषेषता - सबसे तेज सुपरसेनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भूमि, वायु, जल  यानि समुद्र की गहराइयों में भी पलक झपकते ही शत्रु को निशाना बना लेती है।

12 जून 2001 को  मिसाइल ने अपनी पहली सफल उड़ान भरी थी । यह भारत और रूस की एक संयुक्त परियोजना है जिस पर लगातार काम चल रहा है। इस मिसाइल का नामकरण भारत की नदी ब्रह्मपुत्र और मास्को की नदी मोसक्वा के नाम पर किया गया है। 24 जनवरी 2024 के ब्रह्मोस के नये उन्नत वर्जन का सफल परीक्षण  किया गया।  मिसाइल की रेंज को बढ़ाया गया है और साथ ही तकनीक को भी  बेहतर बनाया गया है।यह मिसाइल अपनी सटीकता के लिए जानी जाती है।

Also Read- Special: अनिश्चितता की भंवर में विश्व, व्यापारिक क्षेत्र में अमेरिका द्वारा शुरू किये टैरिफ युद्ध के प्रभावों पर सभी की नजर

अब इस मिसाइल की रेंज बढ़कर 800 किमी हो गई है जबकि पहले रेंज केवल 200 किमी तक ही सीमित थी। यह हवा में ही रास्ता बदलने तथा चलते फिरते  टारगेट को भी ध्वस्त करने में सक्षम है। यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं । यह एक  ऐसी मिसाइल है  जिसे शत्रु अपने  रडार से देख नहीं पायेगा। यह मिसाइल 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है जो किसी भी बड़े टारगेट को पलक झपकते ही ध्वस्त कर सकती है। ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय नौसेना के कई युद्धपोतों पर तैनात है। ब्रह्मोस मिसाइल के बाद भारत के कई अन्य हथियार भी विदेशी की सेनाओं  में  होंगे जिसमें आकाश मिसाइल, अर्जुन टैंक, लाइट एयरक्राफ्ट जैसे कई उपकरण शामिल हैं जिनके निर्यात करने की तैयारियां चल रही हैं।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

INA News_Admin आई.एन. ए. न्यूज़ (INA NEWS) initiate news agency भारत में सबसे तेजी से बढ़ती हुई हिंदी समाचार एजेंसी है, 2017 से एक बड़ा सफर तय करके आज आप सभी के बीच एक पहचान बना सकी है| हमारा प्रयास यही है कि अपने पाठक तक सच और सही जानकारी पहुंचाएं जिसमें सही और समय का ख़ास महत्व है।