World Book Day 23 April 2025- संसार में ज्ञान के दो ही स्रोत हैं, सत्संग और स्वाध्याय।

पुस्तकें व्यक्ति की ऐसी मित्र हैं, जो समय के सदुपयोग एवं ज्ञानार्जन में तो सहयोग करतीं ही हैं,साथ ही व्यर्थ का वाद-विवाद भी नहीं करतीं। लोकमान्य....

Apr 23, 2025 - 11:18
Apr 23, 2025 - 13:05
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World Book Day 23 April 2025- संसार में ज्ञान के दो ही स्रोत हैं, सत्संग और स्वाध्याय।

डॉ. ब्रह्मस्वरूप पाण्डेय

से॰नि॰ प्राचार्य, सी.एस.एन. पी. जी. कॉलेज, हरदोई

विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल- संसार में ज्ञान के दो ही स्रोत हैं, सत्संग और स्वाध्याय। सत्संग के लिए महापुरुषों का साथ चाहिए जबकि स्वाध्याय के लिए सत्साहित्य।इस आधार पर पुस्तकों का महत्व पूर्णतया स्पष्ट है।

पुस्तकें व्यक्ति की ऐसी मित्र हैं, जो समय के सदुपयोग एवं ज्ञानार्जन में तो सहयोग करतीं ही हैं,साथ ही व्यर्थ का वाद-विवाद भी नहीं करतीं। लोकमान्य तिलक ने स्वाध्याय के लिए पुस्तकों की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि "मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा, क्यों कि इनमें यह शक्ति है कि जहां यह रहेंगी वहां अपने आप ही स्वर्ग बन जाएगा।" पुस्तकों के स्वाध्याय से ही ज्ञानार्जन होता है जो मानव की उन्नति के लिए वरदान है।

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महान विचारक इमर्सन अपने स्वाध्याय एवं सद्ग्रंथों के बल पर ही कहा करते थे "मुझे नरक में भेज दो, मैं वहां भी स्वर्ग बना दूंगा।' महात्मा गांधी का विचार था"अच्छी पुस्तकें पास होने पर मुझे भले मि उच्चत्रों की कमी नहीं खटकती। मैं पुस्तकों का जितना अधिक अध्ययन करता हूं, उतनी ही यह मुझे उपयोगी मित्र मालूम होतीं हैं।
वेदों के ज्ञान से ही हमारा देश और हमारी संस्कृति विश्व में महान है।

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