महाराष्ट्र में किसान कर्जमाफी पर विवाद: डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा, 'चुनावी वादे हमेशा तुरंत पूरे नहीं होते, किसानों को मार्च 31 तक किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज चुकाने होंगे'। 

महाराष्ट्र की राजनीति में किसानों के कर्जमाफी का मुद्दा फिर से गरमाया हुआ है। राज्य के डिप्टी चीफ मिनिस्टर और वित्त मंत्री अजित पवार ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में साफ कहा

Nov 1, 2025 - 15:16
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महाराष्ट्र में किसान कर्जमाफी पर विवाद: डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा, 'चुनावी वादे हमेशा तुरंत पूरे नहीं होते, किसानों को मार्च 31 तक किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज चुकाने होंगे'। 
महाराष्ट्र में किसान कर्जमाफी पर विवाद: डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा, 'चुनावी वादे हमेशा तुरंत पूरे नहीं होते, किसानों को मार्च 31 तक किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज चुकाने होंगे'। 

महाराष्ट्र की राजनीति में किसानों के कर्जमाफी का मुद्दा फिर से गरमाया हुआ है। राज्य के डिप्टी चीफ मिनिस्टर और वित्त मंत्री अजित पवार ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में साफ कहा कि चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे हमेशा तुरंत कार्रवाई में नहीं बदलते। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे मार्च 31, 2025 तक अपने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के कर्ज चुकाएं। पवार का यह बयान तब आया जब हाल ही में महायुति सरकार ने कर्जमाफी पर एक उच्च स्तरीय समिति गठित की और कहा कि जून 30, 2026 तक इसका फैसला लिया जाएगा। पवार ने कहा कि राज्य का वित्तीय बोझ भारी है, जिसमें लड़कियों के लिए माहा लाडकी बहिन योजना पर सालाना 45,000 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में निर्णय भविष्य पर निर्भर करेंगे। यह बयान किसान संगठनों के बीच आक्रोश पैदा कर रहा है, जो सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। विपक्ष ने इसे किसानों के साथ धोखा बताया है। आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझें।

अजित पवार का बयान 29 मार्च 2025 को पुणे के बारामती में एक कार्यक्रम के दौरान आया। वे एक विकास परियोजना का उद्घाटन कर रहे थे जब स्थानीय किसानों ने कर्जमाफी की मांग उठाई। पवार ने कहा, "हाल ही में कई नागरिकों ने चुनावी घोषणा पत्र में कर्जमाफी के वादे पर चिंता जताई। 28 मार्च तक मैं महाराष्ट्र के लोगों को स्पष्ट बताना चाहता हूं कि मार्च 31 तक फसल कर्ज चुकाएं। चुनावी वादे हमेशा तुरंत कार्रवाई में नहीं बदलते। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भविष्य में निर्णय लिया जाएगा। लेकिन अभी और अगले साल भी कर्ज चुकाना जरूरी है। सकारात्मक बात यह है कि 0% ब्याज पर नया कर्ज लेने की व्यवस्था की गई है।" पवार ने राज्य के वित्तीय हालात का जिक्र किया। कहा कि महाराष्ट्र का बजट 8 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें से 4 लाख करोड़ वेतन और पेंशन पर खर्च होता है। बाकी राशि स्कूल किताबें, यूनिफॉर्म, बिजली, पानी और सड़कों पर जाती है। उन्होंने कोल्हापुर दौरे का उदाहरण दिया जहां उनके सहयोगी हसन मुशरिफ ने कर्जमाफी की मांग की। पवार ने कहा कि किसान कर्ज चुकाने में देरी कर रहे हैं, जिससे बैंक दबाव डाल रहे हैं।

यह बयान महायुति सरकार के 2024 चुनावी घोषणा पत्र के संदर्भ में आया। महायुति ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर किसानों के 2 लाख रुपये तक के फसल कर्ज माफ किए जाएंगे। लेकिन सत्ता में आने के बाद राज्य की वित्तीय स्थिति बिगड़ गई। बाढ़ और अतिवृष्टि से फसलें बर्बाद हुईं। सरकार ने 31,628 करोड़ रुपये की राहत पैकेज की घोषणा की, जिसमें बाढ़ प्रभावित किसानों को 32,000 करोड़ की सहायता दी गई। लेकिन कर्जमाफी पर देरी हो रही। 30 अक्टूबर 2025 को नागपुर में किसान संगठनों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला। पूर्व विधायक बच्चू काडू के नेतृत्व में उन्होंने कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने दो घंटे की बैठक में किसानों को आश्वासन दिया। फडणवीस ने कहा, "हमने घोषणा पत्र में कर्जमाफी का वादा किया है। हम प्रतिबद्ध हैं। MITRA के सीईओ प्रवीण परदेशी की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति गठित की गई है। छह महीने में रिपोर्ट आएगी। जून 30, 2026 तक फैसला लिया जाएगा।" लेकिन बैठक में गर्मागर्म बहस हुई। एक डिप्टी सीएम ने किसानों से पूछा कि क्या सरकार पर भरोसा नहीं। किसानों ने कहा कि वादा तारीख के साथ हो।

अजित पवार ने पहले भी कर्जमाफी पर साफगीरी की। 25 अगस्त 2025 को नांदेड़ में एक रैली के दौरान किसानों ने नारे लगाए। पवार ने कहा, "सरकार ने कभी कर्जमाफी से इनकार नहीं किया। हम घोषणा पत्र के वादे पर खड़े हैं। समिति गठित की गई है। वित्तीय पहलुओं पर विचार होगा।" उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ है। सालाना 22,000-23,000 करोड़ रुपये किसानों के बिजली बिल पर खर्च होते हैं। महिलाओं के कल्याण के लिए 1,500 रुपये मासिक सहायता पर 45,000 करोड़ जाते हैं। पवार ने कहा कि राज्य का कर्ज 9.32 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। फिर भी किसानों की मदद जारी है। 25 अक्टूबर को छत्रपति संभाजीनगर में उन्होंने कहा कि कर्जमाफी सही समय पर होगी। किसानों को धैर्य रखना चाहिए। कई बड़े कल्याण उपाय हो चुके हैं।

किसान संगठनों का आक्रोश बढ़ रहा है। स्वाभिमानी शेतकरी संघ के नेता रघुनाथ पाटिल ने कहा कि वादाखिलाफी हो रही। किसान कर्ज चुकाने के लिए इंतजार कर रहे थे। अब ब्याज का बोझ बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मार्च 31 तक किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज चुकाने का दबाव गलत है। बच्चू काडू ने कहा कि समिति का बहाना है। जून 2026 तक इंतजार नहीं कर सकते। किसानों ने कहा कि बाढ़ से फसल बर्बाद हुई, अब कर्जमाफी ही राहत है। विपक्ष ने हमला बोला। शिवसेना (यूबीटी) के संभाजीनगर नेता अंबादास डांगे ने कहा कि महायुति ने किसानों को धोखा दिया। घोषणा पत्र में वादा किया लेकिन अब पीछे हट रहे। कांग्रेस के कपिल धोके ने कहा कि कर्जमाफी का नाम बदल दो। यह किसानों का अपमान है। एनसीपी (एसपी) ने भी समर्थन किया।

महाराष्ट्र में कर्जमाफी का इतिहास लंबा है। 2017 से कई बार घोषणाएं हुईं। देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में एक बार, अजित पवार के समय एक और। राष्ट्रीय स्तर पर 71,000 करोड़ की माफी हुई। लेकिन किसान कर्ज के जाल में फंसे रहते। विशेषज्ञ कहते हैं कि कर्जमाफी से लंबे समय का समाधान नहीं। किसानों को आय स्रोत बढ़ाने चाहिए। लेकिन सरकार पर दबाव है। 2024 चुनाव में महायुति ने कर्जमाफी का वादा कर सत्ता हासिल की। अब वित्तीय संकट से उलझन। पवार ने कहा कि वादे पूरे होंगे लेकिन समय पर। समिति परदेशी के नेतृत्व में अन्य विभागों से सुझाव लेगी। अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय सुझाएगी।

किसान संगठन आंदोलन की तैयण कर रहे। नागपुर में ट्रैक्टर मार्च के बाद और प्रदर्शन होंगे। बच्चू काडू ने कहा कि यदि जून तक फैसला न हुआ तो राज्यव्यापी हड़ताल। सरकार ने कहा कि 90 प्रतिशत किसानों को 15-20 दिनों में राहत राशि खाते में आएगी। बाकी 10 प्रतिशत जल्द। लेकिन कर्जमाफी पर अस्पष्टता बनी हुई। पवार का बयान बहस छेड़ रहा। एकनाथ शिंदे ने कहा कि सभी वादे पूरे होंगे। लेकिन किसान भरोसा खो चुके। महाराष्ट्र का कृषि क्षेत्र 13 प्रतिशत जीडीपी देता। बाढ़ से 2025 में 31,628 करोड़ का नुकसान। सरकार ने 32,000 करोड़ की सहायता दी। लेकिन कर्जमाफी का इंतजार।

यह मुद्दा बिहार और अन्य राज्यों में भी देखा जा रहा। किसान संगठनों ने राष्ट्रीय स्तर पर मांग की। लेकिन महाराष्ट्र में राजनीतिक रंग गहरा। महायुति में एनसीपी, बीजेपी और शिवसेना के बीच संतुलन। पवार वित्त मंत्री हैं, इसलिए उन पर दबाव। उन्होंने कहा कि लड़कियों की योजना पर 45,000 करोड़ खर्च। बिजली सब्सिडी पर 22,000 करोड़। फिर भी किसानों के लिए जगह बनाएंगे। किसान कहते हैं कि वादा पूरा करो। आंदोलन तेज हो सकता। सरकार ने समिति को छह महीने का समय दिया। रिपोर्ट अप्रैल 1, 2026 तक। उसके बाद जून तक फैसला। लेकिन किसान इंतजार नहीं कर सकते।

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