उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में बगावत की आग: बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने से विधायक नाराज, तीन विधायक लिट्टी-चोखा भोज से दूर रहे, आठ पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा।
बिहार में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में असंतोष खुलकर सामने आ गया है। पार्टी के चार विधायकों में से तीन विधायकों ने
बिहार में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में असंतोष खुलकर सामने आ गया है। पार्टी के चार विधायकों में से तीन विधायकों ने 24 दिसंबर 2025 को पटना में उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर आयोजित लिट्टी-चोखा भोज में हिस्सा नहीं लिया। ये तीन विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक कुमार सिंह हैं। चौथी विधायक उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता कुशवाहा हैं जो सासाराम सीट से जीती हैं। इस भोज में पार्टी के कुछ चुनिंदा नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए थे। इस घटना से ठीक पहले ये तीनों विधायक भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मिले थे। मुलाकात की तस्वीरें सामने आईं जिनमें तीनों विधायक नितिन नबीन के साथ दिखाई दिए। इस मुलाकात के बाद पार्टी में टूट की अटकलें तेज हो गईं। पार्टी के भीतर असंतोष की मुख्य वजह उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को नीतीश कुमार सरकार में मंत्री बनाया जाना है। दीपक प्रकाश न तो विधायक हैं और न ही विधान परिषद के सदस्य।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एनडीए गठबंधन के तहत छह सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटें जीतीं। इनमें बाजपट्टी से रामेश्वर महतो, मधुबनी से माधव आनंद, दिनारा से आलोक कुमार सिंह और सासाराम से स्नेहलता कुशवाहा शामिल हैं। एनडीए की जीत के बाद मंत्रिमंडल में राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक मंत्री पद मिला। उम्मीद थी कि जीते हुए विधायकों में से किसी को या स्नेहलता कुशवाहा को मंत्री बनाया जाएगा लेकिन उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश का नाम आगे किया। दीपक प्रकाश ने 20 नवंबर 2025 को नीतीश कुमार के साथ अन्य मंत्रियों के शपथ ग्रहण में हिस्सा लिया और उन्हें पंचायती राज विभाग का मंत्री बनाया गया। दीपक प्रकाश कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हैं और पहले निजी क्षेत्र में काम कर चुके हैं। वे किसी सदन के सदस्य नहीं हैं लेकिन छह महीने के अंदर विधान परिषद के लिए नामित या चुने जाने की संभावना है।
इस निर्णय के बाद पार्टी में असंतोष बढ़ता गया। 25 दिसंबर 2025 को पार्टी के आठ पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया। इनमें व्यापार प्रकोष्ठ के पूर्व राज्य अध्यक्ष अनंत कुमार गुप्ता सहित सात अन्य पदाधिकारी शामिल हैं। इस्तीफा देने वालों ने पार्टी के मूल सिद्धांतों से विचलन का हवाला दिया। इससे पहले भी पार्टी के कुछ नेताओं ने दीपक प्रकाश की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। राष्ट्रीय लोक मोर्चा एनडीए का सहयोगी दल है और उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सांसद हैं। पार्टी की स्थापना 2023 में हुई थी जब उपेंद्र कुशवाहा ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर नई पार्टी बनाई। 2025 चुनाव में पार्टी की चार सीटों पर जीत ने इसे एनडीए में मजबूत स्थिति दी लेकिन मंत्री पद का आवंटन पार्टी के भीतर विवाद का कारण बन गया। विधायकों की अनुपस्थिति और पदाधिकारियों के इस्तीफे से पार्टी में बगावत के संकेत मिल रहे हैं। तीन विधायकों की भाजपा नेता से मुलाकात ने राजनीतिक हलचलों को बढ़ा दिया है। पार्टी के चार विधायकों में से तीन की दूरी ने उपेंद्र कुशवाहा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। दीपक प्रकाश को मंत्री बनाने का फैसला पार्टी की एकमात्र मंत्री पद का उपयोग था जो एनडीए गठबंधन में मिला था।
इस घटनाक्रम से बिहार की एनडीए सरकार में छोटे दलों की स्थिति पर चर्चा शुरू हो गई है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा की चार सीटें एनडीए की कुल सीटों में योगदान देती हैं लेकिन अब पार्टी की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। विधायकों ने भोज से दूरी बनाकर अपना असंतोष जाहिर किया जबकि पदाधिकारियों ने औपचारिक इस्तीफा देकर विरोध दर्ज किया। दीपक प्रकाश की नियुक्ति नवंबर 2025 में हुई थी जब नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री बने। मंत्रिमंडल में 26 मंत्रियों ने शपथ ली जिनमें राष्ट्रीय लोक मोर्चा से सिर्फ दीपक प्रकाश शामिल हुए। पंचायती राज विभाग बड़ा विभाग माना जाता है लेकिन पार्टी के जीते हुए विधायकों को नजरअंदाज करने से असंतोष पैदा हुआ। पार्टी के भीतर यह विवाद लंबे समय से चल रहा है। चुनाव के बाद से ही कुछ विधायकों ने मंत्री पद की उम्मीद जताई थी विशेषकर रामेश्वर महतो ने। लेकिन दीपक प्रकाश का नाम आगे आने से नाराजगी बढ़ी। अब तीन विधायकों की भाजपा नेता से मुलाकात और पदाधिकारियों के इस्तीफे ने पार्टी की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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