मुंगेर में पत्नी की मौत का सदमा बर्दाश्त न कर सके पति, पत्नी की अर्थी तैयार होते ही तोड़ दिया दम, एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार। 

बिहार के मुंगेर जिले में लल्लू पोखर मोहल्ले में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। इस मोहल्ले के निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता और लॉ कॉलेज के

Dec 24, 2025 - 13:22
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मुंगेर में पत्नी की मौत का सदमा बर्दाश्त न कर सके पति, पत्नी की अर्थी तैयार होते ही तोड़ दिया दम, एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार। 
मुंगेर में पत्नी की मौत का सदमा बर्दाश्त न कर सके पति, पत्नी की अर्थी तैयार होते ही तोड़ दिया दम, एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार। 

बिहार के मुंगेर जिले में लल्लू पोखर मोहल्ले में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। इस मोहल्ले के निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता और लॉ कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर विश्वनाथ सिंह की 82 वर्षीय पत्नी अहिल्या देवी का निधन सोमवार की दोपहर में हो गया। अहिल्या देवी की मौत के बाद परिवार के सभी सदस्य एकत्र हो गए और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की गई। मंगलवार को जब अहिल्या देवी की अर्थी सजाई जा रही थी और शवयात्रा निकलने वाली थी, ठीक उसी समय विश्वनाथ सिंह का भी निधन हो गया। पत्नी की मौत का सदमा उन्हें बर्दाश्त नहीं हुआ और वे भी दुनिया से चले गए। विश्वनाथ सिंह मुंगेर न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता थे और लॉ कॉलेज मुंगेर में प्रोफेसर के रूप में भी कार्य कर चुके थे। उनकी शादी 1961 में भागलपुर जिले के शाहपुर क्षेत्र की रहने वाली अहिल्या देवी से हुई थी। दोनों का वैवाहिक जीवन लंबे समय तक चला और उनके तीन पुत्र तथा तीन पुत्रियां हैं। विश्वनाथ सिंह से शिक्षा प्राप्त कर कई अधिवक्ता आज मुंगेर न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं। अहिल्या देवी की मौत के बाद परिवार में मातम छा गया था, लेकिन विश्वनाथ सिंह का अचानक निधन होने से पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

मां की मौत के तुरंत बाद पिता के निधन की खबर सुनकर आसपास के लोग और मुंगेर न्यायालय के कई अधिवक्ता उनके घर पहुंचे। सभी ने परिवार को ढांढस बंधाया और अंतिम दर्शन किए। दोनों के शव घर में रखे गए और अंतिम संस्कार की तैयारी की गई। परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों ने निर्णय लिया कि दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ किया जाए। एक ही चिता पर विश्वनाथ सिंह और अहिल्या देवी का अंतिम संस्कार किया गया। शवयात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और दोनों को अंतिम विदाई दी गई। यह घटना पूरे लल्लू पोखर मोहल्ले और मुंगेर शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। पत्नी की मौत के सदमे में पति का इस तरह निधन होना परिवार के लिए दोहरा झटका साबित हुआ। विश्वनाथ सिंह की उम्र भी बुजुर्ग थी और वे लंबे समय से परिवार के साथ रह रहे थे। अहिल्या देवी की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी, जबकि विश्वनाथ सिंह का निधन पत्नी के वियोग में सदमे से माना जा रहा है। अंतिम संस्कार के बाद परिवार के सदस्य शोक में डूबे हुए हैं और रिश्तेदार उन्हें सांत्वना दे रहे हैं।

मुंगेर में इस तरह की घटना ने लोगों को भावुक कर दिया है। विश्वनाथ सिंह और अहिल्या देवी का वैवाहिक जीवन कई दशकों तक चला और दोनों साथ-साथ जीवन बिताने के बाद एक ही दिन अंतिम यात्रा पर निकले। परिवार के तीन पुत्र और तीन पुत्रियां अब माता-पिता दोनों को खो चुके हैं। अंतिम संस्कार स्थल पर भीड़ जुटी रही और सभी ने दोनों को श्रद्धांजलि दी। यह घटना दर्शाती है कि लंबे वैवाहिक जीवन में दोनों के बीच गहरा लगाव था। परिवार के सदस्यों ने बताया कि अहिल्या देवी की तबीयत कुछ दिनों से खराब चल रही थी और सोमवार को उनका निधन हो गया। इसके बाद विश्वनाथ सिंह काफी दुखी थे और मंगलवार सुबह जब अर्थी तैयार हो रही थी, तब उनकी तबीयत बिगड़ी और वे भी चल बसे। दोनों का एक साथ अंतिम संस्कार करने का निर्णय परिवार ने मिलकर लिया। शवयात्रा लल्लू पोखर मोहल्ले से निकली और निर्धारित स्थान पर पहुंचकर एक ही चिता पर दोनों का दाह संस्कार किया गया। यह घटना मुंगेर के न्यायिक जगत में भी शोक की लहर दौड़ा दी है। विश्वनाथ सिंह से जुड़े कई अधिवक्ता और पूर्व छात्र उनके घर पहुंचे और परिवार को सहारा दिया। अहिल्या देवी और विश्वनाथ सिंह का निधन एक ही समय में होना पूरे क्षेत्र के लिए दुखद है। परिवार अब दोनों की यादों के साथ जीवन व्यतीत करेगा।

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