‘द लास्ट लेटर’: ब्रिटिश लिंगुआ में छात्रों ने मंचित किया हास्य से भरपूर सामाजिक नाटक।
Patna News: ब्रिटिश लिंगुआ, अंग्रेजी प्रशिक्षण का प्रतिष्ठित संस्थान, शनिवार को एक विशेष सांस्कृतिक अवसर का साक्षी बना, जब छात्रों....

Patna News: ब्रिटिश लिंगुआ, अंग्रेजी प्रशिक्षण का प्रतिष्ठित संस्थान, शनिवार को एक विशेष सांस्कृतिक अवसर का साक्षी बना, जब छात्रों ने अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए ‘द लास्ट लेटर’ नामक एक व्यंग्यात्मक और संवेदनशील नाटक का मंचन किया। यह मौलिक नाटक संस्थान के छात्र अविनाश पांडे द्वारा लिखा गया है, जिसने हास्य, यथार्थ और भावनात्मक गहराई के साथ सामाजिक कार्यों की जमीनी हकीकत को जीवंत कर दिया।
नाटक की कथा एक एनजीओ कार्यालय के परिवेश में रची गई है, जहाँ युवा कर्मचारी अपनी दैनिक जिम्मेदारियों के बीच आपसी संवाद, मानवीय भूल और हास्य के रंग बिखेरते हैं। भाग 2: इनसाइड द एनजीओ ऑफिस में पात्रों के बीच हुआ हल्के-फुल्के तंज और चुटीले संवादों ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया।
एक दृश्य में आशीष टाइप करते हुए कहता है, “मैं अभी कर रहा हूँ, लेकिन समीर ने जो नाम दिए हैं, उसकी हैंडराइटिंग तो जैसे भूकंप में लिखी गई हो!”
इस पर समीर मुस्कराते हुए जवाब देता है, “शायद मैं चाहता हूँ कि तुम हैंडराइटिंग एक्सपर्ट बन जाओ!”
हँसी तब और तेज हो गई जब आशीष ने कहा, “मैंने रिंकू देवी को रिंकू डेविल पढ़ लिया था—शायद वो बचपन में बहुत शरारती रही होगी!”
नाटक के संवादों में सहजता और अभिनय में आत्मीयता ने दर्शकों को न केवल हँसाया बल्कि कार्यस्थलों की सामाजिक सच्चाइयों से भी रूबरू कराया। प्रस्तुति के अंत में विद्यार्थियों, प्रशिक्षकों और अतिथियों ने कलाकारों को तालियों से सराहा।
इस अवसर पर ब्रिटिश लिंगुआ के प्रबंध निदेशक और प्रख्यात लेखक डॉ बीरबल झा ने नाटक की सराहना करते हुए कहा:
“नाटक हमारे समाज को एक काल्पनिक ढंग से दर्शाता है, जो मनोरंजन के साथ-साथ आत्ममंथन का अवसर देता है। यह हमें खुद पर हँसना सिखाता है और बेहतर समाज की कल्पना को प्रेरित करता है।”
उन्होंने आगे कहा:
“जब रंगमंच शिक्षा से जुड़ता है, तब वह न केवल भाषा सिखाने का माध्यम बनता है, बल्कि व्यक्तित्व विकास का भी सशक्त उपकरण बनता है। मैं इस सृजनात्मक प्रयास के लिए अविनाश पांडे और पूरी टीम को बधाई देता हूँ।”
‘द लास्ट लेटर’ केवल एक नाटकीय प्रस्तुति नहीं, बल्कि यह ब्रिटिश लिंगुआ की उस सोच का प्रतीक है जिसमें छात्रों को महज़ अंग्रेज़ी सिखाने तक सीमित नहीं रखा जाता, बल्कि उन्हें सामाजिक दृष्टिकोण, रचनात्मकता और आत्म-प्रकाशन के मंच भी प्रदान किए जाते हैं। इस नाटक के मुख्य कलाकार का निमंलिखित है - ज्योति, संदीप रौशन , पूजा , समीर , एवं अविनाश।
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