Earth Day 2025: माता भूमि पुत्रो अहम् पृथिव्या:...
पृथ्वी के संसाधनों के संरक्षण हेतु पृथ्वी दिवस मनाने का निर्णय १९६९ में लिया गया और प्रथम बार पृथ्वी दिवस २२अप्रैल १९७० को मनाया...

डॉ. ब्रह्मस्वरूप पाण्डेय
से॰नि॰ प्राचार्य, सी.एस.एन. पी. जी. कॉलेज, हरदोई
पृथ्वी दिवस,२२अप्रैल२०२५- पृथ्वी के संसाधनों के संरक्षण हेतु पृथ्वी दिवस मनाने का निर्णय १९६९ में लिया गया और प्रथम बार पृथ्वी दिवस २२अप्रैल १९७० को मनाया गया। इसके पीछे धारणा है कि पृथ्वी के संसाधन सीमित हैं, और जिस गति से उनका विदोहन हो रहा है उससे वे अधिक दिनों तक नहीं चल सकते। अतः मानव के कल्याण हेतु पृथ्वी के संसाधनों (भूमि,गगन,वायु, अग्नि और नीर) का संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक है अन्यथा पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है।
पृथ्वी पर जितना जल है उसका २.५प्रतिशत ही पीने योग्य है शेष खारा है। इस २.५ प्रतिशत का भी केवल २%ही उपलब्ध है जो नदियों, तालाबों तथा झीलों में पाया जाता है शेष हिम के रूप में या भूगर्भ में है।हम कह सकते हैं कि यदि पृथ्वी पर एक बाल्टी जल है तो उसका मात्र एक ग्लास पानी पीने योग्य है जिसका मात्र एक चम्मच प्राप्त है। ऐसे अमूल्य अमृत का संचयन जीवन के लिए अपरिहार्य है।
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हमारा कर्तव्य है कि हम पृथ्वी जो हमारी मां है, उसे हर तरह स्वच्छ एवं संसाधनों से संपन्न रक्खें ताकि हम और हमारी भावी पीढ़ी स्वस्थ एवं दीर्घजीवी हो।
माता भूमि पुत्रो अहम् पृथिव्या:।
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