अयोध्याधाम। सावन में रामलला का होगा विशेष श्रृंगार, चांदी के झूले पर झूलेंगे प्रभु रामलला। 

Jul 15, 2024 - 17:06
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अयोध्याधाम। सावन में रामलला का होगा विशेष श्रृंगार, चांदी के झूले पर झूलेंगे प्रभु रामलला। 
  • श्रावण मास की तृतीया तिथि से मणि पर्वत से शुरू होगा सावन झूला मेला

रामनवमी की भांति ही श्रावण मास में भी नवनिर्मित राममंदिर में झूलनोत्सव को हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। नए मंदिर में विराजमान रामलला का यह पहला सावन का महीना होगा, जब वह झूले पर विशेष शृंगार के साथ प्रतिष्ठित किए जाएंगे। गर्भगृह में झूलनोत्सव श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी नागपंचमी के दिन नौ अगस्त को प्रारंभ होगा। यद्यपि इस पर अंतिम निर्णय ट्रस्ट लेगा, परंतु पूर्व से यही परंपरा है।

श्रावण शुक्ल तृतीया यानी सात अगस्त से मणिपर्वत पर झूलनोत्सव शुरू होगा। जन्मभूमि पर निर्मित भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद चैत्र मास में नवमी तिथि को रामलला का जन्मोत्सव वृहद स्तर पर भव्य रूप से मनाया गया था। इसके लिए ट्रस्ट ने व्यापक तैयारियां की थीं। अब रामलला के लिए यह पहला अवसर होगा, जब वह श्रावण मास में गर्भगृह में झूला झूलेंगे।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पुजारियों के माध्यम से रामलला का विशेष शृंगार करा कर उन्हें झूले पर प्रतिष्ठित कराएगा। शृंगार व झूलनोत्सव की शुरुआत की रूपरेखा तैयार की जा रही है। शीघ्र ही सभी ट्रस्टियों की सहमति से इस पर निर्णय लिया जाना है। वैसे पूर्व की परंपरा के अनुसार रामनगरी में झूलनोत्सव की शुरुआत श्रावण मास की तृतीया तिथि से मणिपर्वत से होती रही है। इसी के साथ ही अधिकांश मठ-मंदिरों में भी झूलनोत्सव शुरू होता है।

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कहीं पखवारे भर तो कहीं पूरे एक माह तक कार्यक्रम होते हैं और ठाकुरजी को विधि-विधान से झूला झुलाया जाता है। राममंदिर में झूलनोत्सव की शुरुआत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से होती रही है। इसी दिन विशेष शृंगार के बाद ठाकुरजी झूले पर विराजते हैं। इस बार श्रावण मास 22 जुलाई से शुरू हो रहा, लेकिन शुक्ल पक्ष पांच अगस्त से प्रारंभ होगा। पंचमी तिथि नौ अगस्त को पड़ रही है। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं, अभी तक तो रामलला को झूले पर पंचमी के दिन से ही झूला झुलाया जाता रहा है। नए मंदिर में भी उसी परंपरा का पालन होगा या बदलाव होगा, इस संबंध में ट्रस्ट जल्द निर्णय लेगा। गर्भगृह के पुजारी आचार्य प्रेमचंद त्रिपाठी बताते हैं, पहला झूलनोत्सव बहुत ही आकर्षक ढंग से मनाया जाएगा।

चांदी के झूले पर विराजेंगे रामलला

नए मंदिर में बालक स्वरूप में विराजमान रामलला को चांदी के झूले पर झूला झुलाया जाएगा। इसकी शुरुआत मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास करेंगे। वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान रहे रामलला के लिए वर्ष 2021 के श्रावण मास में ट्रस्ट ने 21 किलो चांदी का पांच फीट ऊंचा झूला निर्मित कराया था। फिलहाल नए मंदिर में भी उन्हें इसी झूले पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार नया झूला खरीदने के संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

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