भोपाल बाइपास पर बड़ा हादसा टला: मंडीदीप-ईंटखेड़ी के बीच 100 मीटर सड़क धंसने से 20 फुट गहरा गड्ढा, NHAI ने ठहराई MPRDC की जिम्मेदारी।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बाहरी इलाके में सोमवार दोपहर को एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया। मंडीदीप से ईंटखेड़ी के बीच भोपाल बाइपास रोड का करीब 100 मीटर लंबा हिस्सा अचानक

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बाहरी इलाके में सोमवार दोपहर को एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया। मंडीदीप से ईंटखेड़ी के बीच भोपाल बाइपास रोड का करीब 100 मीटर लंबा हिस्सा अचानक धंस गया। इस हादसे से सड़क पर 20 फुट गहरा गड्ढा बन गया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। सौभाग्य से उस समय कोई वाहन या व्यक्ति वहां मौजूद नहीं था, इसलिए कोई हताहत नहीं हुआ। घटना दोपहर 12 से 1 बजे के बीच बिलखिरिया गांव के पास रेलवे ट्रैक के नजदीक हुई। यह सड़क भोपाल-इंदौर बाइपास का हिस्सा है, जो राज्य के प्रमुख राजमार्गों को जोड़ती है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने जिम्मेदारी से इनकार करते हुए कहा कि यह सड़क मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी) के दायरे में आती है। स्थानीय प्रशासन ने तुरंत ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया और जांच शुरू कर दी। यह घटना राज्य में सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रही है, क्योंकि यह बाइपास दस साल से ज्यादा पुराना है।
घटना की जानकारी देते हुए सुखी सेवनिया थाने के प्रभारी ने बताया कि बिलखिरिया क्षेत्र में सड़क का एक बड़ा हिस्सा धंस गया। यह जगह भोपाल जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर है। दोपहर के समय तेज धमाके जैसी आवाज आई, और देखते ही देखते सड़क का 100 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा हिस्सा नीचे धंस गया। गड्ढे की गहराई 20 फुट से ज्यादा बताई जा रही है। स्थानीय लोग वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे, जिसमें रिटेनिंग वॉल गिरती दिख रही है। वीडियो वायरल हो गया, और लोगों ने सड़क की मरम्मत पर सवाल उठाए। ईंटखेड़ी क्षेत्र की एसडीओपी मंजू चौहान ने कहा कि एमपीआरडीसी द्वारा बनाई गई इस सड़क का अचानक धंसना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन समय रहते ट्रैफिक रोक दिया गया। कोई चोट नहीं लगी। प्रशासन ने तुरंत बैरिकेडिंग लगाई और वैकल्पिक मार्गों पर वाहनों को भेजा। भोपाल-इंदौर मार्ग पर भारी वाहनों को डायवर्ट कर दिया गया, जिससे ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति बन गई।
भोपाल बाइपास रोड राज्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भोपाल को इंदौर, होशंगाबाद, जबलपुर, जयपुर, मंडला और सागर जैसे शहरों से जोड़ता है। सड़क की कुल लंबाई करीब 52 किलोमीटर है, जो नेशनल हाईवे-46 के साथ चलती है। यह ग्यारह मिल से शुरू होकर भौरी तक जाती है। मंडीदीप-ईंटखेड़ी खंड औद्योगिक क्षेत्र को जोड़ता है, जहां मंडीदीप का इंडस्ट्रियल एरिया है। यहां से रोजाना हजारों ट्रक और कार गुजरते हैं। घटना के बाद एनएचएआई ने स्पष्ट किया कि यह उनके जिम्मे नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि बाइपास का यह हिस्सा एमपीआरडीसी ने बनाया था, और रखरखाव भी उसी का दायरा है। एमपीआरडीसी ने अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन स्रोतों के अनुसार वे जांच टीम भेज रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के कारण मिट्टी का कटाव या निर्माण में खराब सामग्री इस्तेमाल होने से ऐसा हुआ। मध्य प्रदेश में मानसून के बाद सड़कें कमजोर हो जाती हैं, और ऐसे हादसे आम हैं।
स्थानीय लोगों ने हादसे पर गुस्सा जताया। बिलखिरिया के एक निवासी ने कहा कि सड़क सालों से खराब हालत में है, लेकिन मरम्मत नहीं हुई। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया। एक ट्रक ड्राइवर ने बताया कि डायवर्शन से हमें दो घंटे ज्यादा लग गए। अगर कोई बड़ा वाहन फंस जाता तो बड़ा नुकसान होता। सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर लोग डर गए। एक यूजर ने लिखा कि यह सड़क दस साल पुरानी है, गुणवत्ता पर सवाल है। प्रशासन ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद कारण पता चलेगा। फिलहाल, सड़क को बंद रखा गया है। इंजीनियरों की टीम गड्ढे की माप ले रही है। मरम्मत का काम जल्द शुरू होगा, लेकिन ट्रैफिक सामान्य होने में समय लगेगा। भोपाल कलेक्टर ने बैठक बुलाई और एमपीआरडीसी को नोटिस देने का आदेश दिया।
यह हादसा मध्य प्रदेश में सड़क सुरक्षा पर बहस छेड़ रहा है। राज्य में हर साल सैकड़ों सड़क हादसे होते हैं, और निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहते हैं। भोपाल बाइपास को दस साल पहले बनाया गया था, लेकिन रखरखाव की कमी से समस्या बढ़ी। विशेषज्ञों का कहना है कि रिटेनिंग वॉल कमजोर हो गई थी। बारिश में पानी भरने से मिट्टी धुल गई। एनएचएआई ने अन्य बाइपास की जांच के आदेश दिए हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने 2023 में वेस्टर्न बाइपास प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी, जो मंडीदीप को फंदा से जोड़ेगा। यह 41 किलोमीटर लंबा होगा, लागत 3000 करोड़ रुपये। लेकिन पर्यावरणीय चिंताओं से विवाद में है। रतापानी टाइगर रिजर्व और कोलार डैम के पास से गुजरेगा। भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। अब इस हादसे से प्रोजेक्ट पर और सवाल उठ रहे हैं।
प्रशासन ने राहत कार्य तेज कर दिया। एनडीआरएफ की टीम बुलाई गई, लेकिन जरूरत नहीं पड़ी। डायवर्शन रूट पर ट्रैफिक पुलिस तैनात है। स्थानीय विधायक ने घटनास्थल का दौरा किया और मरम्मत की मांग की। उन्होंने कहा कि एमपीआरडीसी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। भोपाल में ट्रैफिक प्रभावित हुआ। इंदौर जाने वाले वाहनों को वैकल्पिक रास्ते से भेजा गया। यह सड़क औद्योगिक ट्रैफिक का केंद्र है, इसलिए नुकसान ज्यादा। विशेषज्ञों ने सलाह दी कि स्मार्ट मॉनिटरिंग सिस्टम लगाएं। एमपीआरडीसी ने कहा कि वे रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। हादसे से कोई जानमाल का नुकसान न होने पर राहत है, लेकिन गुणवत्ता जांच जरूरी।
मध्य प्रदेश में सड़क हादसे आम हैं। 2024 में 50 हजार से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं। बाइपास जैसे प्रोजेक्ट ट्रैफिक कम करने के लिए हैं, लेकिन रखरखाव न होने से समस्या। यह घटना सरकार को अलर्ट कर रही है। आने वाले दिनों में मरम्मत पूरी होगी। फिलहाल, ड्राइवरों को सतर्क रहने की सलाह। यह हादसा टला, लेकिन सबक लेना जरूरी। सड़कें सुरक्षित हों, तभी विकास संभव।
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