इटली: बुर्का-नकाब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का विधेयक संसद में पेश, मेलोनी सरकार ने 'इस्लामी अलगाववाद' का हवाला दिया
इटली की दक्षिणपंथी सरकार ने बुर्का और नकाब जैसे चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर देशभर में पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया है। यह कदम प्रधानमंत्री

इटली की दक्षिणपंथी सरकार ने बुर्का और नकाब जैसे चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर देशभर में पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया है। यह कदम प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी द्वारा उठाया गया है, जो 'इस्लामी सांस्कृतिक अलगाववाद' को रोकने का दावा कर रही है। विधेयक के तहत सभी सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों, दुकानों, सरकारी कार्यालयों और अस्पतालों में चेहरे को पूरी तरह ढकने वाले वस्त्र पहनना प्रतिबंधित होगा। उल्लंघन करने वालों पर 300 से 3,000 यूरो (लगभग 27,000 से 2.7 लाख रुपये) तक का जुर्माना लगेगा। यह विधेयक न केवल मुस्लिम महिलाओं के पारंपरिक परिधानों को लक्षित करता है, बल्कि जबरन शादियों पर सख्त सजा और धार्मिक संगठनों की विदेशी फंडिंग पर पारदर्शिता के प्रावधान भी शामिल करता है। इटली में मुस्लिम समुदाय ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए विरोध जताया है, जबकि सरकार इसे 'सुरक्षा और सामाजिक एकता' का उपाय बता रही है। यह प्रस्ताव यूरोपीय संघ के अन्य देशों की तरह इटली को भी सांस्कृतिक बहस के केंद्र में ला खड़ा कर दिया है।
विधेयक की घोषणा 8 अक्टूबर 2025 को रोम में हुई। ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी के सांसदों ने इसे संसद में पेश किया। पार्टी के एक प्रमुख नेता एंड्रिया डेलमास्ट्रो ने फेसबुक पर लिखा कि धार्मिक स्वतंत्रता पवित्र है, लेकिन इसे इतालवी संविधान और राज्य के सिद्धांतों का सम्मान करते हुए खुला रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह विधेयक 'धार्मिक कट्टरवाद और धार्मिक घृणा' से निपटने के लिए है। बुर्का एक पूर्ण शरीर ढकने वाला परिधान है, जिसमें आंखों पर जालीदार स्क्रीन होती है, जबकि नकाब चेहरे को ढकता है लेकिन आंखों के आसपास जगह छोड़ता है। विधेयक में स्पष्ट रूप से इन परिधानों का नाम लिया गया है, लेकिन यह किसी भी ऐसे वस्त्र पर लागू होगा जो चेहरा पूरी तरह ढके। इटली में पहले से ही 1975 का एक पुराना कानून चेहरे को ढकने पर रोक लगाता है, लेकिन यह बुर्का-नकाब पर विशेष रूप से लागू नहीं होता। अब यह नया विधेयक इसे राष्ट्रीय स्तर पर सख्त बनाएगा।
यह प्रस्ताव मेलोनी सरकार की दक्षिणपंथी नीतियों का हिस्सा है। जॉर्जिया मेलोनी 2022 से इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं और उनकी पार्टी यूरोप की सबसे मजबूत दक्षिणपंथी ताकतों में से एक है। वे आप्रवासन और इस्लामी कट्टरवाद पर सख्त रुख अपनाती रही हैं। विधेयक में बुर्का-नकाब प्रतिबंध के अलावा जबरन शादियों के लिए कठोर सजाएं, कुंवारीपन परीक्षण पर आपराधिक प्रावधान और उन धार्मिक समूहों पर विदेशी फंडिंग का खुलासा अनिवार्य करने का प्रावधान है, जिनके पास राज्य के साथ औपचारिक समझौता नहीं है। इटली में कोई भी मुस्लिम संगठन ऐसा समझौता नहीं कर पाया है, इसलिए यह मुख्य रूप से मस्जिदों और इस्लामी केंद्रों को प्रभावित करेगा। फंडिंग केवल उन स्रोतों से होनी चाहिए जो राज्य सुरक्षा के लिए खतरा न पैदा करें। डेलमास्ट्रो ने कहा कि यह फ्रांस से प्रेरित है, जहां 2011 में बुर्का पर पूर्ण प्रतिबंध लगा था।
इटली में पहले से ही कुछ क्षेत्रीय स्तर पर ऐसे प्रतिबंध हैं। उदाहरण के लिए, उत्तरी लोम्बार्डी क्षेत्र में 2015 से सार्वजनिक भवनों और अस्पतालों में चेहरा ढकने पर रोक है। मेलोनी की गठबंधन साझेदार लीग पार्टी ने इस साल की शुरुआत में चेहरे ढकने पर सीमित प्रतिबंध का विधेयक पेश किया था, जो अभी संसदीय समिति में विचाराधीन है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दोनों विधेयकों को मिलाकर एक बड़ा कानून बनाया जा सकता है। मेलोनी की गठबंधन सरकार संसद में मजबूत बहुमत रखती है, इसलिए विधेयक पास होने की संभावना अधिक है। हालांकि, बहस की कोई निश्चित समयसीमा घोषित नहीं की गई है। अगर यह कानून बन जाता है, तो इटली उन 20 से अधिक देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जहां बुर्का या पूर्ण चेहरा ढकने पर रोक है। इनमें फ्रांस, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, ट्यूनीशिया, तुर्की और श्रीलंका शामिल हैं।
यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने ऐसे प्रतिबंधों को बार-बार वैध ठहराया है। 2017 में बेल्जियम के बुर्का प्रतिबंध को मंजूरी देते हुए अदालत ने कहा कि राज्य 'सामाजिक एकजुटता' की रक्षा के लिए ऐसे कदम उठा सकते हैं। इटली में मुस्लिम आबादी करीब 30 लाख है, जो कुल जनसंख्या का 5 प्रतिशत है। अधिकांश उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व से आए प्रवासियों के वंशज हैं। मुस्लिम संगठनों ने विधेयक का कड़ा विरोध किया है। इटालियन इस्लामिक रिलीजियस कम्युनिटी के प्रवक्ता इमाद जर्गा ने कहा कि यह महिलाओं की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है और इटली के संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि बुर्का-नकाब पहनना व्यक्तिगत पसंद है, न कि कट्टरवाद का प्रतीक। रोम में मुस्लिम महिलाओं ने प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने बैनर दिखाए कि 'मेरा चेहरा, मेरा अधिकार'। विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी ने इसे 'इस्लामोफोबिया' का उदाहरण बताया और कहा कि यह यूरोपीय संघ के मूल्यों के खिलाफ है।
सरकार का पक्ष है कि यह सुरक्षा का मुद्दा है। मेलोनी ने कहा कि चेहरा ढकने से पहचान मुश्किल होती है, जो सार्वजनिक स्थानों पर खतरा पैदा करती है। उन्होंने इसे 'सांस्कृतिक एकीकरण' का हिस्सा बताया। इटली में हाल के वर्षों में इस्लामी कट्टरवाद से जुड़े कुछ हमले हुए हैं, जैसे 2015 का पेरिस हमला जिसका असर यूरोप भर में पड़ा। लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का बहाना है। यूरोपीय संघ की संसदीय समिति ने चिंता जताई है कि ऐसे कानून प्रवासियों को अलग-थलग कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। इटली में मुस्लिम महिलाओं का अनुमान है कि करीब 10,000 से 15,000 बुर्का या नकाब पहनती हैं, मुख्य रूप से रोम, मिलान और नेपल्स जैसे शहरों में।
यह विधेयक इटली की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। मेलोनी की लोकप्रियता आप्रवासन विरोधी नीतियों से बनी है। 2024 के यूरोपीय चुनावों में उनकी पार्टी ने 28 प्रतिशत वोट हासिल किए। लेकिन मुस्लिम वोटरों का असर कम है। लीग पार्टी के नेता माटेओ साल्विनी ने इसका समर्थन किया, लेकिन कहा कि इसे और सख्त बनाना चाहिए। विपक्ष ने संसद में बहस की मांग की है। अगर विधेयक पास होता है, तो 2026 के स्थानीय चुनावों में इसका असर दिखेगा। इटली में पहले से ही स्कूलों में हिजाब पर बहस चल रही है। कुछ शहरों में हिजाब प्रतिबंधित है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नहीं।
यह मुद्दा यूरोप के व्यापक संदर्भ में है। फ्रांस में 2011 का बुर्का बैन महिलाओं के अधिकारों पर बहस का विषय बना। बेल्जियम और नीदरलैंड्स में भी ऐसे कानून हैं। स्विट्जरलैंड ने 2021 में जनमत संग्रह से बुर्का प्रतिबंधित किया। लेकिन इन कानूनों की आलोचना भी होती है। Amnesty International ने कहा कि यह इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देता है। इटली में मुस्लिम संगठन अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे कहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 3 में समानता का प्रावधान है।
कुल मिलाकर, यह विधेयक इटली में सांस्कृतिक और धार्मिक बहस को तेज कर देगा। सरकार का कहना है कि यह सुरक्षा के लिए जरूरी है, जबकि विपक्ष इसे भेदभावपूर्ण बताता है। संसद में बहस से साफ होगा कि इटली का भविष्य कैसा होगा। मुस्लिम महिलाओं के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है। उम्मीद है कि संवाद से समाधान निकले।
Also Read- Lucknow : चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास, धैर्य और निरंतर सीखने से करें: प्रमुख सचिव
What's Your Reaction?






