आचार्य धीरेंद्र शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 2.0: दिल्ली से वृंदावन तक 145 किमी का संकल्प, जातिवाद मिटाने का आह्वान।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 7 नवंबर 2025 को दिल्ली के छतरपुर स्थित कात्यायनी माता मंदिर से सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 2.0 का शुभारंभ
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 7 नवंबर 2025 को दिल्ली के छतरपुर स्थित कात्यायनी माता मंदिर से सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 2.0 का शुभारंभ किया। यह 10 दिवसीय यात्रा 16 नवंबर तक चलेगी और दिल्ली, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के इलाकों से होकर गुजरेगी। यात्रा की कुल दूरी लगभग 145 किलोमीटर है, जो वृंदावन धाम में समाप्त होगी। आचार्य धीरेंद्र ने कहा कि यह यात्रा हिंदू समाज में एकता स्थापित करने, जातिवाद की जड़ें उखाड़ने और राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि हिंदुओं के सशक्तिकरण और उनके बच्चों के भविष्य की रक्षा के लिए है। यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं, जबकि जया किशोरी जैसे धार्मिक वक्ताओं ने इसका समर्थन किया है। यह पदयात्रा सनातन संस्कृति को मजबूत करने का एक वैचारिक प्रयास है, जो सोशल मीडिया और स्थानीय समुदायों में चर्चा का विषय बन चुकी है।
आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा गांव में हुआ था। मात्र 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने बागेश्वर धाम की कमान संभाली और आज लाखों भक्तों के प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। उनकी वाणी में सनातन धर्म की गहराई और सामाजिक जागरूकता का मिश्रण है, जो युवाओं को आकर्षित करता है। यह पदयात्रा उनकी पिछली यात्राओं का विस्तार है। 2023 में उन्होंने पहली हिंदू एकता पदयात्रा निकाली थी, जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सफल रही। अब यह 2.0 संस्करण राष्ट्रीय स्तर पर फैल रहा है। आचार्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "जातिवाद ने इस देश को खोखला कर दिया है। हम राष्ट्रवाद चाहते हैं, विचारों की लड़ाई में विश्वास रखते हैं। हिंदू बच्चे सुरक्षित रहें, देश का इस्लामीकरण न हो, दंगे न हों और गंगा जैसी संस्कृति फैले।" उन्होंने जोर दिया कि यात्रा हिंदू एकता पर केंद्रित है, न कि किसी के खिलाफ। पड़ोसी देशों जैसे हालात भारत में न आएं, इसके लिए हिंदू राष्ट्र की भावना जरूरी है।
यात्रा का शुभारंभ 7 नवंबर सुबह 10 बजे कात्यायनी माता मंदिर से हुआ। पहले दिन दिल्ली के दक्षिणी इलाकों से गुजरते हुए यात्रा हरियाणा की ओर बढ़ी। 8 नवंबर को यह फरीदाबाद के एनआईटी दशहरा मैदान पहुंचेगी, जहां लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। 9 से 14 नवंबर तक यात्रा हरियाणा और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से होकर चलेगी, जहां गांव-गांव में भजन-कीर्तन और प्रवचन होंगे। 15 नवंबर को मथुरा पहुंचकर यात्रा ब्रजमंडल के संतों से आशीर्वाद लेगी। अंतिम दिन 16 नवंबर को वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में समापन होगा। कुल दूरी 145 किलोमीटर होने के बावजूद प्रतिदिन 15-20 किलोमीटर पैदल चलने का प्लान है। यात्रा में भगवा झंडे, नारे और सनातन साहित्य बांटने का प्रावधान है। आचार्य धीरेंद्र पैदल आगे चलेंगे, जबकि श्रद्धालु जत्थों में शामिल होंगे। अनुमान है कि 40 हजार से ज्यादा लोग इसमें भाग लेंगे। दिल्ली पुलिस ने 7 नवंबर को कुछ सड़कों पर ट्रैफिक डायवर्जन का ऐलान किया है।
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज में व्याप्त जातिगत विभेद को समाप्त करना है। आचार्य ने कहा, "जातिवाद ऊंच-नीच का प्रतीक है, जो विदेशी ताकतों ने बोया। हम जातियां मिटाना नहीं चाहते, बल्कि एकता का संदेश फैलाना चाहते हैं।" यात्रा के दौरान सनातन धर्म की एकजुटता पर जोर दिया जाएगा। ब्रजमंडल में मांस-मदिरा पर प्रतिबंध, यमुना नदी की सफाई, गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुद्दे पर जागरूकता फैलाई जाएगी। आचार्य ने अपील की, "हिंदुत्ववादी विचारधारा वाले सभी लोग जुड़ें। यह यात्रा हिंदू राष्ट्र की नींव रखेगी।" यात्रा में अयोध्या धाम, हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य तीर्थों के संत शामिल होंगे। वृंदावन के संतों ने इसे राष्ट्रीय महायज्ञ करार दिया। जया किशोरी ने वीडियो संदेश जारी कर समर्थन दिया। उन्होंने कहा, "यह सनातन संस्कृति, धर्म, प्रेम और राष्ट्रीय एकता का प्रसार करेगी।" जया किशोरी और आचार्य धीरेंद्र की जोड़ी पहली बार एक मंच पर नजर आएगी, जो चर्चा का विषय बनी हुई है।
यात्रा की तैयारी महीनों से चल रही थी। सितंबर 2025 में वृंदावन में संतों की बैठक हुई, जहां रणनीति बनी। आचार्य ने बुंदेलखंड के लोगों को विशेष निमंत्रण दिया। छतरपुर जिले के लोग 15-16 नवंबर को वृंदावन पहुंचेंगे। यात्रा में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। आचार्य ने चेतावनी दी कि कुछ लोग भेष बदलकर बाधा डाल सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमें चिंता है कि विदेशी ताकतें या फूट डालने वाले यात्रा को बदनाम करेंगे। लेकिन हम विचारों से लड़ेंगे।" यात्रा में मुस्लिम समाज के लोग भी समर्थन दे रहे हैं, जो आचार्य को गर्व की बात लगती है। उन्होंने कहा, "जो हिंदुत्व की भावना मानते हैं, वे हमारे साथ हैं।" यह पहली बार है जब यात्रा में अन्य समुदायों का समर्थन दिख रहा है। सोशल मीडिया पर #SanatanHinduEktaPadyatra ट्रेंड कर रहा है। भक्त वीडियो और फोटो शेयर कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "आचार्य जी की यात्रा हिंदू जागरण की मशाल बनेगी।"
यह पदयात्रा सनातन धर्म के लिए मील का पत्थर साबित होगी। आचार्य धीरेंद्र की लोकप्रियता युवाओं में है, जो जातिवाद से त्रस्त हैं। यात्रा से ग्रामीण इलाकों में जागरूकता फैलेगी। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसी पहलें सामाजिक एकता को मजबूत करती हैं। लेकिन कुछ आलोचक इसे राजनीतिक रंग देने का प्रयास बता रहे हैं। आचार्य ने खारिज करते हुए कहा, "यह धार्मिक और सांस्कृतिक है।" यात्रा के दौरान प्रवचन होंगे, जहां रामायण, महाभारत और वेदों के संदेश दिए जाएंगे। भोजन और जल की व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए की गई है। महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष जत्थे बनाए गए हैं। दिल्ली से वृंदावन का मार्ग ऐतिहासिक है, जो भक्ति स्थलों से गुजरता है। यात्रा का समापन बांके बिहारी मंदिर में भजन-आरती से होगा।
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