Pilibhit: प्राकृतिक खेती से बढ़ रही किसानों की आय - सोनालिका सिंह
किसानों को रसायनों और बाहरी उर्वरकों का प्रयोग किए बिना प्राकृतिक खेती करनी चाहिए प्राकृतिक खेती करने से जमीन और मानव
- सरकार व वैज्ञानिक संस्थान प्राकृतिक खेती के बढ़ावा के लिए कर रहे सहयोग
रिपोर्ट - कुँवर निर्भय सिंह
पीलीभीत: किसानों को रसायनों और बाहरी उर्वरकों का प्रयोग किए बिना प्राकृतिक खेती करनी चाहिए प्राकृतिक खेती करने से जमीन और मानव का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। यह बात माधोटांडा स्थित गोमती उद्गम स्थल पर आयोजित एक दिवसीय नमामि गंगे द्वारा प्राकृतिक खेती पर किसान जागरूकता कार्यशाला में राज्य स्वच्छ गंगा मिशन यूपी की यूनिट हेड सोनालिका सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को प्राकृतिक खेती करने के फायदे भी बताएं। जिसमें सैकड़ों किसानों ने प्रतिभाग किया।
माधोटांडा स्थित गोमती उद्गम तीर्थ स्थल पर मल्टीपरपज हाल में नमामि गंगे द्वारा प्राकृतिक खेती पर एकदिवसीय किसान जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन का शुभारंभ राज्य स्वच्छ गंगा मिशन उत्तर प्रदेश की यूनिट हेड सोनालिका सिंह ने माँ गोमती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया उनके साथ इस अवसर पर उप प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चौहान भी मौजूद रहे।
प्राकृतिक खेती कार्यशाला में किसानों को संबोधित करते हुए राज्य स्वच्छ गंगा मिशन उत्तर प्रदेश की यूनिट हेड सोनालिका सिंह ने बताया । कि प्राकृतिक खेती से जहां उत्पादन लागत में कमी आती है, वहीं किसानों की आमदनी में भी वृद्धि हो रही है। केंद्र और राज्य सरकारें प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रशिक्षण शिविर, किसान गोष्ठियां और प्रदर्शन प्लान के माध्यम से किसानों को जागरूक कर रही हैं। जनपद के कृषि विज्ञान केन्द्र के डाक्टर एस एस ढाका ने कहा गोबर, गौमूत्र, जीवामृत, घनजीवामृत और बीजामृत जैसे प्राकृतिक संसाधनों से तैयार खाद व कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ रही है और फसलों की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। जिले के प्राकृतिक खेती करने वाले उन्नतशील किसान गौरव चौधरी ने कहा कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर होने वाला खर्च लगभग समाप्त हो गया है, जबकि बाजार में प्राकृतिक उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण उन्हें बेहतर मूल्य मिल रहा है।
उप निदेशक कृषि राम मिलन सिंह परिहार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा प्राकृतिक खेती न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार प्राकृतिक खेती से जुड़ी योजनाओं के तहत किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। कृषि विभाग का दावा है कि आने वाले समय में प्राकृतिक खेती का दायरा और बढ़ेगा, जिससे खेती टिकाऊ बनेगी और किसान आत्मनिर्भर बनेंगे।
उप प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चौहान, द्वारा अवगत कराया गया है कि टेहरी के द्वारा शुरू की गयी कार्बन क्रेडिट योजना के तहत 7 यूकेलिप्टस के पौधे लगाने पर रुपये 500 के हिसाब से किसानो को दिया जायेगा इससे किसानो को खेती के साथ आर्थिक लाभ होगा। कार्यक्रम का संचालन जिला गंगा समिति के नामित सदस्य निर्भय सिंह ने किया। कार्यक्रम में सहायक विकास अधिकारी दिलीप कुमार,जिला परियोजना अधिकारी सौरभ प्रताप सिंह, कनिष्ठ अनुसंधान सहायक डॉ. आदर्श कुमार, गंगा समिति के सदस्य योगेश्वर सिंह,अजय सिंह, राजवर्धन सिंह, श्रीराम कश्यप, गीता रानी, सविता, ममता देवी सहित सैकड़ों किसान मौजूद रहे।
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