Jumped Deposit Scam: UPI यूजर्स के लिए नया खतरा, बिना OTP खाता हो सकता है खाली।
भारत में डिजिटल पेमेंट्स की बढ़ती लोकप्रियता के साथ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का उपयोग तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही साइबर ठगों
भारत में डिजिटल पेमेंट्स की बढ़ती लोकप्रियता के साथ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का उपयोग तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही साइबर ठगों के नए तरीके भी सामने आ रहे हैं। इनमें से एक नया स्कैम है जंप्ड डिपॉजिट स्कैम, जो UPI यूजर्स को निशाना बना रहा है। इस स्कैम में ठग पीड़ित के बैंक खाते में छोटी रकम ट्रांसफर करते हैं ताकि पीड़ित की जिज्ञासा जगाई जा सके।
इस स्कैम की शुरुआत तब होती है जब ठग UPI के जरिए पीड़ित के खाते में छोटी राशि, जैसे 50 रुपये या 400 रुपये या 5000 रुपये तक, भेजते हैं। इस ट्रांसफर से पीड़ित को SMS नोटिफिकेशन मिलता है, जिससे वह अपनी बैंक बैलेंस चेक करने के लिए UPI ऐप या बैंकिंग ऐप खोलता है। बैलेंस चेक करने के लिए यूजर को अपना UPI PIN डालना पड़ता है। ठीक इसी समय ठग एक बड़ा कलेक्ट रिक्वेस्ट भेजते हैं, जैसे 500 रुपये या उससे अधिक। पीड़ित जब ऐप में PIN डालता है तो अनजाने में वह बड़ा पेमेंट रिक्वेस्ट अप्रूव हो जाता है और उसके खाते से बड़ी रकम ठग के पास चली जाती है। ठग छोटी रकम भेजकर नेट लाभ कमाते हैं, जैसे छोटी रकम माइनस बड़ी रकम का अंतर। कई मामलों में ठग पीड़ित को फोन करके कहते हैं कि गलती से पैसे ट्रांसफर हो गए हैं और वापस करने की गुजारिश करते हैं। वे भावनात्मक अपील करते हैं या जल्दबाजी दिखाते हैं ताकि पीड़ित जल्दी से ऐप खोलकर पेमेंट कर दे। कुछ मामलों में ठग फेक स्टोरी बनाते हैं कि पैसे गलती से भेजे गए हैं और रिफंड के लिए बड़ी रकम वापस भेजने को कहते हैं।
यह स्कैम दिसंबर 2024 से चर्चा में आया जब तमिलनाडु पुलिस की साइबर क्राइम विंग ने इसकी चेतावनी जारी की। उन्होंने बताया कि ठग अनचाही छोटी डिपॉजिट भेजकर पीड़ित की जिज्ञासा का फायदा उठाते हैं। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर इस तरह की शिकायतें बढ़ी हैं। ठग अक्सर अनजान नंबरों से छोटी रकम भेजते हैं ताकि पीड़ित ऐप चेक करे। UPI में कलेक्ट रिक्वेस्ट एक फीचर है जहां कोई यूजर दूसरे से पैसे मांग सकता है। अगर पीड़ित इसे अप्रूव करता है तो पैसे उसके खाते से कट जाते हैं। इस स्कैम में ठग इसी फीचर का दुरुपयोग करते हैं। वे टाइमिंग का ध्यान रखते हैं कि पीड़ित PIN डालते ही रिक्वेस्ट अप्रूव हो जाए। इस स्कैम से बचने के लिए अगर अनचाही रकम क्रेडिट हो तो 15 से 30 मिनट इंतजार करें क्योंकि कलेक्ट रिक्वेस्ट कुछ समय बाद एक्सपायर हो जाता है। अगर तुरंत चेक करना हो तो जानबूझकर गलत PIN डालें ताकि कोई पेंडिंग रिक्वेस्ट डिक्लाइन हो जाए। अनजान डिपॉजिट की जानकारी बैंक को दें और उसकी सत्यता जांचें।
अगर स्कैम का शिकार हो जाएं तो तुरंत नजदीकी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं या नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट करें। जल्दी रिपोर्ट करने से पैसे रिकवर होने की संभावना बढ़ती है। UPI PIN कभी किसी से शेयर न करें और मजबूत PIN रखें। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने जनवरी 2025 में स्पष्टीकरण जारी किया कि UPI प्लेटफॉर्म पर इस तरह के फ्रॉड के कोई मामले दर्ज नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ ऐप खोलने या PIN डालने से कोई ट्रांजेक्शन ऑटोमैटिक अप्रूव नहीं होता। यूजर को खुद पेमेंट रिक्वेस्ट पर जाकर पे ऑप्शन चुनना पड़ता है और PIN डालना पड़ता है।
NPCI ने बताया कि रिपोर्ट्स में कुछ तकनीकी गलतियां थीं जिससे यूजर्स में अनावश्यक पैनिक फैला। उन्होंने कहा कि UPI डिवाइस बेस्ड सिस्टम है जो यूजर के मोबाइल नंबर और डिवाइस से सुरक्षित रूप से जुड़ा होता है। कोई ट्रांजेक्शन बिना यूजर की स्पष्ट अप्रूवल के नहीं होता। बैलेंस चेक करने के लिए PIN डालना अलग ट्रांजेक्शन है और पेमेंट अलग। इसके बावजूद ठग मनोवैज्ञानिक तरीके से यूजर्स को दबाव डालकर या फेक लिंक्स भेजकर ट्रिक करते हैं। अगर यूजर फेक लिंक पर PIN डाले तो खतरा होता है। NPCI ने यूजर्स को सतर्क रहने और UPI का सुरक्षित उपयोग जारी रखने की सलाह दी।
यह स्कैम डिजिटल पेमेंट्स की सुविधा का दुरुपयोग दिखाता है जहां छोटी डिपॉजिट से बड़ी लूट की जाती है। UPI में पैसे रिसीव करने के लिए PIN की जरूरत नहीं पड़ती, सिर्फ भेजने के लिए पड़ती है। ठग इसी बात का फायदा उठाते हैं। कई विशेषज्ञों के अनुसार यह स्कैम फिशिंग या इमोशनल मैनिपुलेशन का मिश्रण है जहां यूजर खुद ट्रांजेक्शन अप्रूव कर देता है। अनचाही डिपॉजिट को इग्नोर करना या बैंक से वेरिफाई करना सबसे सुरक्षित है। UPI ट्रांजेक्शन की संख्या बढ़ने के साथ फ्रॉड केस भी बढ़े हैं लेकिन जागरूकता से इन्हें रोका जा सकता है। इस स्कैम में ठग अक्सर अलग-अलग UPI ID का उपयोग करते हैं और छोटी रकम कई यूजर्स को भेजकर बड़े स्तर पर प्रयास करते हैं। कुछ मामलों में ठग रिफंड या कैशबैक का लालच देते हैं। UPI की सुरक्षा फीचर्स मजबूत हैं लेकिन यूजर की सतर्कता जरूरी है।
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