क्या 15,000 रुपये के ड्रोन के लिए 15 लाख की मिसाइल दागना उचित?, कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार (Vijay Wadettiwar) ने उठाए सवाल, 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विवाद
नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए, विजय वडेट्टीवार (Vijay Wadettiwar) ने कहा, "पाकिस्तान ने 5,000 चीनी ड्रोन भेजे, जिनकी कीमत 15,000 रुपये प्रति ड्रोन थी। लेकिन भारत ने इन सस्ते ड्रोनों को नष्ट करने ....

नागपुर: महाराष्ट्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधायक विजय वडेट्टीवार (Vijay Wadettiwar) ने हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य तनाव और 'ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)' को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान द्वारा भेजे गए 15,000 रुपये की लागत वाले सस्ते चीनी ड्रोनों को नष्ट करने के लिए भारत ने 15 लाख रुपये की महंगी मिसाइलों का इस्तेमाल किया। वडेट्टीवार ने सरकार से इस कार्रवाई की पारदर्शिता और लागत पर सवाल उठाते हुए स्पष्टीकरण की मांग की है। इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे "राष्ट्रविरोधी" और "सेना का मनोबल तोड़ने वाला" करार दिया है।
'ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)' 7 मई 2025 को शुरू किया गया था, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam) में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया और जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इसके बाद, पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात को भारत के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिन्हें भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने नाकाम कर दिया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत ने S-400 ट्रायम्फ, बराक-8, आकाश मिसाइल सिस्टम, और DRDO की एंटी-ड्रोन तकनीकों का उपयोग कर 600 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोनों को मार गिराया।
वडेट्टीवार का विवादित बयान
नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए, विजय वडेट्टीवार (Vijay Wadettiwar) ने कहा, "पाकिस्तान ने 5,000 चीनी ड्रोन भेजे, जिनकी कीमत 15,000 रुपये प्रति ड्रोन थी। लेकिन भारत ने इन सस्ते ड्रोनों को नष्ट करने के लिए 15 लाख रुपये की मिसाइलें दागीं। यह चीन की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। क्या सरकार से यह पूछना गलत है कि युद्ध में कितना नुकसान हुआ? क्या हमने राफेल जैसे महंगे लड़ाकू विमान भी खो दिए?" उन्होंने यह भी दावा किया कि चर्चा है कि भारत के 3-4 राफेल विमान पाकिस्तान द्वारा मार गिराए गए, हालांकि उन्होंने इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं की।
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वडेट्टीवार ने सरकार से मांग की कि वह ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान हुए नुकसान, सैन्य खर्च, और रणनीति पर पारदर्शिता बरते। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछना जनता का अधिकार है। अगर हम यह पूछते हैं कि क्या अमेरिका के दबाव में युद्धविराम हुआ या कितना खर्च हुआ, तो इसमें गलत क्या है?"
बीजेपी का पलटवार
वडेट्टीवार के बयान पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "जिन लोगों को खेती में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन और युद्ध में इस्तेमाल होने वाले कॉम्बैट ड्रोन में फर्क नहीं पता, उन्हें क्या जवाब देना? कांग्रेस का एकमात्र उद्देश्य सेना का मनोबल तोड़ना और देश की रक्षा प्रणाली पर सवाल उठाना है।" फडणवीस ने वडेट्टीवार को "मूर्ख" करार देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की कमी को दर्शाती हैं।
बीजेपी समर्थकों और सोशल मीडिया यूजर्स ने भी वडेट्टीवार की आलोचना की। X पर कई यूजर्स ने उन्हें "पाकिस्तान का प्रवक्ता" और "गद्दार" तक कह डाला। एक यूजर ने लिखा, "कांग्रेस नेता खुले तौर पर पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। क्या वे भारत में चुनाव लड़ रहे हैं या पाकिस्तान के लिए प्रचार कर रहे हैं?"
कांग्रेस का बचाव
कांग्रेस ने अपने नेता के बयान का बचाव करते हुए कहा कि सवाल उठाना विपक्ष का अधिकार है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) को "छुटपुट युद्ध" कहकर पहले ही विवाद खड़ा किया था। वडेट्टीवार ने खरगे के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को सैन्य कार्रवाइयों के परिणाम और खर्चों की जानकारी जनता के साथ साझा करनी चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या आतंकियों के पास धर्म पूछकर हमला करने का समय था, जिसे बीजेपी ने "आतंकवाद का समर्थन" करने वाला बयान करार दिया।
सैन्य विशेषज्ञों की राय
सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि वडेट्टीवार का दावा तकनीकी रूप से सही हो सकता है, क्योंकि सस्ते ड्रोनों को मार गिराने के लिए महंगी मिसाइलों का उपयोग असामान्य नहीं है। एक रक्षा विशेषज्ञ ने बताया, "युद्ध में लागत-प्रभावशीलता से ज्यादा खतरे को तुरंत खत्म करना प्राथमिकता होती है। भारत के पास S-400 और बराक-8 जैसे उन्नत सिस्टम हैं, जो महंगे हैं, लेकिन इनकी सटीकता और रेंज बेजोड़ है।" हालांकि, विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि राफेल विमानों के नष्ट होने का दावा बिना सबूत के गैर-जिम्मेदाराना है, क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने ऐसी किसी हानि की पुष्टि नहीं की है।
सोशल मीडिया पर वडेट्टीवार के बयान ने तीखी बहस छेड़ दी है। कुछ यूजर्स ने उनके सवालों को जायज ठहराया, तो कई ने इसे सेना का अपमान बताया। X पर एक यूजर ने लिखा, "पाकिस्तान के सस्ते ड्रोन और मिसाइलें 'मेड इन चाइना' थीं, जो फुस्स हो गईं। भारत ने सही जवाब दिया, लेकिन लागत पर सवाल उठाना गलत नहीं।" वहीं, एक अन्य यूजर ने तंज कसते हुए कहा, "पाकिस्तान ने मच्छर मारने वाले ड्रोन भेजे, और कांग्रेस इसे राफेल से जोड़ रही है।"
क्या है सच्चाई?
रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान भारत ने पाकिस्तान के 600 से अधिक ड्रोनों को नष्ट किया, जिनमें ज्यादातर चीनी निर्मित DJI सैन्य ड्रोन थे। भारतीय सेना ने S-400, बराक-8, और आकाश मिसाइल सिस्टम के साथ-साथ एकीकृत काउंटर-UAS ग्रिड का उपयोग किया, जो 1,800 किमी के हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम है। हालांकि, मिसाइलों की लागत और राफेल विमानों के नुकसान के दावों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
पाकिस्तान ने भी अपने हमलों में PL-15 मिसाइलों और JF-17, F-16 जैसे लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने इन्हें नाकाम कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल कुछ वीडियो, जिनमें पाकिस्तानी हमले का दावा किया गया, को फर्जी पाया गया है।
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