मध्य प्रदेश कफ सिरप कांड: जहरीली कोल्ड्रिफ दवा से 21 बच्चों की मौत, कंपनी मालिक रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। यहां सर्दी-खांसी के इलाज के लिए दी गई एक कफ सिरप कोल्ड्रिफ ने अब तक 21 मासूम बच्चों

Oct 9, 2025 - 11:43
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मध्य प्रदेश कफ सिरप कांड: जहरीली कोल्ड्रिफ दवा से 21 बच्चों की मौत, कंपनी मालिक रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार
मध्य प्रदेश कफ सिरप कांड: जहरीली कोल्ड्रिफ दवा से 21 बच्चों की मौत, कंपनी मालिक रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। यहां सर्दी-खांसी के इलाज के लिए दी गई एक कफ सिरप कोल्ड्रिफ ने अब तक 21 मासूम बच्चों की जान ले ली है। यह सिरप तमिलनाडु की चेन्नई स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी द्वारा बनाया गया था। कंपनी के मालिक 73 वर्षीय जी. रंगनाथन को मध्य प्रदेश पुलिस ने चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी एक लंबी तलाश के बाद हुई, जिसमें पुलिस ने कई दिनों तक आरोपी की गतिविधियों पर नजर रखी। इस मामले ने दवा उद्योग की लापरवाही और नियामक तंत्र की कमजोरी को सामने ला दिया है।

यह कांड सितंबर 2025 के अंत में शुरू हुआ। छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र में एक निजी क्लिनिक के डॉक्टर प्रवीण सोनी ने बच्चों को सर्दी-खांसी की शिकायत पर कोल्ड्रिफ कफ सिरप लिखा। कुछ ही दिनों में बच्चे बीमार पड़ने लगे। उनके किडनी फेल हो गईं और कई की मौत हो गई। शुरुआत में डॉक्टरों को लगा कि यह वायरल इंफेक्शन है, लेकिन जांच में सिरप में जहरीला पदार्थ डायएथिलीन ग्लाइकॉल यानी डीईजी पाया गया। तमिलनाडु की लैब रिपोर्ट के अनुसार, सिरप के सैंपल में 48.6 प्रतिशत डीईजी था, जो एक खतरनाक औद्योगिक रसायन है। यह पदार्थ एंटीफ्रीज और ब्रेक फ्लूइड में इस्तेमाल होता है और थोड़ी मात्रा में ही किडनी को नष्ट कर सकता है। मध्य प्रदेश की लैब में भी 46.2 प्रतिशत डीईजी मिला।

पहले मामले की रिपोर्ट 28 सितंबर को आई, जब दो भाई-बहन की मौत हुई। फिर यह सिलसिला बढ़ता गया। 4 अक्टूबर तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी थी। सभी बच्चे दो से पांच साल के थे। उनके परिवार गरीब थे और सरकारी अस्पतालों में इलाज के अभाव में निजी क्लिनिक पर निर्भर थे। डॉक्टर सोनी ने करीब 50 बच्चों को यह सिरप दिया था। इनमें से कई अब भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहे हैं। बैतूल जिले में भी दो मौतें हुईं। राजस्थान में छह और मामले सामने आए, जहां सिरप से बच्चों को नुकसान पहुंचा। कुल मिलाकर, यह सिरप कई राज्यों में बिक रहा था, लेकिन मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा।

सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे बेहद दुखद बताया और उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। 4 अक्टूबर को कोल्ड्रिफ सिरप और श्रीसन कंपनी की सभी दवाओं पर मध्य प्रदेश में प्रतिबंध लगा दिया गया। दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, पंजाब और अरुणाचल प्रदेश जैसे आठ राज्यों ने भी बैन किया। छिंदवाड़ा पुलिस ने विशेष जांच दल या एसआईटी का गठन किया, जिसकी कमान जबलपुर की एडीशनल एसपी अंजना तिवारी संभाल रही हैं। एसआईटी में सात सदस्य थे, जिनमें महिला अधिकारी, साइबर विशेषज्ञ और ड्रग इंस्पेक्टर शामिल थे। उन्होंने 5 अक्टूबर को ही चेन्नई पहुंचकर जांच शुरू की।

डॉक्टर प्रवीण सोनी को 4 अक्टूबर की रात गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने बिना गुणवत्ता जांचे सिरप लिखा। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (हत्या के समान अपराध), 276 (दवा में मिलावट) और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 27ए के तहत एफआईआर दर्ज की। सोनी को छिंदवाड़ा कोर्ट में पेश किया गया, जहां जमानत याचिका खारिज हो गई। खाद्य एवं औषधि विभाग के तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया। कंपनी के खिलाफ भी एफआईआर हुई। रंगनाथन पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित था।

रंगनाथन की गिरफ्तारी 8 अक्टूबर की मध्य रात्रि को हुई। परासिया के एसडीओपी जितेंद्र जाट के नेतृत्व में टीम ने चेन्नई के कोडंबक्कम इलाके में उनके आवास पर धावा बोला। लगभग 1:30 बजे उन्हें हिरासत में लिया गया। फिर उन्हें कांचीपुरम की फैक्ट्री ले जाया गया, जहां महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए। रंगनाथन को चेन्नई कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां ट्रांजिट रिमांड मांगा जाएगा। उसके बाद उन्हें छिंदवाड़ा लाया जाएगा। पुलिस का कहना है कि रंगनाथन और उनकी पत्नी फरार थे। पड़ोसियों ने बताया कि कंपनी का ऑफिस खाली कर दिया गया था। फैक्ट्री सील हो चुकी है।

श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स 1990 में निजी फर्म के रूप में शुरू हुई। यह चेन्नई-बेंगलुरु हाईवे पर 2000 वर्ग फुट की यूनिट है। कंपनी कफ सिरप, प्रोटीन पाउडर और हर्बल उत्पाद बनाती थी। लेकिन जांच में कई खामियां मिलीं। तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल की 44 पेज की रिपोर्ट में 350 उल्लंघन पाए गए। उपकरण जंग लगे थे, लीकेज हो रही थी। 14 साल से रखरखाव नहीं हुआ। मिसब्रांडिंग का आरोप भी है। सिरप पर चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए चेतावनी नहीं थी, जो अप्रैल 2025 में केंद्र सरकार ने अनिवार्य की थी। कंपनी का रजिस्ट्रेशन 2009 में रद्द हो चुका था, फिर भी 2011 में नया लाइसेंस मिला। रंगनाथन मद्रास मेडिकल कॉलेज के ग्रेजुएट हैं और 40 साल से फार्मा बिजनेस में हैं। पहले प्रोनिट टॉनिक से प्रसिद्धि पाई। लेकिन अब उन पर हत्या के समान अपराध, दवा मिलावट और बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोप हैं।

तमिलनाडु सरकार ने फैक्ट्री का लाइसेंस निलंबित कर दिया। कंपनी को 10 दिन में जवाब मांगा गया कि लाइसेंस क्यों न स्थायी रूप से रद्द हो। एसआईटी को शक है कि सिरप ओडिशा और पुडुचेरी में भी सप्लाई हुआ। पूरे सप्लाई चेन की जांच हो रही है। रंगनाथन से पूछताछ में निर्माण प्रक्रिया, क्वालिटी कंट्रोल और वितरण पर सवाल होंगे।

इस घटना ने राजनीतिक रंग भी ले लिया। कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू किए और मृतकों के परिवारों के लिए अधिक मुआवजा मांगा। प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये की सहायता दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोषियों को सख्त सजा मिलेगी। भारतीय चिकित्सा संघ ने डॉक्टर सोनी की गिरफ्तारी की आलोचना की। उनका कहना है कि सिरप स्वीकृत था, जिम्मेदारी कंपनी और नियामकों की है। डॉक्टरों में चिंता है कि यह कानूनी अज्ञानता का उदाहरण है।

परिवारों का दर्द अनकहा है। एक मां ने बताया कि बेटा सिरप पीने के बाद उल्टी करने लगा, फिर किडनी फेल हो गई। हम गरीब हैं, निजी डॉक्टर पर भरोसा किया। एक पिता बोले, सरकार ने वादा किया लेकिन न्याय कब मिलेगा। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जहां बच्चे दर्द में कराहते दिखे। यह घटना 2023 के झारखंड कफ सिरप कांड की याद दिलाती है, जहां 20 बच्चे मरे थे। विशेषज्ञ कहते हैं कि डीईजी सस्ता सॉल्वेंट है, जो प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल की जगह इस्तेमाल होता है। सख्त लाइसेंसिंग और नियमित जांच जरूरी।

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