ऑपरेशन चक्र-वी: डिजिटल अरेस्ट साइबर घोटाले पर सीबीआई की बड़ी कार्रवाई, 6 राज्यों में 40 जगहों पर छापेमारी।
देश में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं के बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एक बड़ा कदम उठाया है। 8 अक्टूबर 2025 को सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र-वी के तहत दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा
देश में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं के बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एक बड़ा कदम उठाया है। 8 अक्टूबर 2025 को सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र-वी के तहत दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, केरल और पश्चिम बंगाल समेत छह राज्यों में करीब 40 स्थानों पर समन्वित छापेमारी की। यह कार्रवाई एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड केस से जुड़ी है, जिसमें साइबर अपराधी वीडियो कॉल के जरिए लोगों को डराकर पैसे ऐंठते हैं। छापेमारियों के दौरान बड़ी मात्रा में डिजिटल सबूत बरामद हुए, जिनमें मोबाइल फोन, बैंक खाते के दस्तावेज, लेन-देन के रिकॉर्ड और केवाईसी पेपर शामिल हैं। सीबीआई का कहना है कि यह नेटवर्क विदेशों से संचालित हो रहा था, खासकर कंबोडिया से, और भारत में म्यूल अकाउंट्स के जरिए धन शोधन किया जा रहा था।
डिजिटल अरेस्ट क्या है, यह समझना जरूरी है। इसमें अपराधी खुद को पुलिस या एजेंसी का अधिकारी बताते हैं। वे वीडियो कॉल पर पीड़ित को कहते हैं कि उसके नाम पर कोई बड़ा अपराध हुआ है, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स का मामला। पीड़ित को घर में ही कैद रहने को कहा जाता है, बाहर न निकलने की धमकी दी जाती है। फिर पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डाला जाता है। कई बार पीड़ित को घंटों या दिनों तक डराया जाता है। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर ऐसी शिकायतें बढ़ रही हैं। सीबीआई ने नौ पीड़ितों की शिकायतों के आधार पर यह एफआईआर दर्ज की। जांच में पता चला कि अपराधी 15,000 से ज्यादा आईपी एड्रेस का इस्तेमाल कर रहे थे। धन का एक हिस्सा भारत में निकाला जाता था, बाकी विदेश भेजा जाता, जहां एटीएम से निकासी होती।
छापेमारियां सुबह से शुरू हुईं। दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा जगहें कवर की गईं, जहां सॉफ्टवेयर कंपनियां और कॉल सेंटर्स संदिग्ध पाए गए। हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद में कई ठिकानों पर टीमें पहुंचीं। राजस्थान के जयपुर और जोधपुर में म्यूल अकाउंट ओपन करने वालों के घरों पर दबिश दी गई। गुजरात के अहमदाबाद में हवाला नेटवर्क से जुड़े लोगों को निशाना बनाया गया। केरल के त्रिवेंद्रम और कोच्चि में सिम कार्ड डिस्ट्रीब्यूशन के रैकेट पर कार्रवाई हुई। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में विदेशी लिंक्स वाले ऑफिस चेक किए गए। कुल 40 जगहों पर सर्च ऑपरेशन चला, जिसमें सीबीआई की साइबर क्राइम यूनिट के अधिकारी शामिल थे।
इस दौरान बरामद सामान में 100 से ज्यादा मोबाइल फोन, 50 से अधिक सिम कार्ड, डिजिटल डिवाइसेज और व्हाट्सऐप चैट्स के आर्काइव शामिल हैं। केवाईसी दस्तावेजों से पता चला कि कई अकाउंट्स फर्जी आईडी से खुले थे। बैंक पासबुक, चेकबुक और ट्रांजेक्शन डिटेल्स भी जब्त की गईं। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि ये सामान घरेलू सुविधा नेटवर्क को उजागर करते हैं, जो म्यूल बैंक अकाउंट्स सप्लाई करता था। हवाला चैनल्स के जरिए अपराध की कमाई को लेयरिंग किया जाता था। जांच का मकसद विदेशी साजिशकर्ताओं और भारतीय सहयोगियों के बीच लिंक स्थापित करना है। मोडस ऑपरेंडी, वित्तीय ट्रेल और कम्युनिकेशन स्ट्रक्चर को मैप किया जा रहा है।
ऑपरेशन चक्र-वी जून 2025 से चल रहा है। यह साइबर अपराधों के खिलाफ सीबीआई की व्यापक मुहिम है। पहले चरण में 40 जगहों पर छापे मारे गए, जिसमें 10 लोग गिरफ्तार हुए। जुलाई में सात राज्यों में रेड्स से तीन गिरफ्तारियां हुईं। अप्रैल में राजस्थान के झुंझुनू केस में चार किंगपिन पकड़े गए, जिन्होंने एक पीड़ित से 7.67 करोड़ ऐंठे थे। वह पीड़ित तीन महीने में 42 बार ब्लैकमेल हुआ। जून में अंतरराष्ट्रीय साइबर सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें 2.8 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की गई। मई में दो और सदस्य गिरफ्तार हुए। कुल मिलाकर, 8.5 लाख म्यूल अकाउंट्स की पहचान हुई, जो 700 से ज्यादा बैंक शाखाओं में फैले थे। ये अकाउंट्स फिशिंग, यूपीआई फ्रॉड, इनवेस्टमेंट स्कैम और डिजिटल अरेस्ट में इस्तेमाल हो रहे थे।
सीबीआई ने रणनीतिक तरीके अपनाए हैं। साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर के मुख्य स्तंभों पर निशाना साधा जा रहा है। विदेशी नेटवर्क्स का बड़ा हिस्सा सीमा पार से संचालित होता है। भारत सरकार की यह मुहिम साइबर अपराधों की जड़ों को काटने की है। एजेंसी ने इन-हाउस टूल्स विकसित किए हैं, जैसे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स जब्त करने के। डिजिटल फॉरेंसिक्स और इंटर-एजेंसी कोऑर्डिनेशन से काम हो रहा है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल से शिकायतें ली जा रही हैं। सीबीआई प्रमुख ने कहा कि यह सतत प्रयास है, जिसमें उन्नत तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है।
इस घोटाले का असर आम लोगों पर पड़ रहा है। एक पीड़िता ने बताया कि अपराधी ने वीडियो कॉल पर कहा कि मेरा नाम ड्रग्स केस में आया है। तीन दिन तक घर में कैद रखा, 50 लाख ट्रांसफर करवाए। एक बुजुर्ग ने कहा कि बैंक अलर्ट क्यों नहीं आया। कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं। साइबर अपराध अब सालाना हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचा रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि जागरूकता जरूरी है। अगर कोई कॉल आए तो तुरंत 1930 पर रिपोर्ट करें। वीडियो कॉल पर पैसे न दें। बैंक और पुलिस से सत्यापित करें।
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