Amroha : अमरोहा में ईद मिलाद-उन-नबी का जुलूस निकाला, मुल्क की तरक्की, भाईचारे और बाढ़ पीड़ितों के लिए कीं दुआएं
ईद मिलाद-उन-नबी, जिसे मव्लिद-उन-नबी या बरावफात के नाम से भी जाना जाता है, पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी
अमरोहा में ईद मिलाद-उन-नबी का जुलूस बड़ी शान-ओ-शौकत के साथ निकाला गया। यह जुलूस पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) की जयंती के मौके पर आयोजित किया गया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। जुलूस में नबी की शान में “मरहबा या मुस्तफा” और “नारा-ए-तकबीर, अल्लाह-हु-अकबर” जैसे नारे गूंजे, जिससे शहर की गलियां और बाजार उत्सव के रंग में रंग गए। इस दौरान मुल्क की तरक्की, भाईचारे और बाढ़ प्रभावित लोगों की भलाई के लिए विशेष दुआएं मांगी गईं। पुलिस और प्रशासन ने जुलूस को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए पुख्ता इंतजाम किए। जुलूस में सदर विधायक महबूब अली और पूर्व सांसद दानिश अली भी शामिल हुए।
ईद मिलाद-उन-नबी, जिसे मव्लिद-उन-नबी या बरावफात के नाम से भी जाना जाता है, पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है। इस साल भारत में रबी-उल-अव्वल की शुरुआत 4 सितंबर 2025 को चांद दिखने के बाद हुई, और 5 सितंबर को जुलूस का आयोजन किया गया। अमरोहा में यह जुलूस शहर के प्रमुख इलाकों से होकर गुजरा। सुबह के समय शुरू हुआ यह जुलूस दोपहर तक चला, जिसमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। लोग पारंपरिक परिधानों में सजे हुए थे, और कई जगहों पर झांकियां भी सजाई गई थीं।
जुलूस की शुरुआत अमरोहा के मियां मोहल्ला से हुई, जहां लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए। जुलूस शहर के मुख्य मार्गों, जैसे आजाद रोड, दानिशमंदन और चौराहा कस्सबान से होकर गुजरा और मस्जिद-ए-अकबरी पर जाकर समाप्त हुआ। रास्ते में कई जगहों पर लोगों ने जुलूस का स्वागत किया और पानी, शरबत और खाने-पीने की चीजें बांटीं। जुलूस में शामिल लोग नात और गजल पढ़ते हुए चल रहे थे, जिसमें पैगंबर की जिंदगी और उनकी शिक्षाओं को याद किया गया। कई जगहों पर मंच बनाए गए थे, जहां इस्लामी विद्वानों ने पैगंबर की जीवनी पर भाषण दिए और उनकी शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाया।
इस जुलूस में खास बात यह रही कि बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों की मदद के लिए विशेष दुआएं मांगी गईं। हाल ही में पंजाब और उत्तर भारत के कई हिस्सों में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी, जिसके कारण कई लोग बेघर हो गए और उनकी जिंदगी मुश्किल में पड़ गई। अमरोहा के जुलूस में शामिल लोगों ने इन पीड़ितों के लिए दुआएं मांगीं और मुल्क की तरक्की, अमन और भाईचारे की कामना की। जुलूस के आयोजकों ने कहा कि इस साल का जुलूस न केवल पैगंबर की जयंती को मनाने के लिए था, बल्कि यह समाज में एकता और मानवता का संदेश देने का भी एक जरिया था।
पुलिस और प्रशासन ने जुलूस को शांतिपूर्ण बनाने के लिए पहले से ही पूरी तैयारी कर रखी थी। अमरोहा के पुलिस अधीक्षक कृपाशंकर सिंह ने बताया कि जुलूस के रास्ते पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया था। कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन की मदद से निगरानी की गई। यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे, ताकि आम लोगों को कोई परेशानी न हो। जुलूस के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, और यह पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। आयोजकों ने भी पुलिस प्रशासन के सहयोग की सराहना की और कहा कि उनके इंतजामों ने जुलूस को और भी व्यवस्थित बनाया।
जुलूस में सदर विधायक महबूब अली और पूर्व सांसद दानिश अली की मौजूदगी ने इस अवसर को और खास बना दिया। महबूब अली ने जुलूस के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “ईद मिलाद-उन-नबी का यह पर्व हमें पैगंबर की शिक्षाओं को अपनाने की प्रेरणा देता है। उनकी जिंदगी हमें प्यार, दया और भाईचारे का रास्ता दिखाती है।” दानिश अली ने भी इस मौके पर लोगों से एकता और शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह जुलूस न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह समाज में भाईचारे और एकजुटता को बढ़ावा देने का एक मौका भी है।
अमरोहा में ईद मिलाद-उन-नबी का जुलूस हर साल बड़े उत्साह के साथ निकाला जाता है। इस बार भी शहर की गलियां और बाजार हरे झंडों, रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजे हुए थे। कई जगहों पर मस्जिदों और घरों को सजाया गया था। लोग अपने घरों के बाहर खड़े होकर जुलूस का स्वागत कर रहे थे। जुलूस के दौरान कई सामुदायिक भोज भी आयोजित किए गए, जिसमें गरीबों और जरूरतमंदों को खाना बांटा गया। यह परंपरा पैगंबर की शिक्षाओं का हिस्सा है, जो दान और दूसरों की मदद करने पर जोर देती हैं।
इस अवसर पर अमरोहा के कई इस्लामी संगठनों और समितियों ने भी हिस्सा लिया। जुलूस का आयोजन सेंट्रल जुलूस-ए-मोहम्मदी कमेटी ने किया, जिसके अध्यक्ष मौलाना अब्दुल कादिर ने कहा, “यह जुलूस पैगंबर की शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाने का एक जरिया है। हमने इस बार बाढ़ पीड़ितों के लिए विशेष दुआएं मांगीं, क्योंकि इस समय उनकी मदद करना हमारा फर्ज है।” कमेटी ने यह भी बताया कि जुलूस में शामिल होने वाले लोग न केवल अमरोहा से थे, बल्कि आसपास के गांवों और कस्बों से भी आए थे।
ईद मिलाद-उन-नबी का यह पर्व भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। अमरोहा में यह जुलूस शहर की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का हिस्सा है। इस दौरान लोग न केवल पैगंबर की जयंती मनाते हैं, बल्कि उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प भी लेते हैं। जुलूस में शामिल कई युवाओं ने कहा कि यह अवसर उन्हें अपनी धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझने का मौका देता है। एक स्थानीय निवासी, मोहम्मद राशिद ने कहा, “यह जुलूस हमारे लिए गर्व की बात है। यह हमें एकजुट करता है और पैगंबर की शिक्षाओं को याद करने का मौका देता है।”
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