चीन ने पाकिस्तान को हथियार दिए, ट्रंप के बाद अब 'बड़े अब्बा' बनकर दावा किया- 'हमने रुकवाई भारत-पाकिस्तान की जंग'
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने 30 दिसंबर 2025 को बीजिंग में अंतरराष्ट्रीय स्थिति और चीन की विदेश नीति पर आयोजित सिम्पोजियम में कहा
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने 30 दिसंबर 2025 को बीजिंग में अंतरराष्ट्रीय स्थिति और चीन की विदेश नीति पर आयोजित सिम्पोजियम में कहा कि चीन ने वर्ष 2025 में कई वैश्विक संघर्षों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए तनाव भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने 'उद्देश्यपूर्ण और न्यायपूर्ण रुख' अपनाते हुए समस्या के मूल कारणों और लक्षणों दोनों पर ध्यान केंद्रित किया तथा शांति स्थापित करने के लिए कार्य किया। वांग यी ने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दा, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव, फिलिस्तीन-इज़राइल मुद्दा तथा कंबोडिया-थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष को चीन द्वारा मध्यस्थता किए गए मामलों में गिना। यह दावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार यह कहने के बाद आया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोका। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों पर टैरिफ लगाने की धमकी देकर 24 घंटे के भीतर संघर्ष समाप्त करवा दिया। चीन का यह बयान ट्रंप के दावे के साथ प्रतिस्पर्धा करता प्रतीत होता है, जहां दोनों ही शक्तियां क्षेत्रीय स्थिरता में अपनी भूमिका को प्रमुखता से पेश कर रही हैं।
मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय सैन्य टकराव हुआ था, जिसकी शुरुआत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम घाटी में हुए आतंकी हमले से हुई जिसमें 26 नागरिक मारे गए। भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए। भारत ने बाद में सैन्य प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाया।
भारत ने लगातार स्पष्ट किया है कि यह टकराव किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना समाप्त हुआ। 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ से संपर्क किया और दोनों पक्षों ने जमीन, हवा और समुद्र में सभी गोलीबारी तथा सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई। भारत ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह द्विपक्षीय बताया और किसी बाहरी हस्तक्षेप से इनकार किया। चीन ने मई 7 को भारत के सैन्य अभियान को 'दुखद' बताया और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की। चीन ने कहा कि वह सभी प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है और शांति के हित में दोनों देशों को संयम रखना चाहिए। इस दौरान पाकिस्तान को चीन से रीयल-टाइम सैन्य सहायता मिलने की रिपोर्ट आईं, जिसमें चीन ने पाकिस्तान को 'लाइव लैब' के रूप में इस्तेमाल किया और अपने हथियारों की क्षमता का परीक्षण किया।
चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है, जो पाकिस्तान के आयातित सैन्य उपकरणों का 81 प्रतिशत से अधिक प्रदान करता है। चीन ने पाकिस्तान को J-10 और J-17 लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां, मिसाइलें और अन्य उपकरण दिए हैं। मई टकराव में पाकिस्तान ने चीनी निर्मित हथियारों का उपयोग किया, जिसकी प्रभावशीलता पर चर्चा हुई। चीन की मध्यस्थता का दावा भारत द्वारा खारिज किया गया है, जहां इसे द्विपक्षीय समझौते का परिणाम माना गया। भारत ने हमेशा भारत-पाकिस्तान संबंधों में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका से इनकार किया है। चीन का यह बयान उसके पाकिस्तान के साथ गहरे रक्षा संबंधों और 'ऑल-वेदर फ्रेंडशिप' को दर्शाता है, जबकि ट्रंप के दावे अमेरिका की क्षेत्रीय प्रभावशालीता को उजागर करते हैं।
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