मोहन भागवत का हिंदू एकता का आह्वान- सनातन धर्म के पुनरुत्थान और विश्वगुरु भारत की जरूरत पर दिया जोर।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में आयोजित 'विश्व संघ शिविर' के समापन समारोह को

Dec 29, 2025 - 13:21
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मोहन भागवत का हिंदू एकता का आह्वान- सनातन धर्म के पुनरुत्थान और विश्वगुरु भारत की जरूरत पर दिया जोर।
मोहन भागवत का हिंदू एकता का आह्वान- सनातन धर्म के पुनरुत्थान और विश्वगुरु भारत की जरूरत पर दिया जोर।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में आयोजित 'विश्व संघ शिविर' के समापन समारोह को संबोधित करते हुए हिंदुओं से एकजुट होकर सनातन धर्म को ऊंचाइयों पर ले जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब सभी हिंदू एकजुट होकर सनातन धर्म के पुनरुत्थान को आगे बढ़ाएं। भागवत ने योगी अरविंद का उल्लेख करते हुए बताया कि लगभग 100 वर्ष पहले योगी अरविंद ने घोषणा की थी कि सनातन धर्म का पुनरुत्थान ईश्वर की इच्छा है और इसके लिए हिंदू राष्ट्र का उदय आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत या हिंदू राष्ट्र, सनातन धर्म और हिंदुत्व पर्यायवाची हैं। यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अब इसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

भागवत ने विश्व संघ शिविर के समापन समारोह में कहा कि भारत में संघ के प्रयास और विश्व के विभिन्न देशों में हिंदू स्वयंसेवक संघों के प्रयास एक समान हैं, जो हिंदू समाज को संगठित करने, धर्म आधारित जीवन जीने वाले समाज का उदाहरण प्रस्तुत करने और व्यक्तियों का धार्मिक जीवन जीने के उदाहरण स्थापित करने के हैं। उन्होंने जोर दिया कि विश्वगुरु बनना भारत की महत्वाकांक्षा नहीं है, बल्कि यह विश्व की आवश्यकता है। भारत को विश्वगुरु बनने के लिए कई क्षेत्रों में कड़ी मेहनत करनी होगी और संघ इस दिशा में एक धारा के रूप में कार्य कर रहा है। भागवत ने कहा कि विश्व कई संकटों से जूझ रहा है और इनका समाधान केवल सनातन धर्म के सिद्धांतों में निहित है। समारोह में भागवत ने हिंदू स्वयंसेवक संघों की वैश्विक भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि विभिन्न देशों के संगठनों ने संघ के कार्य को समझने के लिए संपर्क किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे संगठन हिंदू स्वयंसेवक संघ से जुड़ें, जो अधिकांश देशों में कार्यरत है और निस्वार्थ सेवा तथा समर्पण के लिए जाना जाता है। भागवत ने प्राचीन हिंदू समाज की वैश्विक सेवा का उल्लेख किया, जिसमें वैदिक विज्ञान, गणित, आयुर्वेद आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 2000 वर्षों में समाज में व्यवधान आए, लेकिन अब फिर से विश्वगुरु बनने का समय आ गया है। हर हिंदू व्यक्ति और परिवार को धर्म आधारित जीवन जीकर विश्व को संकटों से मुक्ति का मार्ग दिखाना चाहिए।

भागवत ने व्यक्तित्व विकास पर संघ के फोकस की बात की और कहा कि संघ व्यक्तियों का विकास करता है और उन्हें समाज के विभिन्न क्षेत्रों में भेजकर सकारात्मक बदलाव लाता है। उन्होंने तन, मन और धन को समाज कल्याण के लिए समर्पित करने की अपील की। भागवत ने कहा कि सेवा स्वैच्छिक होनी चाहिए, बिना व्यावसायिक उद्देश्य, भय या प्रत्याशा के। गति, तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में भी केवल सनातन धर्म के सिद्धांत ही विश्व की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने हिंदुओं और स्वयंसेवकों से उदाहरण प्रस्तुत करने को कहा, जिससे मानव बुद्धि को वैश्विक कल्याण की दिशा में निर्देशित किया जा सके। विश्व संघ शिविर पांच दिवसीय आयोजन था, जिसका आयोजन दिल्ली स्थित विश्व निकेतन द्वारा किया गया था। समापन समारोह में संघ के अन्य पदाधिकारी जैसे सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और महिला सेविका संघ की प्रमुख भी उपस्थित थे। भागवत ने कहा कि संघ का दर्शन किसी भी स्थान पर समाधान प्रदान कर सकता है। उन्होंने हिंदू समाज को संगठित करने और विश्व को धर्म आधारित जीवन का उदाहरण देने पर बल दिया। भागवत ने विश्व की उपभोक्तावाद में डूबने और आध्यात्मिकता की कमी से उत्पन्न उग्रवाद जैसी समस्याओं का जिक्र किया।

भागवत के संबोधन में भारत की वैश्विक जिम्मेदारी पर जोर था, जहां भारत शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि विश्व को दिशा देने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत या विश्वगुरु भारत युद्ध या शोषण का कारण नहीं बनेगा। भागवत ने हिंदू समाज की एकता को राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता की गारंटी बताया। समारोह में अंतरराष्ट्रीय हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे, जो संघ के वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। भागवत ने स्वयंसेवकों से समाज कल्याण के लिए पूर्ण समर्पण की अपील की। यह आयोजन हिंदू समाज की वैश्विक एकता और सनातन धर्म के सिद्धांतों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण था। भागवत ने कहा कि हिंदू स्वयंसेवक संघों की सेवा और समर्पण एक ही उद्देश्य से प्रेरित है। उन्होंने विश्व को संकटों से मुक्ति दिलाने में हिंदू समाज की भूमिका पर प्रकाश डाला। भागवत का संबोधन सनातन धर्म के पुनरुत्थान और भारत की विश्वगुरु बनने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आह्वान था। समारोह के समापन पर उपस्थित लोगों ने इन विचारों को आगे ले जाने का संकल्प लिया।

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