बिहार चुनाव 2025: मोकामा में सियासी हिंसा, जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या, अनंत सिंह पर एफआईआर।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा क्षेत्र में सियासी रंजिश ने हिंसक रूप ले लिया है। गुरुवार शाम पटना जिले के मोकामा टाल इलाके के घोसवरी थाना क्षेत्र में
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा क्षेत्र में सियासी रंजिश ने हिंसक रूप ले लिया है। गुरुवार शाम पटना जिले के मोकामा टाल इलाके के घोसवरी थाना क्षेत्र में जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के काफिले पर हमला हुआ। इस दौरान पीयूष के चाचा और प्रमुख समर्थक दुलारचंद यादव की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई। हमलावरों ने पहले पैर में गोली मारी, फिर गाड़ी चढ़ाकर उन्हें कुचल दिया। मृतक के पोते के बयान पर जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशी और पूर्व विधायक अनंत सिंह सहित उनके दो भतीजों कर्मवीर सिंह और संजय सिंह, छोटन सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। घटनास्थल पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। यह घटना चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक छह दिन पहले हुई, जिससे पूरे इलाके में तनाव व्याप्त है।
घटना दोपहर चार बजे के आसपास घोसवरी के तारतार गांव में घटी। जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी उर्फ लल्लू मुखिया का काफिला प्रचार के लिए निकला था। वे धानुक समाज से हैं और टाल क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। काफिले में दुलारचंद यादव भी थे, जो सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे थे। अचानक अनंत सिंह का काफिला सामने आ गया। दोनों पक्षों के बीच नारेबाजी शुरू हुई, जो देखते ही देखते हिंसा में बदल गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अनंत सिंह के समर्थकों ने लाठी-डंडों से हमला किया। भगदड़ मच गई। दुलारचंद अपनी गाड़ी से उतरे और उम्मीदवार को बचाने की कोशिश की। इसी दौरान हमलावरों ने उन पर गोली चलाई। पैर में गोली लगने के बाद वे गिर पड़े। फिर एक गाड़ी ने उन्हें कुचल दिया। दुलारचंद की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस को सूचना मिलते ही एसपी मनोज तिवारी और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। मृतक के परिवार ने अनंत सिंह को मुख्य आरोपी बताया। पोते ने कहा कि दादा अनंत सिंह के खिलाफ खुलकर बोलते थे। वे जन सुराज के साथ थे, लेकिन पहले राजद से जुड़े रहे। दुलारचंद पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे, जैसे जमीन कब्जा, रंगदारी और फायरिंग। 2019 में एएसपी लिपि सिंह ने उन्हें गिरफ्तार किया था। लेकिन हाल में वे राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए थे। जन सुराज ने उन्हें पार्टी सदस्य न बताकर स्वैच्छिक समर्थक कहा। एफआईआर में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज है। पुलिस जांच कर रही है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
अनंत सिंह ने हत्या से इनकार किया। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने काफिले के साथ प्रचार कर रहे थे। तभी दुलारचंद के लोगों ने उनके समर्थकों पर पथराव और हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह साजिश सूरजभान सिंह की है। सूरजभान मोकामा से आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी के पति हैं। अनंत ने कहा, दुलारचंद उनके आदमी थे। वे मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। यह सब सूरजभान का खेल है। अनंत पर पहले से 38 आपराधिक मामले हैं, जिसमें सात हत्या और 11 हत्या प्रयास के। वे जमानत पर हैं। जन सुराज प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा, यह लोकतंत्र की हत्या है। अनंत सिंह का बाहुबल बर्दाश्त नहीं। हम न्याय मांगेंगे।
यह घटना मोकामा की सियासत को नया मोड़ दे रही है। मोकामा विधानसभा सीट (संख्या 178) पटना जिले में है। यहां बाहुबलियों का बोलबाला रहा है। अनंत सिंह 2005, 2010 और 2015 में विधायक रहे। वे जदयू से हैं, लेकिन पहले आरजेडी और अन्य दलों से जुड़े। सूरजभान सिंह भी पूर्व सांसद हैं और बाहुबली छवि के। जन सुराज ने पीयूष को उतारकर नया दांव खेला। पीयूष अति पिछड़ा वर्ग से हैं। दुलारचंद उनकी मदद कर रहे थे। इलाके में यादव, भूमिहार, धानुक और अन्य जातियों का प्रभाव है। हत्या को जातिगत रंजिश से जोड़ा जा रहा है। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में जश्न मनाने की बातें हैं, जो तनाव बढ़ा रही हैं।
राजनीतिक दलों ने हमला बोला। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, यह सत्ताधारी दल की बौखलाहट है। अनंत सिंह जैसे अपराधी हथियार लेकर घूम रहे हैं। प्रधानमंत्री को देखना चाहिए कि 30 मिनट पहले क्या हुआ। उन्होंने सीवान में एएसआई की हत्या का भी जिक्र किया। तेजस्वी ने कहा, लोकतंत्र में बंदूक नहीं, जनता चलती है। जदयू ने इसे विपक्षी साजिश बताया। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, राजद वाले राज कर रहे हैं। मेरे क्षेत्र में भी हमले हुए। एनडीए ने कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए। जन सुराज के प्रशांत किशोर ने चुप्पी साधी, लेकिन पार्टी ने सीबीआई जांच की मांग की।
मोकामा टाल क्षेत्र गंगा किनारे है। यहां खेती उपजाऊ है, लेकिन सियासत कठोर। 90 के दशक में दुलारचंद लालू के करीबी थे। फिर अनंत से दुश्मनी हो गई। वे नथुनियां गांव के गैंगस्टर कहलाए। लेकिन बाद में राजनीति में आए। हत्या से इलाके के गांवों में दहशत है। पुलिस ने कैंप लगाए हैं। एसएसबी और स्थानीय फोर्स तैनात हैं। चुनाव आयोग ने सतर्कता बरतने को कहा। एडीआर रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 32 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं। राजद के 76, बीजेपी के 65 और जदयू के 39 प्रतिशत पर केस हैं। यह घटना बिहार की पुरानी समस्या दिखाती है।
विपक्ष ने कहा, सुशासन का दावा झूठा है। एनडीए बोला, जंगलराज लौट रहा है। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी। कुछ ने अनंत को दोषी ठहराया, तो कुछ ने दुलारचंद के अपराधी इतिहास का हवाला दिया। एक वायरल तस्वीर में दुलारचंद पथराव करते दिखे। प्रशासन ने उनका बैकग्राउंड जारी किया। लेकिन परिवार ने साफ कहा, यह चुनावी हत्या है। पीयूष ने कहा, दुलारचंद मेरे चाचा थे। वे मेरे लिए लड़े। हम डरेंगे नहीं। अनंत सिंह की गिरफ्तारी पर सवाल उठ रहे हैं। क्या चुनाव से पहले कार्रवाई होगी? पुलिस ने कहा, जांच पूरी होने पर एक्शन।
यह हत्या बिहार चुनाव को प्रभावित कर सकती है। पहले चरण में 6 नवंबर को 65 सीटों पर वोटिंग है। मोकामा उसी में। मतदाता डरेंगे तो लोकतंत्र कमजोर होगा। विशेषज्ञ कहते हैं, बाहुबलियों पर लगाम लगानी होगी। नीतीश सरकार ने दागी उम्मीदवारों पर रोक लगाई, लेकिन अमल कमजोर। दुलारचंद की मौत ने सवाल खड़े किए। क्या बिहार बदलेगा? युवा मतदाता विकास चाहते हैं, हिंसा नहीं। जन सुराज ने इसे मुद्दा बनाया। तेजस्वी ने प्रचार तेज किया। अनंत सिंह ने सभाएं जारी रखीं। लेकिन एफआईआर से उनकी मुश्किल बढ़ी।
घटना के बाद परिवार शोक में है। पोते ने कहा, दादा गरीबों के लिए लड़े। वे अनंत के अत्याचारों के खिलाफ थे। जन सुराज ने शोक सभा बुलाई। सूरजभान ने कहा, अनंत का काला कारनामा है। हम न्याय लाएंगे। मोकामा की जनता चुप है, लेकिन आंखों में आग है। यह हत्या पुरानी दुश्मनी का नतीजा लगती है। अनंत और दुलारचंद के बीच जमीन और वर्चस्व की लड़ाई लंबे समय से थी। चुनाव ने इसे भड़काया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले। गवाहों से पूछताछ हो रही। अगर साबित हुआ तो अनंत का राजनीतिक सफर खतरे में।
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