Lucknow: धर्मांतरण प्रकरण के संबंध में केजीएमयू में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ बबिता सिंह चौहान ने की समीक्षा बैठक।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ की कुलपति डॉ सोनिया नित्यानंद के कक्ष में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबिता सिंह
लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ की कुलपति डॉ सोनिया नित्यानंद के कक्ष में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबिता सिंह चौहान की अध्यक्षता में एक विधिक एवं तथ्यात्मक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य केजीएमयू से संबंधित एक गंभीर धर्मांतरण प्रकरण की स्थिति की समीक्षा एवं विधि-सम्मत कार्यवाही सुनिश्चित करना था।
बैठक में आयोग की अध्यक्ष ने अवगत कराया कि उक्त प्रकरण में विशाखा कमेटी के प्रावधानों के अंतर्गत जांच प्रक्रियाधीन है तथा संबंधित धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) पंजीकृत की जा चुकी है, जिस पर सक्षम पुलिस अधिकारी द्वारा भारतीय न्याय संहिता एवं अन्य प्रासंगिक विधियों के अंतर्गत विधिक कार्यवाही की जा रही है।
डॉ. बबिता सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरांत यदि किसी भी व्यक्ति की संलिप्तता प्रमाणित होती है, तो उसके विरुद्ध विधि के अनुसार कठोरतम दंडात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। इस प्रकरण में किसी भी स्तर पर प्रभाव, पद अथवा संरक्षण के आधार पर छूट प्रदान नहीं की जाएगी।
आयोग की अध्यक्ष द्वारा केजीएमयू प्रशासन को निर्देशित किया गया कि विश्वविद्यालय के सभी विभागों, इकाइयों एवं संबद्ध संस्थानों में यदि इस प्रकार के अन्य प्रकरण लंबित, अप्रतिवेदित अथवा संदेहास्पद हों, तो उनके संबंध में तत्काल आंतरिक जांच समिति का गठन किया जाए। उक्त समिति द्वारा निश्चित समय-सीमा के भीतर विस्तृत तथ्यात्मक एवं अनुशंसात्मक रिपोर्ट राज्य महिला आयोग को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। निर्देशों की अवहेलना की स्थिति में उत्तरदायित्व निर्धारण एवं विधिक कार्यवाही की जाएगी।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री की नीति धर्मांतरण, छल, दबाव अथवा प्रलोभन के माध्यम से किए गए कृत्यों के प्रति शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) पर आधारित है। राज्य सरकार एवं राज्य महिला आयोग महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों, गरिमा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं।
आयोग द्वारा पुनः स्पष्ट किया गया कि महिलाओं के विरुद्ध किसी भी प्रकार के अपराध, शोषण अथवा गैर-कानूनी गतिविधि के मामलों में आयोग विधि द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित करेगा, तथा भविष्य में भी इस प्रकार के मामलों की सतत निगरानी की जाती रहेगी।
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