हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला- 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ित 121 परिवारों को मिलेगी सरकारी नौकरी।
Haryana government: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 25 अगस्त 2025 को राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में जान गंवाने
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 25 अगस्त 2025 को राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में जान गंवाने वाले हरियाणा के 121 परिवारों के एक-एक सदस्य को राज्य सरकार प्राथमिकता के आधार पर सरकारी नौकरी देगी। यह घोषणा पीड़ित परिवारों के लिए राहत और न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। मुख्यमंत्री ने इन परिवारों से अपील की कि वे आपसी सहमति से एक पात्र सदस्य का नाम अपने जिले के उपायुक्त के माध्यम से मुख्य सचिव को भेजें।
1984 के सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास में एक काला अध्याय हैं। ये दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद भड़क उठे थे। इस हत्या का कारण ऑपरेशन ब्लू स्टार को माना गया, जो अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को हटाने के लिए किया गया सैन्य अभियान था। इसके बाद दिल्ली और देश के कई अन्य हिस्सों में सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़क उठी। भीड़ ने सिखों के घर, दुकानें, और गुरुद्वारे निशाना बनाए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन दंगों में 3,000 से अधिक सिखों की हत्या हुई, जिसमें से 121 लोग हरियाणा से थे। दंगों में बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान भी हुआ।
मुख्यमंत्री सैनी ने विधानसभा में बताया कि हरियाणा में दंगों के दौरान 20 गुरुद्वारे, 221 मकान, 154 दुकानें, 57 फैक्ट्रियां, तीन रेल डिब्बे, और 85 वाहन जलाकर राख कर दिए गए थे। इसके अलावा, 58 लोग घायल हुए थे। उन्होंने कहा कि इन दंगों ने सिख समुदाय पर गहरा आघात पहुंचाया और पीड़ित परिवार आज भी उस दर्द को भूल नहीं पाए हैं। सैनी ने कहा, “मैं जब भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाता हूं, पीड़ित परिवार मेरे सामने अपनी पीड़ा साझा करते हैं।
वे कहते हैं कि 40 साल पहले उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। इस दर्द को देखते हुए हमने फैसला लिया है कि 121 प्रभावित परिवारों के एक-एक सदस्य को प्राथमिकता के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाएगी।” इस घोषणा को विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित एक प्रस्ताव के बाद किया गया, जिसमें श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की 350वीं शहादत वर्ष को सम्मानजनक तरीके से मनाने की बात कही गई थी। सैनी ने प्रभावित परिवारों से अनुरोध किया कि वे एक पात्र सदस्य का नाम अपने जिले के उपायुक्त के माध्यम से मुख्य सचिव को भेजें। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में जल्द ही दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। इस कदम को न केवल हरियाणा, बल्कि पंजाब में भी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, क्योंकि 2027 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं।
1984 के दंगों ने सिख समुदाय में गहरी नाराजगी और अलगाव की भावना पैदा की थी। इन दंगों में कई कांग्रेस नेताओं की भूमिका की बात सामने आई थी, और कई जांचों में यह पाया गया कि हिंसा सुनियोजित थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 19 नवंबर 1984 को दिल्ली में एक रैली में कहा था, “जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है।” इस बयान को हिंसा को जायज ठहराने या उसका बचाव करने के रूप में देखा गया, जिसकी व्यापक आलोचना हुई थी। दंगों के बाद पीड़ितों को न्याय दिलाने में देरी हुई, और कई मामलों में दोषियों को सजा देने में दशकों लग गए।
उदाहरण के लिए, फरवरी 2025 में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को 1984 के दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराया था। हरियाणा सरकार का यह फैसला पीड़ित परिवारों के लिए आर्थिक और सामाजिक सहायता का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहले, दिल्ली सरकार ने भी 2025 की शुरुआत में 1984 के दंगा पीड़ित परिवारों के सदस्यों को नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र वितरित किए थे। दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने एक समारोह में ये पत्र बांटे थे। हरियाणा में भी अब इस तरह की पहल से पीड़ित परिवारों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री सैनी ने विधानसभा में यह भी बताया कि उनकी सरकार पीड़ितों के दर्द को समझती है और उनके लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि दंगों के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए पहले की सरकारों ने कुछ आर्थिक सहायता दी थी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं थी। नौकरियों की यह घोषणा उन परिवारों के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया और आर्थिक तंगी का सामना किया। इस घोषणा को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी इस कदम को पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर रही है। सैनी, जो सैनी समुदाय से आते हैं, पंजाब में भी इस समुदाय के बीच प्रभाव रखते हैं। पंजाब में सैनी समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है, जो होशियारपुर, नवांशहर, जालंधर, रूपनगर, और गुरदासपुर जैसे क्षेत्रों में 10 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालती है। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में बीजेपी को केवल दो सीटें मिली थीं, और लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन भी कमजोर रहा था। ऐसे में यह घोषणा पंजाब में बीजेपी की छवि को बेहतर करने की कोशिश का हिस्सा मानी जा रही है।
सोशल मीडिया पर भी इस घोषणा की चर्चा हो रही है। ANI के एक पोस्ट में मुख्यमंत्री सैनी के बयान को साझा किया गया, जिसमें उन्होंने 121 परिवारों के लिए नौकरी की बात कही। कई यूजर्स ने इस कदम की सराहना की, जबकि कुछ ने इसे देर से उठाया गया कदम बताया। एक यूजर ने लिखा, “40 साल बाद भी पीड़ित परिवारों को न्याय मिलना बाकी है। यह कदम स्वागतयोग्य है, लेकिन इसे पहले करना चाहिए था।” इस घोषणा के बाद हरियाणा सरकार ने प्रभावित परिवारों से संपर्क शुरू कर दिया है। उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन परिवारों से एक पात्र सदस्य का नाम लेने की प्रक्रिया शुरू करें। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि नौकरियां योग्यता और नियमों के आधार पर दी जाएं। सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी होगी और जल्द से जल्द पूरी की जाएगी।
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