त्रिगुणी ई फ़ॉर्मूला: आजीविका के लिए अंग्रेज़ी, पहचान के लिए संस्कृति, और प्रगति के लिए नैतिकता- डॉ. बीरबल झा
Patna News: हर पीढ़ी अपने समय की चुनौतियाँ और अवसर दोनों विरासत में पाती है। लेकिन आज का युवा एक अनोखे चौराहे पर खड़ा है—जहाँ बदलाव की रफ़्तार बिजली....

लेखक परिचय:
डॉ. बीरबल झा एक सुप्रसिद्ध लेखक, सामाजिक उद्यमी और संचार कौशल प्रशिक्षक हैं, जिन्हें भारत में अंग्रेज़ी भाषा सीखने का जनतंत्रीकरण करने के लिए सराहा जाता है। ब्रिटिश लिंगुआ के प्रबंध निदेशक के रूप में उन्होंने लाखों लोगों को रोजगारपरक कौशल प्रदान किया है, भारतीय संस्कृति को पहचान के लिए बढ़ावा दिया है और सामाजिक प्रगति के लिए नैतिकता का समर्थन किया है।
हर पीढ़ी अपने समय की चुनौतियाँ और अवसर दोनों विरासत में पाती है। लेकिन आज का युवा एक अनोखे चौराहे पर खड़ा है—जहाँ बदलाव की रफ़्तार बिजली की तरह तेज़ है और भविष्य की मांगें पहले से कहीं ज़्यादा जोर से दस्तक दे रही हैं। ऐसे समय में युवाओं को सिर्फ़ जीने नहीं, बल्कि आगे बढ़ने के लिए क्या मार्गदर्शन कर सकता है? इसका उत्तर छिपा है एक शक्तिशाली त्रिगुणी फ़ॉर्मूले में—अजीविका के लिए अंग्रेज़ी, पहचान के लिए भारतीय संस्कृति और सामाजिक प्रगति के लिए नैतिकता।
मैं अक्सर कहता हूँ—अंग्रेज़ी को अपनी अजीविका की सीढ़ी बनाइए, भारतीय संस्कृति को अपनी पहचान की जड़ और नैतिकता को सामाजिक प्रगति का दिशा-सूचक। वैश्वीकरण के दौर में अंग्रेज़ी अब सिर्फ़ स्कूल का एक विषय नहीं रह गई है—यह अवसरों का पासपोर्ट है, वह पुल है जो सपनों को हक़ीक़त से जोड़ता है। इसे साध लेने से रोज़गार, उद्यमिता और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के दरवाज़े खुलते हैं। अंग्रेज़ी में महारत हासिल कर वैश्विक द्वार खोलें, भारतीय संस्कृति को अपनाकर जानें कि आप कौन हैं, और नैतिकता को थामकर दुनिया को आगे बढ़ाएँ।
लेकिन, सांस्कृतिक आधार के बिना करियर की सफलता व्यक्ति को जड़ों से काट सकती है। भारतीय संस्कृति सिर्फ़ परंपरा नहीं, बल्कि मूल्यों, सहनशीलता और एकता की जीवंत धरोहर है। यह जानना कि आप कहाँ से आए हैं, आपको यह आत्मविश्वास देता है कि आप कहाँ जा रहे हैं। इसलिए मैं मानता हूँ—समृद्ध युवा वही है जो कौशल से कमाए, संस्कृति के गर्व में सिर ऊँचा रखे और नैतिकता के रास्ते सीधा चले।
इस त्रिगुणी सूत्र का तीसरा और शायद सबसे अहम स्तंभ है—नैतिकता। कौशल आपको नौकरी दे सकता है; संस्कृति आपको पहचान दे सकती है; लेकिन नैतिकता तय करेगी कि आप इन दोनों का इस्तेमाल कैसे करेंगे। नैतिकता के बिना शक्ति ख़तरनाक हो सकती है, सफलता खोखली और प्रगति अस्थिर। अंग्रेज़ी आपके करियर को साधन देती है, संस्कृति आपकी आत्मा को समृद्ध करती है और नैतिकता आपके समाज को सशक्त बनाती है—इन तीनों में बढ़िए और कभी जीवन में सिकुड़िए मत।
अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस पर यह संदेश और भी ज़्यादा मायने रखता है—"अंग्रेज़ी में बोले गए आपके शब्द आपको रोज़ी दिला सकते हैं, आपकी सांस्कृतिक मूल्य आपको सम्मान दिला सकते हैं और आपकी नैतिकता आपको अमरत्व दिला सकती है।" युवा अवस्था ही वह सुनहरा समय है, जब आप अपने जीवन की दिशा तय कर सकते हैं—ऐसे कौशल सीखने का, जो आपको बनाए रखेंगे; ऐसे सांस्कृतिक मूल्य अपनाने का, जो आपको आकार देंगे; और ऐसी नैतिकता पर चलने का, जो आपको परिभाषित करेगी।
भविष्य उन्हीं का होगा जो वैश्विक रूप से सक्षम हों लेकिन सांस्कृतिक रूप से गर्वित, महत्वाकांक्षी हों लेकिन नैतिक भी। जैसा कि मैं अक्सर कहता हूँ—ऐसे युवा बनिए जो दुनिया की भाषा बोलते हैं, भारत की संस्कृति को सँजोते हैं और मानवता के सिद्धांतों पर जीते हैं।" क्योंकि, "अंग्रेज़ी में धाराप्रवाह होना आपको रोज़गार दिला सकता है, लेकिन नैतिकता में धाराप्रवाह होना आपको अविस्मरणीय बना देगा।
जब युवा कौशल को संस्कृति और नैतिकता से जोड़ देते हैं, तो वे सिर्फ़ करियर नहीं बनाते—वे इतिहास रचते हैं। वे सिर्फ़ जीवन नहीं बनाते—वे राष्ट्र बनाते हैं। जैसा कि मैं संक्षेप में कहता हूँ—अंग्रेज़ी आपको दुनिया तक पहुँचा सकती है, भारतीय संस्कृति आपको ज़मीन से जोड़े रख सकती है, और नैतिकता आपको स्वयं से भी आगे पहुँचा सकती है।
तो, प्रिय युवाओं—सीखिए जुनून के साथ, जिएँ गर्व के साथ और नेतृत्व कीजिए ईमानदारी के साथ। दुनिया आपकी रोशनी का इंतज़ार कर रही है।
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