किश्तवाड़ के अस्तानबाला में भीषण आग और सिलेंडर विस्फोट से दहशत में लोग, राहत कार्य शुरू।
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के अस्तानबाला इलाके में 26 अगस्त 2025 को एक भीषण आग की घटना ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी। आग की चपेट में आने के बाद एक गैस सिलेंडर में विस्फोट

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के अस्तानबाला इलाके में 26 अगस्त 2025 को एक भीषण आग की घटना ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी। आग की चपेट में आने के बाद एक गैस सिलेंडर में विस्फोट हुआ, जिससे स्थिति और भयावह हो गई। इस हादसे में कई घर और दुकानें जलकर राख हो गईं, और मलबा चारों ओर बिखर गया। स्थानीय लोगों और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से किसी की जान नहीं गई, लेकिन भारी नुकसान की खबर है।
घटना सोमवार शाम करीब 5:30 बजे शुरू हुई, जब अस्तानबाला की एक भीड़भाड़ वाली बस्ती में एक घर से आग की लपटें उठने लगीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग सबसे पहले एक लकड़ी के मकान में लगी, जो तेजी से आसपास के घरों और दुकानों तक फैल गई। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कुछ ही मिनटों में कई इमारतें उसकी चपेट में आ गईं। इस दौरान एक घर में रखा गैस सिलेंडर गर्मी के कारण फट गया, जिससे जोरदार धमाका हुआ। इस धमाके ने आसपास के क्षेत्र में अफरा-तफरी मचा दी। विस्फोट से मलबा सड़कों पर बिखर गया, और आग ने और विकराल रूप ले लिया।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में आग की लपटें और धमाके की भयावहता साफ दिखाई देती है। एक वीडियो में लकड़ी के ढांचे जलते हुए और सिलेंडर फटने की आवाज सुनाई दे रही है। स्थानीय निवासी शब्बीर अहमद ने बताया, “हम लोग अपने घरों में थे, तभी तेज धमाका हुआ। बाहर निकलकर देखा तो आग की लपटें आसमान छू रही थीं। हम डर गए कि कहीं और सिलेंडर न फट जाएं।” इस घटना ने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी, और कई परिवार अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।
आग की सूचना मिलते ही किश्तवाड़ पुलिस, अग्निशमन विभाग, और जम्मू-कश्मीर आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमें मौके पर पहुंचीं। दमकल की छह गाड़ियों ने आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू की, लेकिन तेज हवाओं और लकड़ी की बस्ती होने के कारण आग बुझाने में काफी मुश्किल हुई। करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। अग्निशमन विभाग के अधिकारी मोहम्मद असलम ने बताया, “सिलेंडर विस्फोट ने आग को और भड़का दिया था। हमने स्थानीय लोगों की मदद से अन्य सिलेंडरों को हटाया, जिससे बड़ा हादसा टल गया।”
इस हादसे में करीब 15 घर और 8 दुकानें पूरी तरह जलकर राख हो गईं। कई परिवारों ने अपना सामान और जरूरी दस्तावेज खो दिए। हालांकि, समय रहते लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई। किश्तवाड़ के उपायुक्त राजेश कुमार ने बताया कि प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी आश्रय की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा, “हमने राहत शिविर बनाए हैं और प्रभावित लोगों को भोजन, कंबल, और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया जा रहा है। नुकसान का आकलन करने के लिए एक टीम गठित की गई है।”
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना पर दुख जताया और तुरंत राहत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, “अस्तानबाला में आग और सिलेंडर विस्फोट की खबर दुखद है। प्रशासन को प्रभावित परिवारों की हर संभव मदद करने के लिए कहा गया है।” मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार पीड़ितों को मुआवजा और पुनर्वास के लिए कदम उठाएगी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि आग का कारण संभवतः शॉर्ट सर्किट या रसोई में गैस रिसाव हो सकता है। हालांकि, पुलिस और अग्निशमन विभाग ने इसकी जांच शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों की जांच कर रहे हैं। जल्द ही आग के सही कारण का पता चल जाएगा।” इस बीच, प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे गैस सिलेंडरों का उपयोग सावधानी से करें और बिजली के उपकरणों की नियमित जांच करवाएं।
यह घटना किश्तवाड़ में हाल के समय की दूसरी बड़ी आपदा है। इससे पहले 14 अगस्त 2025 को किश्तवाड़ के चिशोती गांव में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी, जिसमें कई घर और फसलें नष्ट हो गई थीं। उस घटना में भी प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की थी, लेकिन लगातार प्राकृतिक और मानव-निर्मित आपदाओं ने किश्तवाड़ के लोगों को चिंता में डाल दिया है।
सोशल मीडिया पर इस हादसे को लेकर लोगों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दीं। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “किश्तवाड़ में आग और सिलेंडर विस्फोट की खबर दिल दहलाने वाली है। प्रशासन को तुरंत मदद पहुंचानी चाहिए।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “यह दुखद है कि बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। सरकार को सुरक्षा उपायों पर ध्यान देना चाहिए।”
किश्तवाड़ जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में आतंकी घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं ने इस क्षेत्र को प्रभावित किया है। अप्रैल 2025 में अनंतनाग के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भी पूरे जम्मू-कश्मीर में दहशत फैलाई थी। इस तरह की घटनाएं स्थानीय लोगों के लिए चुनौतियां बढ़ा रही हैं।
अस्तानबाला की इस घटना ने एक बार फिर सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि घनी बस्तियों में लकड़ी के घर और गैस सिलेंडरों का अनियंत्रित उपयोग आग की घटनाओं को बढ़ावा देता है। पर्यावरणविद् और जलवायु विशेषज्ञ रमेश शर्मा ने कहा, “किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी इलाकों में आपदा प्रबंधन को और मजबूत करने की जरूरत है। लोगों को भी जागरूक होना होगा।”
प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को तत्काल 20,000 रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। इसके अलावा, नुकसान का पूरा आकलन होने के बाद मुआवजे की राशि बढ़ाई जा सकती है। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी पीड़ितों के लिए कपड़े, बर्तन, और अन्य जरूरी सामान जुटाने शुरू कर दिए हैं। मलकापुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल रशीद ने कहा, “हम अपने भाइयों और बहनों के साथ खड़े हैं। इस मुश्किल घड़ी में हम सब मिलकर मदद करेंगे।”
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