बेटियों बहुओं को हमेशा पतिव्रत्य धर्म का पालन करते हुए अपने दोनों लोकों का सुधार करना चाहिए- देवी महेश्वरी श्रीजी

Hardoi News: विश्व मंगल परिवार सेवा संस्थान एवं सार्वजनिक शिक्षोन्नयन संस्थान के तत्वावधान में  डॉ राम मनोहर लोहिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय....

Aug 2, 2025 - 18:04
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बेटियों बहुओं को हमेशा पतिव्रत्य धर्म का पालन करते हुए अपने दोनों लोकों का सुधार करना चाहिए- देवी महेश्वरी श्रीजी
बेटियों बहुओं को हमेशा पतिव्रत्य धर्म का पालन करते हुए अपने दोनों लोकों का सुधार करना चाहिए- देवी महेश्वरी श्रीजी

रिपोर्ट- अम्बरीष कुमार सक्सेना

Hardoi News: विश्व मंगल परिवार सेवा संस्थान एवं सार्वजनिक शिक्षोन्नयन संस्थान के तत्वावधान में  डॉ राम मनोहर लोहिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय अल्लीपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में श्रीधाम वृन्दावन से पधारी हुई देवी महेश्वरी श्रीजी ने परीक्षित को शुकदेव जी द्वारा कथा सुनाने का प्रसंग, विदुर प्रसंग, कौरवों पाण्डवों के युद्ध, शिव सती प्रसंग आदि कथाओं का विस्तार से वर्णन किया। 

शिव सती प्रसंग की कथा सुनाते हुए देवी जी ने बताया कि एक बार भोलेनाथ राम जी की कथा कुम्भज ऋषि से सुनकर लौट रहे थे मार्ग में श्री राम को देखकर उन्हें प्रणाम किया यह देख सती जी के मन में शंका का भाव उत्पन्न हुआ और श्री राम की परीक्षा लेने पहुंच गई और परीक्षा में विफल होकर उदास मन से लौट आई जब शिव जी को पता चला कि सती ने माता सीता का रूप धारण किया तो  उनसे पत्नी धर्म न निर्वहन करने का संकल्प ले लिया। 

 इधर कैलाश पर  शिव जी राम जी की कथा सती जी को सुना रहे थे तभी आकाश मार्ग से विमानों को जाते देख सती के पूछने पर भोलेनाथ ने बताया कि ये विमान उनके पिता दक्ष के यहां आयोजित यज्ञ में जा रहे है यह सुनकर सती अपने पिता के वहां जाने की जिद कर बैठी शंकर जी ने मना किया कि बिना बुलाए कही नहीं जाना चाहिए किंतु सती जी नहीं मानी तब शिव जी ने उनके साथ गणों को भेजा सती जी जब अपने पिता के वहां पहुंचती है तो वहां पर शिव जी भाग न देख कर क्रोधित हो उठती है और स्वयं को क्रोधाग्नि में भस्म कर जन्म जन्म के लिए शिव को ही पति के रूप में प्राप्त करने की कामना करती है यह सुनकर कि सती जी नहीं रही शिव जी ने वीरभद्र को भेजा जिसने यज्ञ विध्वंश कर दक्ष का शीश काट दिया और भगवान भोलेनाथ सती जी का पार्थिव शरीर लेकर तांडव करते हुए आकाश मार्ग में चल दिए श्री हरि ने जब यह देखा तो चक्र से उनके शरीर के टुकड़े किए और जहां जहां अंग गिरे वहां आज शक्ति पीठ बनी। देवी जी ने बताया कि बेटियों बहुओं को हमेशा अपने पति की सेवा और पति की बात माननी चाहिए और पतिव्रत्य धर्म का पालन करते हुए अपने दोनों लोकों का सुधार करना चाहिए।

शिव तांडव की सजीव झांकी भी प्रस्तुत की गई जिसे देख भक्त श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। आज कथा श्रवण में प्रमुख रूप से स्वान्त रंजन जी अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पवन पुत्र बादल की संयुक्त मंत्री अखिल भारतीय साहित्य परिषद, डॉ बलजीत श्रीवास्तव सहायक आचार्य बाबा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय तथा कौशिक चैतन्य महाराज चिन्मय मिशन, अखिलेश सिंह, हरिनाथ सिंह एवं संजीव श्रीवास्तव आदि प्रभु भक्त प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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