Lucknow: ऑनलाइन गेम एविएटर की लत में डूबे बेटे ने मां की निर्मम हत्या की, 10 लाख के कर्ज ने बदली राह।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रायबरेली रोड स्थित कल्ली पश्चिम बाबूखेड़ा यादव गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है। यहां 3 अक्टूबर 2025 को

Oct 7, 2025 - 18:51
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Lucknow: ऑनलाइन गेम एविएटर की लत में डूबे बेटे ने मां की निर्मम हत्या की, 10 लाख के कर्ज ने बदली राह।
ऑनलाइन गेम एविएटर की लत में डूबे बेटे ने मां की निर्मम हत्या की, 10 लाख के कर्ज ने बदली राह।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रायबरेली रोड स्थित कल्ली पश्चिम बाबूखेड़ा यादव गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है। यहां 3 अक्टूबर 2025 को एक 21 वर्षीय युवक ने अपनी मां की पेंचकस और गैस सिलेंडर से निर्मम हत्या कर दी। वजह थी ऑनलाइन गेम एविएटर की लत, जिसमें वह करीब 10 लाख रुपये हार चुका था। पुलिस ने सोमवार को इस हत्याकांड का खुलासा करते हुए आरोपी बेटे को फतेहपुर से गिरफ्तार कर लिया। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि डिजिटल लत के खतरनाक रूप को भी उजागर करती है, जहां एक खेल ने एक बेटे को अपनी मां का कातिल बना दिया।

घटना उस दिन दोपहर के समय घटी। बाबूखेड़ा गांव में डेयरी व्यवसायी रमेश यादव का परिवार रहता है। रमेश की पत्नी रेनू (48 वर्ष) घर का सारा काम संभालती थीं। उनके तीन बेटे थे- सबसे बड़ा प्रीत, मझला निखिल और सबसे छोटा नितिन। निखिल बीए का छात्र था और बाहर पढ़ाई करता था। वह एक साल से ऑनलाइन गेम एविएटर का आदी हो चुका था। यह गेम एक सट्टेबाजी वाला प्लेटफॉर्म है, जहां खिलाड़ी एक उड़ते हुए विमान की लाइन पर दांव लगाते हैं। विमान जितना ऊपर जाता है, दांव उतना बढ़ता है, लेकिन क्रैश होने पर सब कुछ हार जाता है। निखिल ने इस गेम में कुल 50 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन किया था, जिसमें से 10 लाख का शुद्ध नुकसान हो गया। कर्ज चुकाने के लिए लोन ऐप्स से उधार लिया, लेकिन ब्याज बढ़ता गया। फोन पर लगातार धमकियां आ रही थीं।

रेनू मायके गई हुई थीं। निखिल ने उन्हें फोन कर घर बुलाया। जैसे ही रेनू घर पहुंचीं, निखिल ने जेवर चुराने की कोशिश की। अलमारी खोलकर सोने-चांदी के गहने निकालने लगा। रेनू ने देख लिया और रोकने की कोशिश की। गुस्से में आकर निखिल ने पास पड़े पेंचकस से उनकी गर्दन और छाती पर कई वार किए। रेनू जमीन पर गिर पड़ीं। फिर उसने गैस सिलेंडर उठाया और उनके सिर पर इतने जोर से मारा कि खोपड़ी फट गई। खून सिलेंडर पर छलक गया। हत्या के बाद निखिल ने घर में लूटपाट की निशानियां बनाईं। अलमारियां तोड़ीं, बक्से उलटे-पलटे। फिर मामा और दोस्त को फोन किया, 'मामा, घर में बदमाश घुस आए। मां पर हमला किया और लूट लिया। मैं उनका पीछा कर रहा हूं।' खुद बाइक पर भाग गया। जब परिवार वाले पहुंचे, तो रेनू की लाश खून में लथपथ पड़ी थी। निखिल लापता था।

पुलिस को सूचना मिलते ही पीजीआई थाने की टीम मौके पर पहुंची। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शुरुआत में यह लूटपाट का मामला लग रहा था। लेकिन जांच में कुछ संदिग्ध बातें सामने आईं। घर से 7 लाख रुपये के गहने और नकदी गायब थीं, लेकिन कोई जबरदस्ती घुसने का निशान नहीं। आसपास के सीसीटीवी फुटेज चेक किए। एक कैमरे में निखिल हत्या के ठीक बाद बाइक पर भागता दिखा। उसके फोन रिकॉर्ड्स निकाले। पता चला कि हत्या से पहले कई लोन ऐप्स से बात हुई। बैंक अकाउंट में गेमिंग ट्रांजेक्शन के सबूत मिले। निखिल प्रयागराज भागा था। वहां गर्लफ्रेंड से पैसे मांग रहा था। पुलिस टीम ने उसे फतेहपुर में दबोच लिया। पूछताछ में निखिल ने कबूल किया, 'मां ने जेवर न देने पर झगड़ा किया। गुस्से में हत्या हो गई। कर्ज चुकाने के लिए मजबूर था।' पुलिस ने उसके पास से चुराए गहने, कैश और पेंचकस बरामद कर लिया।

परिवार इस खुलासे से स्तब्ध है। रमेश यादव ने बताया कि निखिल कभी ऐसा नहीं लगता था। वह पढ़ाई करता था, लेकिन फोन पर ज्यादा समय बिताता। प्रीत ने कहा, 'भाई गेम खेलता था, लेकिन इतना लत में डूबा कब हो गया, पता नहीं चला।' छोटा भाई नितिन स्कूल से लौटा तो मां की लाश देखकर रो पड़ा। गांव वाले सदमे में हैं। एक पड़ोसी ने कहा, 'ऐविएटर गेम ने घर उजाड़ दिया। युवाओं को सावधान रहना चाहिए।' रेनू का अंतिम संस्कार 4 अक्टूबर को हुआ। परिवार ने निखिल को घर से निकाल दिया। पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मुकदमा दर्ज किया। निखिल को जेल भेज दिया गया।

यह घटना ऑनलाइन गेमिंग की बढ़ती लत को चेतावनी देती है। एविएटर जैसे गेम्स भारत में लोकप्रिय हैं, लेकिन ये सट्टेबाजी के रूप में काम करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में 5 करोड़ से ज्यादा युवा ऑनलाइन गेमिंग के आदी हैं। इनमें से 20 प्रतिशत कर्ज में डूब जाते हैं। लोन ऐप्स तुरंत पैसे देते हैं, लेकिन ऊंचा ब्याज वसूलते हैं। निखिल का केस इसका उदाहरण है। वह एक साल में 50 लाख का ट्रांजेक्शन कर चुका था। विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता को बच्चों के फोन उपयोग पर नजर रखनी चाहिए। लक्षण जैसे रात-रात भर जागना, गुस्सा बढ़ना और पैसे मांगना दिखें, तो तुरंत काउंसलिंग लें। सरकार ने भी सख्त कदम उठाए हैं। आईटी मंत्रालय ने प्रतिबंधित ऐप्स की लिस्ट जारी की है। उत्तर प्रदेश में साइबर सेल ने जागरूकता अभियान शुरू किया।

लखनऊ में ऐसे मामले पहले भी हुए हैं। 2022 में एक युवक ने पबजी की लत में मां को मारा था। लेकिन निखिल का केस ज्यादा दर्दनाक है। सिलेंडर से सिर फाड़ना क्रूरता की हद है। डीसीपी ने कहा कि जांच में कोई और शामिल नहीं पाया गया। निखिल अकेला था। उसके फोन से 100 से ज्यादा लोन कॉल्स रिकॉर्ड हुए। गर्लफ्रेंड ने बताया कि वह डरा हुआ था और पैसे मांग रहा था। यह हादसा परिवारों को सोचने पर मजबूर करता है। रमेश अब डेयरी अकेले चला रहे हैं। बच्चे स्कूल जाते हैं, लेकिन घर में उदासी छाई है। गांव में प्रार्थना सभा हुई। लोग कहते हैं, 'लत से बचो, वरना सब छिन जाएगा।'

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