Ayodhya News: अयोध्या में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश नाकाम: सात आरोपी गिरफ्तार, IG ने प्रेस वार्ता में किया खुलासा
अयोध्या पुलिस ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए महज 24 घंटे के भीतर सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना का खुलासा करते हुए IG अयोध्या रेंज, प्रवीण कुमार ने सो...

पुलिस की त्वरित कार्रवाई और मस्जिद कमेटी की समझदारी से बची बड़ी अनहोनी, और संदिग्धों की तलाश जारी
By INA News Ayodhya.
अयोध्या: गंगा-जमुनी तहजीब और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए मशहूर धर्मनगरी अयोध्या में अमन-चैन को भंग करने की एक सुनियोजित साजिश को अयोध्या पुलिस ने समय रहते नाकाम कर दिया है। शहर के चौक क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद के पास धार्मिक उन्माद फैलाने की मंशा से कुरान शरीफ और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक और असभ्य टिप्पणियों से भरे पोस्टर फेंके गए थे। इस घटना ने शहर में तनाव पैदा करने की कोशिश की, लेकिन मस्जिद के सचिव और इंतजामिया कमेटी की समझदारी के साथ-साथ पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने हालात को बिगड़ने से रोक लिया।
अयोध्या पुलिस ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए महज 24 घंटे के भीतर सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना का खुलासा करते हुए IG अयोध्या रेंज, प्रवीण कुमार ने सोमवार, 5 मई 2025 को एक प्रेस वार्ता आयोजित की। प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि यह पूरी घटना एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी, जिसका मकसद शहर के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ना और दंगा भड़काना था।
घटना का विवरण: साजिश की परतें उजागर
यह घटना 28 अप्रैल 2025 को अयोध्या के चौक क्षेत्र में हुई, जहां एक मस्जिद के पास कुछ अज्ञात लोगों ने कुरान शरीफ और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों से भरे पोस्टर फेंक दिए। इस तरह की हरकत से शहर में धार्मिक उन्माद फैलने और सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका थी। हालांकि, मस्जिद के सचिव और इंतजामिया कमेटी ने सूझबूझ दिखाते हुए तुरंत पुलिस को सूचना दी और स्थिति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी समझदारी के कारण कोई अप्रिय घटना होने से बच गई।
सूचना मिलते ही अयोध्या पुलिस हरकत में आई। पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू की, जिसमें कुछ संदिग्ध लोग इस हरकत को अंजाम देते हुए कैद हो गए। फुटेज के आधार पर पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए 24 घंटे के भीतर सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों की पहचान: स्थानीय लोग ही निकले साजिशकर्ता
IG प्रवीण कुमार ने प्रेस वार्ता में बताया कि गिरफ्तार किए गए सभी सातों आरोपी अयोध्या नगर क्षेत्र के निवासी हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कुछ आरोपी पढ़े-लिखे हैं और सामाजिक रूप से सक्रिय भी रहे हैं। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान इस प्रकार है:
- महेश कुमार मिश्रा, पुत्र शीतला प्रसाद मिश्रा, निवासी खोजनपुर, थाना कोतवाली नगर, अयोध्या।
- प्रत्युष श्रीवास्तव, पुत्र महेश श्रीवास्तव, निवासी आवास विकास कॉलोनी, अमानीगंज, अयोध्या।
- नितिन कुमार, पुत्र ज्ञान चंद्र सिन्ही, निवासी 858 रीडगंज, हमदानी कोठी, अयोध्या।
- दीपक कुमार गौड़ उर्फ गुंजन, पुत्र राजेंद्र प्रसाद, निवासी नाका मुरावन टोला, अयोध्या।
- बृजेश पांडेय, पुत्र हरीश चंद्र पांडेय, निवासी हौंसिला नगर, अयोध्या।
- शत्रुघ्न प्रजापति, पुत्र रामप्रसाद, निवासी सहादतगंज, कुम्हार मंडी, अयोध्या।
- विमल पांडेय, पुत्र रामयश, निवासी उमरहर (हाल पता: ऑफिसर्स हॉस्टल, सिविल लाइन), अयोध्या।
IG ने बताया कि इन आरोपियों ने मिलकर इस साजिश को अंजाम दिया था। प्रारंभिक पूछताछ में यह सामने आया है कि इनका मकसद धार्मिक भावनाओं को भड़काकर शहर में सांप्रदायिक दंगा कराना था। यह साजिश कितनी गहरी थी और इसके पीछे कौन-कौन शामिल था, इसकी जांच अभी जारी है।
पुलिस की कार्रवाई: और संदिग्धों की तलाश जारी
IG प्रवीण कुमार ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जिसमें और लोग भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस ने इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है और बाकी संदिग्धों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा, "हम इस साजिश के हर पहलू की जांच कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज और अन्य तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर हम जल्द ही बाकी संदिग्धों को भी गिरफ्तार कर लेंगे।"
पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 295-ए (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करना) के तहत मामला दर्ज किया है। IG ने पुलिस टीम को जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करने और आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई की संभावना पर विचार किया जा रहा है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक सख्त संदेश दिया जा सके।
मस्जिद कमेटी की समझदारी: टली बड़ी अनहोनी
इस घटना में मस्जिद के सचिव और इंतजामिया कमेटी की समझदारी ने एक बड़ी अनहोनी को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपत्तिजनक पोस्टर और सामग्री मिलने के बाद उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी और स्थानीय लोगों को शांत रहने की अपील की। उनकी इस सूझबूझ ने हालात को बिगड़ने से रोक लिया। एक कमेटी सदस्य ने कहा, "हमने देखा कि यह एक साजिश है, जिसका मकसद हमारे शहर के सौहार्द को बिगाड़ना था। हमने तुरंत पुलिस को सूचित किया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। अयोध्या हमेशा से सौहार्द की मिसाल रही है, और हम इसे बरकरार रखेंगे।"
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद अयोध्या के स्थानीय निवासियों में गुस्सा और चिंता का माहौल है। एक स्थानीय निवासी, मोहम्मद असलम, ने कहा, "अयोध्या हमेशा से हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रही है। कुछ लोग इस सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जो बहुत गलत है। पुलिस ने समय रहते कार्रवाई कर ली, वरना स्थिति बिगड़ सकती थी।"
वहीं, एक अन्य निवासी, राम प्रसाद, ने कहा, "यह बहुत शर्मनाक है कि हमारे ही शहर के लोग ऐसी साजिश रच रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर के बाद शांति और भाईचारा और मजबूत हुआ है। ऐसे लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई ऐसी हरकत न करे।"
प्रशासनिक दृष्टिकोण: सख्त कार्रवाई का संकल्प
IG प्रवीण कुमार ने प्रेस वार्ता में साफ किया कि अयोध्या में कानून-व्यवस्था को किसी भी कीमत पर बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा, "अयोध्या एक संवेदनशील और धार्मिक नगरी है। यहां सौहार्द बनाए रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस साजिश में शामिल हर व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। हमने पुलिस टीम को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, और जल्द ही इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जाएगी।"
उन्होंने यह भी बताया कि शहर में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस बल को अलर्ट पर रखा गया है। साथ ही, उन्होंने आम जनता से अफवाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील की।
यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से सांप्रदायिक सौहार्द को लेकर सकारात्मक माहौल बना हुआ है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह (जनवरी 2024) के बाद से अयोध्या में हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच आपसी सहयोग और भाईचारे की कई मिसालें देखने को मिली हैं। ऐसे में इस साजिश को एक सुनियोजित प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिसका मकसद इस सौहार्द को बिगाड़ना था।
कुछ जानकारों का मानना है कि इस साजिश के पीछे गहरे राजनीतिक या सामाजिक मकसद हो सकते हैं। यह भी संभावना जताई जा रही है कि इस घटना का तार हाल की कुछ अन्य सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़ा हो सकता है, जैसे कि 2022 में जहांगीरपुरी हिंसा का बदला लेने की मंशा, जैसा कि पहले की कुछ घटनाओं में सामने आया था। हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए अभी और जांच की जरूरत है।
अयोध्या में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की इस साजिश को नाकाम करने में पुलिस की त्वरित कार्रवाई और मस्जिद कमेटी की समझदारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सात आरोपियों की गिरफ्तारी और बाकी संदिग्धों की तलाश के लिए चलाया जा रहा अभियान यह दर्शाता है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। अयोध्या, जो हमेशा से शांति और भाईचारे की मिसाल रही है, इस घटना के बाद भी अपने सौहार्द को बनाए रखने में कामयाब रही है। अब यह देखना होगा कि इस साजिश के पीछे और कौन-कौन शामिल था और पुलिस इस मामले में कितनी जल्दी चार्जशीट दाखिल कर आरोपियों को सजा दिलाने में सफल होती है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अयोध्या का अमन-चैन किसी भी साजिश से बड़ा है।
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