Ballia News: बलिया में कच्चे तेल का भंडार- ONGC दिल्ली की कम्पनी ने खुदाई और सर्वे जाँच कर काम किया शुरू।
सागरपाली गांव में ONGC दिल्ली की कम्पनी खुदाई और सर्वे कर जाँच का काम शुरू कर दी हैं कि बलिया कि इस...
Report-S.Asif Hussain zaidi
बड़ी ख़बर उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के सागरपाली गाँव से है, जहां सागरपाली गांव में ONGC दिल्ली की कम्पनी खुदाई और सर्वे कर जाँच का काम शुरू कर दी हैं कि बलिया कि इस के जमीन के अन्दर किस तरह के ज्वलनशील और तरल पदार्थ निकल रहे हैं जिसका निरीक्षण 3 वर्षो से कर रही हैं। जिसके लिए कई जगह प्लान्ट लगाने की क़वायद की जा रही हैं।
बलिया के गांवों में ड्रिल कर के जाँच में लगी हैं ONGC कम्पनी। जब इस मामले में कम्पनी के अधिकारियों से बात करनी चाही तो कतरा रहे थे। और कहना था की इस मामले पर हम लोग नहीं बोल सकते हमारे दिल्ली में बैठे अधिकारी ही बोल सकते हैं।
हालांकि ये बलिया के सागरपाली में स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय के वारिसों की ज़मीन पर कच्चे तेल का विशाल भंडार मिलने कि खबर है. इस जमीन में 3000 मीटर की गहराई में मौजूद तेल के भंडार की खोज गंगा बेसिन में किए गए सर्वेक्षण के बाद हुई. इसके बाद ओएनजीसी ने सेनानी परिवार से साढ़े छह एकड़ ज़मीन तीन साल के लिए पट्टे पर लिया है और सालाना 10 लाख रुपये का भुगतान कर रही है।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान साल 1942 में बलिया को आजाद कराने वाले चित्तू पांडेय की जमीन सोना उगलने वाली है. जिस जमीन पर महान स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय का परिवार खेती करता है, उसमें कच्चे तेल का बड़ा भंडार मिला है. पुख्ता रिपोर्ट मिलने के बाद ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ONGC) ने इस परिवार से करीब साढ़े एकड़ जमीन पट्टे पर लेकर खुदाई का काम शुरू कर दिया है।
इस इनपुट के बाद ओएनजीसी के अधिकारियों ने अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए परीक्षण शुरू किया. इसके लिए जगह जगह पर विस्फोट किए गए. इस दौरान चार स्थान ऐसे चिन्हित किए गए, जहां कुआं खोदकर कच्चा तेल निकाला जा सकता है. इसमें एक स्थान बलिया का सागरपाली के पास वैना रत्तू चक है. यह स्थान नेशनल हाईवे और सागरपाली गांव के बीच है. ओएनजीसी ने खुदाई शुरू करने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन से एनओसी हासिल कर लिया हैं।
यहां तेल का भंडार तो है, लेकिन बहुत गहराई में है. इसके लिए 3,001 मीटर गहरी बोरिंग कराई जा रही है. इस खुदाई के लिए रोजाना 25000 लीटर पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक खुदाई का काम बहुत तेजी से चल रहा है। उम्मीद है कि अप्रैल महीने के आखिर तक तेल की सतह तक बोरिंग का काम पूरा हो जाएगा. यहां से पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद गंगा बेसिन में चिन्हित अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के कुएं खोदे जाएंगे।
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